मिल गए कल्कि अवतार के आने के 4 जिन्दा सबूत

मित्रों जब जब इस धरती पर पाप और अन्य का घड़ा भारत है तब तक पपिया का नस करने के लिए संसार से भगवान विष्णु ने अवतार लिया है ठीक ऐसा ही कलयुग में भी होगा जब भगवान कल्की धर्म का नस करने आएंगे और ऐसे में कहा जाता है की भगवान विष्णु के दसवें अवतार कालके के आने के कर जिंदा सबूत पृथ्वी पर पहले से मौजूद है लेकिन कहां है यह सबूत और क्या है इसकराज आई जानते हैं धर्म शास्त्रों के अनुसार महाभारत कल के बाद जब श्री कृष्णा ने अपना डे त्याग किया तो उनके सुदर्शन चक्र ने खुद को पृथ्वी के अंदर समाहित कर लिया था क्योंकि ऐसा माना
जाता है की भगवान विष्णु के कल की अवतार जब कलयुग में आएंगे तो यही सुदर्शन चक्र धरती क्या कर वापस निकलेगा और भगवान कल की उसे धरण कर लेंगे सोने वाली बात है की आखिर वह सुदर्शन चक्र से युद्ध कैसे करेंगे उनकी क्या योजना होगी यह सभी चीज उन्हें कोई और नहीं बल्कि भगवान परशुराम ही सिखाएंगे जो की आज भी जीवित है और उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं सिर्फ सुदर्शन चक्र ही नहीं कुंती पुत्र करण का अनुभव कवच और कुंडल भी उनके इस युद्ध में सुरक्षा करेगा बताया जाता है की महाभारत कल के बाद आज भी समुद्र देव और सूर्य देव इस कवच और कुंडल की सुरक्षा पुरी के कोणार्क में सदियों से कर रहे हैं

मिल गए कल्कि अवतार के आने के 4 जिन्दा सबूत
मिल गए कल्कि अवतार के आने के 4 जिन्दा सबूत

औरतें और दोस्तों काली पुरुष के खिलाफ होने वाली इस युद्ध में भगवान कल्की का सबसे बड़ा हथियार बरहन ने पदार्थ साबित होगा जी हां वही ब्रून पदार्थ जिसके बड़े में कहा जाता है की वह भगवान श्रीकृष्ण का दिल है जो आज भी भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में धड़कता है धर्म विद्वानों की मैन तो ब्रह्म पदार्थ में असीमित शक्तियां और कलयुग में इसी बृहने पदार्थ की मदद से कल की अवतार काली पुरुष को पराजित करेंगे इसके अलावा भगवान कल्की की होने वाले परिवार के बड़े में की जाए तो उसका जिक्र हमें भागवत पुराण के स्कंद 12 के अध्याय दो में साफ-साफ एक कथा के  मध्य से देखने को मिलता है कहानी के मुताबिक अप के संभल गांव में भगवान कल्की का जन्म होगा और वो अपने माता-पिता की पांचवी संतान होंगे जो समय आने पर देव डेट नाम की घोड़ी पर बैठकर आएंगे और तलवार से पपिया का नस करेंगे जिसके बाद सतयुग का प्रारंभ होगा कथा में यह भी बताया गया है की भगवान कल्की की दो पटिया होगी लक्ष्मी रूपी पदमा और वैष्णवी रूपी राम भगवान कल्की की पत्नी वैष्णवी के बड़े में बताया जाता है की उन्होंने त्रेता युग में ही जन्म ले लिया था दरअसल त्रेता युग में दक्षिण भारत में रत्नाकर नाम के एक राजा हुआ करते थे


वो माता रानी की बहुत बड़े भक्ति थे परंतु वो संतान ऐसे में एक दिन मां काली मां सरस्वती और मां भगवती राजा रत्नाकर की भक्ति से प्रसन्न हुई और तीनों ने मिलकर अपने 23 का एक-एक अंश भक्ति रत्नाकर की पत्नी के गर्भ में आशीर्वाद स्वरूप दे दिया इसके साथ ही उन्होंने रत्नाकर के सपना में आकर ये भी बताया की उनके घर में दिव्या बालिका जन्म लेने वाली है जिसको कलयुग में लोग पूजेंगे और भविष्य में एक खास किरदार निभाएंगे आगे चलकर राजा रत्नाकर के घर में एक बच्ची के किलकारी गंजी जिसका नाम त्रिकुटा रखा गया मित्रों त्रिकुटा के अंदर हमेशा ऐसे ही ज्ञान अपने की इच्छा थी इसीलिए उसने ईश्वर की भक्ति में ली होकर घर परिवार सब कुछ त्याग कर ज्ञान की प्रताप के लिए निकाल गए ऐसे में एक दिन जब प्रभु श्री राम जंगलों में माता सीता की खोज कर रहे थे


मिल गए कल्कि अवतार के आने के 4 जिन्दा सबूत
मिल गए कल्कि अवतार के आने के 4 जिन्दा सबूत

तभी उनकी मुलाकात त्रिकुटा से हुई त्रिकुटा ने पहले नजर में भगवान विष्णु के अवतार प्रभु राम का आभास कर लिया उनके चरणों में नतमस्तक होकर भूल चढ़ाई भगवान राम ने त्रिकुटा की तपस्या से प्रसन्न होकर उसको पृथ्वी नाम दिया परंतु जब त्रिकुटा ने भगवान राम को उनके अंदर समाहित होने की प्रार्थना की तो उन्होंने इसके लिए उसे माना कर दिया और कहा की समय आने पर एक दिन मैं तुम्हारे पास आऊंगा और अगर तुम मुझे पहचान पाव तो मैं तुम्हारी साड़ी इच्छाएं पुरी कर दूंगा यह कहकर प्रभु श्री राम वहां से चले गए दोस्तों समय बताता गया और त्रिकुटा अपने प्रभु श्री राम के इंतजार में आप लगाएं बैठे हुई थी की तभी एक दिन त्रिकुटा के द्वारा पर एक बुध व्यक्ति आया और उससे शादी का प्रस्ताव रखा जिसके जवाब में त्रिकुटा ने उसे बूढ़े व्यक्ति को यह कहकर माना कर दिया की वो प्रभु राम की पहले से ही हो चुकी है और वो किसी भी वक्त उन्हें लेने ए सकते हैं हालांकि बाद में त्रिकुटा को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन तब तक काफी डेरी हो चुकी थी क्योंकि वो बुध आदमी कोई और नहीं बल्कि प्रभु श्री राम ही थे त्रिगुटाने प्रभु राम से अपनी गलती की माफी मांगी तब भी श्री राम ने उससे कहा की तुम्हारी इच्छा पुरी करने इस सही समय नहीं इस युग में तो नहीं लेकिन कलयुग में आप मेरी अर्धांगिनी बनेंगे अगर वह उत्तर भारत के त्रिकूट पर्वत पर जाकर तप करेंगे तब कलयुग में मैं आपको कल की के अवतार के रूप में अपना बनाऊंगा इसी दिन के बाद माता ने त्रिकुटा पर्वत पर जाकर घर तपस्या की और शरीर का त्याग करके तीन मुंह वाले पिंडी में समाहित हो गई मान्यता है की भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्की का जब काली पुरुष के सर्वनामश के लिए जान होगा तो वह देवी वैष्णवी से विवाह करेंगे वही भगवान कल्की के कर पुत्र भी होंगे जिनका नाम जय विजय मेघवाल और बालक होगा अगर आपको पहले से किसी भी बात की जानकारी थी तो नीचे कमेंट्स पर जरूर बताएं


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