माँ काली पर रामकृष्ण परमहंस ने क्यों चलाई तलवार?

माँ काली पर रामकृष्ण परमहंस ने क्यों चलाई तलवार?

माँ काली पर रामकृष्ण परमहंस ने क्यों चलाई तलवार?
माँ काली पर रामकृष्ण परमहंस ने क्यों चलाई तलवार?

माँ काली पर रामकृष्ण परमहंस ने क्यों चलाई तलवार? Ram krishna Paramhans and Maa Kali Story –

मां काली को अपने हाथों से भोजन कराते थे श्री राम कृष्ण परमहंस मां काली से रोज बातें करते थे श्री राम कृष्ण परमहंस महाकाली के सामने रोते थे राम कृष्ण परमहंस दोस्तों आपने स्वामी विवेकानंद जी के गुरु और बंगाल के महान संत श्री रामकृष्ण परमहंस के बारे में तो सुना ही होगा ये वो संत थे जिन्हें प्रतिदिन साक्षात मां काली दर्शन देती थी मां काली उनसे रोज बातें करती थी कम उम्र में ही श्री रामकृष्ण परमहंस जी साधना के उस स्तर पर पहुंच गए थे जिस स्तर पर पहुंचने में बड़े-बड़े योगियों को हजारों जन्म लग जाते हैं कोलकाता के दक्षिणेश्वर मंदिर के
पुजारी श्री रामकृष्ण परमहंस को मां काली ने दर्शन दिया था इसका उल्लेख उस वक्त के अंग्रेज शासक भी करते थे उनके मंदिर दक्षिणेश्वर में रोज कोलकाता के बड़े-बड़े अंग्रेज ऑफिसर भी आते थे और कोलकाता के बड़े-बड़े विद्वान लोग भी सभी तेजी से श्री रामकृष्ण परमहंस की भक्ति को देखकर उनके शिष्य बनते जा रहे थे लेकिन श्री राम कृष्ण परमहंस को मां काली के दर्शन होने के बाद भी मन की शांति नहीं मिल पा रही थी वह साधना की उच्च अवस्था पर पहुंचने के बाद भी परम आनंद की प्राप्ति से कोसों दूर थे ऐसे में एक दिन अचानक दक्षिणेश्वर में मां काली के मंदिर के पास एक नागा साधु आए
इन नागा साधु का नाम तोतापुरी जी था तोतापुरी जी ने जब श्री रामकृष्ण परमहंस को देखा तो वह पहचान गए कि राम कृष्ण परमहंस जी परेशान है और उनकी परेशानी की वजह क्या है श्री राम कृष्ण परमहंस जी ने उन्हें बताया कि उनको रोज मां काली के दर्शन होते हैं फिर भी उनकी समाधि टूट जाती है तब तोतापुरी जी ने उन्हें समझाया कि जब तक श्री राम कृष्ण मां काली के शरीर रूप का दर्शन करते रहेंगे तब तक उनकी समाधि पूर्ण नहीं होगी ऐसे में श्री रामकृष्ण जी ने उनसे समाधि पूर्ण करने का तरीका पूछा तो तोतापुरी जी ने कहा कि इसके लिए उनके मन में बसी मां काली की छवि को
काटना पड़ेगा मासूम मन वाले श्री राम कृष्ण जी ने तोतापुरी जी से कहा कि इसके लिए तो पहले वह अपनी मां काली से अनुमति ले तभी वह ऐसा कर पाएंगे तोतापुरी जी हंसने लगे और कहा कि जिस छवि को तू असली श्वर मान रहा है वह इस छवि से भी ऊपर है फिर भी श्री राम कृष्ण परमहंस जी अपनी मां काली के पास यह पूछने के लिए गए कि क्या तोतापुरी जी के अनुसार उनकी छवि को नष्ट करके ही समाधि को पूर्ण किया जा सकता है तो इस पर मां काली ने श्री राम कृष्ण परमहंस जी को कहा कि हां जैसा तोतापुरी कहे वैसा ही करो इसके बाद श्री राम कृष्ण परमहंस नागा संत तोतापुरी जी के पास आए
तोतापुरी जी ने उन्हें ध्यान लगाने के लिए कहा लेकिन ये क्या जैसे ही श्री राम कृष्ण परमहंस ध्यान में डूबते वो तो माहाकाली से बातें करने लगते वो मां काली से बातें करते हुए रोने लगते ऐसे करते देख तोतापुरी जी ने उनसे कहा कि तुम मां काली का ध्यान करो ही मत तुम सिर्फ निराकार या बिना आकार पर अपना ध्यान लगाओ अब श्री राम कृष्ण जी फिर बार-बार ध्यान लगाते लेकिन फिर उनका ध्यान मां काली की छवि पर लग जाता और वो मां काली से बात करने लगते तब तोतापुरी जी ने कहा कि तुम्हें अपनी काल्पनिक तलवार से मां काली की छवि को काटना होगा तभी तुम
साकार से निराकार ब्रह्म तक पहुंच पाओगे श्री राम कृष्ण जी ने ऐसा ही करने की कोशिश की वह जैसे ही ध्यान में गए मां काली प्रकट हो गई और उनसे बातें करने लगी रामकृष्ण जी ध्यान की अवस्था में जैसे ही तलवार लेकर मां काली की तरफ बढ़े वो रोने लग गए और मां काली की प्रार्थना करने लगे एक बार फिर उनकी समाधि टूट गई तब तोतापरी जी ने उनसे पूछा कि तुमने माहाकाली की छवि को तलवार से क्यों नहीं काटा तो इस पर रामकृष्ण कहने लगते कि जब मां काली की छवि सामने आती है तो वह भूल जाते हैं कि उन्हें मां काली को तलवार से काटना है उन्हें यह सब याद ही नहीं रहता तब
तोतापुरी जी ने एक उपाय सुझाया उन्होंने कहा कि जब तुम ध्यान में जाओगे और मां काली तुम्हारे सामने प्रकट होंगी उस वक्त मैं एक शीशे के टुकड़े से तुम्हारे माथे पर कट का निशान लगाऊंगा इस निशान से तुम्हें जो दर्द होगा उसे महसूस करते ही तुम याद कर लेना कि मैंने तलवार से मां काली की छवि को काटने का तुम्हें आदेश दे दिया है रामकृष्ण परमहंस जी फिर से ध्यान में चले गए जैसे ही मां काली की छवि उनके सामने प्रकट हुई तोतापुरी जी ने एक शीशे के टुकड़े से उनके माथे पर कट का निशान लगाया ध्यान में डूबे रामकृष्ण परमहंस को वह इशारा मिल गया और इसके बाद उन्होंने
तलवार से मां काली की छवि को काट डाला इसके बाद जो हुआ वो अद्भुत था श्री राम कृष्ण परमहंस निराकार ब्रह्म की समाधि में तीन दिनों तक लीन रहे उनकी समाधि पूर्ण हो गई जब श्री रामकृष्ण जी की समाधि पूर्ण हुई तो वह मां काली के असली निराकार स्वरूप को समझ चुके थे और इसके बाद ही उन्हें परमहंस की उपाधि दी गई ये उपाधि उन्हीं लोगों को मिलती है जो निराकार और साकार ब्रह्म दोनों को जान लेते हैं और समाधि की सबसे ऊंची अवस्था को प्राप्त कर लेते हैं


 

Leave A Comment

Recommended Posts

तांत्रिक बंधनों से मुक्ति: एक आध्यात्मिक समाधान

Aghoriji Rajasthan

तांत्रिक बंधनों से मुक्ति: एक आध्यात्मिक समाधान धर्म और आस्था की दुनिया में कई रहस्य छिपे होते हैं। विशेष रूप से मंदिरों, पूजा स्थलों और आध्यात्मिक साधकों से जुड़े कुछ ऐसे अदृश्य प्रभाव होते हैं, जो उनके प्रभाव को सीमित कर सकते […]

1

जंभेश्वर भगवान का मुक्ति धाम: एक अनुभव जो जीवन को बदल सकता है

Aghoriji Rajasthan

जंभेश्वर भगवान का मुक्ति धाम: एक अनुभव जो जीवन को बदल सकता है रके एक छोटे से स्थान, बीकानेर के पास स्थित मुक्तिधाम मुकाम, भगवान श्री जांबेश्वर के आशीर्वाद से समृद्ध एक पवित्र स्थल है। इस स्थान पर जाना न केवल एक […]

1