कैलाश पर्वत पर चढ़ने वाला इंसान जिन्दा नहीं बचता
दोस्तों एक ऐसा पर्वत जिसे दुनिया के लोग महादेव का घर कहते हैं सुंदर हिमालय के बीच में बना यह पर्वत अपने अंदर बहुत से राज छिपाए हुए हैं यह जगह कोई और नहीं बल्कि कैलाश पर्वत है इस पर्वत की ऊंचाई लगभग 6600 मीटर से भी ज्यादा ऊंचा एक ऐसा पहाड़ है जहां से पूरी दुनिया को काबू में किया जाता है लोगों का मानना है कि शिवजी यहां अपने पूरे परिवार और अपने गणों के साथ यहां पर निवास करते हैं यह कोई आम सा पर्वत नहीं है हमारे हिंदू धर्म में ऐसा कहा जाता है कि हीं से महादेव पूरी दुनिया को अपने हिसाब से चलाते हैं
यानी कि सबकी लाइफ की डोर उन्हीं के हाथ में रहती है और जो भी होता है वो उनकी मर्जी से ही होता है विष्णु पुराण के मुताबिक करीब दो करोड़ साल पुराना यह पर्वत रूबी गोल्ड और लापस्या तो इस पर्वत के पास रावण के सौतेले भाई कुपेर का शहर भी है और तो और यहीं से विष्णु जी के कर कमलों से निकलकर पवन नदी गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है जहां शिवजी उन्हें अपनी जटा में भरकर धरती पर हमारे और आपके बीच एक पावन और निर्मल धारा के रूप में बहती हैं इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि इस दिव्य पर्वत के ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यु लोग है
पौराणिक कथाओं की ऐसी बहुत सी घटनाओं के बारे में बताया गया है दोस्तों जिनमें कई बार काली शक्तियों ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करके महादेव को यहां से निकालने की बहुत कोशिश की लेकिन उनकी यह इच्छा कभी पूरी ना हो सकी दुनिया भर के पर्वत रोही भले ही माउंट एवरेस्ट को फतेह कर चुके हो लेकिन कोई भी आज तक कैलाश पर्वत पर चढ़ाई नहीं कर पाया अब ऐसा क्यों है इसके पीछे की क्या वजह है इसके ऊपर कभी कोई भी हेलीकॉप्टर नहीं ले जा पाया और ना ही जहाज इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए 2015 से 16 के बीच अमेरिकी एजेंसी नासा ने google3 इट की हेल्प से कैलाश पर्वत पर रिसर्च की उस रिसर्च में कुछ फोटोज सामने आई जिसने नासा के साइंटिस्ट के भी होश उड़ा दिए थे
उन्होंने सैटेलाइट की हेल्प से कैलाश के जब फोटोस को देखा तो वहां पर कोई और नहीं बल्कि खुद शिवजी ध्यान मुद्रा में बैठे हुए थे लेकिन ऐसा नहीं है कि कभी किसी ने पर्वत पर चढ़ने की कोशिश ना की हो बता दें कि 2001 में चीन ने स्पेन और रूस के साइंटिस्ट के साथ मिलकर कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश तो की थी लेकिन टीम कैलाश पर चढ़ने में सफल नहीं हो पाई लेकिन जो उन्होंने वहां फील किया व काफी ज्यादा चौका देने वाला था उन्होंने बताया कि जब उन सभी ने पर्वत पर चढ़ने का सीधा रास्ता ढूंढ लिया था और जैसे ही उस पर आगे बढ़े तो बहुत ही भयानक बर्फबारी शुरू हो गई थी
और तूफान ने उस रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया था वहीं रशिया के एक पर्वत रोही ने बताया कि जब पर्वत के पास पहुंचे तब उनका दिल जोरों से धड़कने लगा था डर भी लगा और अंदर से आवाज आई कि अब उन्हें इससे आगे नहीं जाना चाहिए जिसके बाद यह सभी टीम लेकर नीचे आ गई तब जाकर उनका मन हल्का होने लगा इसके साथ ही कैलाश में चढ़ने वाले एक साइंटिस्ट ने बताया कि कैलाश पर चढ़ना बिल्कुल नामुमकिन है क्योंकि पर्वत किसी ना दिखने वाली शक्ति के जरिए प्रोटेक्टेड है कैलाश पर्वत बस एक आम पर्वत से कहीं ज्यादा है और यह प्रूफ करने के लिए कैलाश की एक और सबसे खास बात यह है
वह यह है कि पर्वत अपनी जगह लगा तार बदलता रहता है यह कहें कि समय-समय पर इधर-उधर मूव करता रहता है काफी सारे पर्वत रोहिणी बताते हैं कि पर्वत चढ़ते हुए बीच में उनका रास्ता बदलने लग जाता है और वह कई बार तो गलत रास्ते पर चलने लग जाते हैं और तो और उन्होंने अपने रास्ते में कई बार बदलते हुए भी देखे हैं वहीं हिंदू धर्म में भरोसा करने वाले कहते हैं कि भगवान शिव आपका रास्ता रोकेंगे अगर आपके काम अच्छे नहीं है तो क्योंकि एक भी बुरी मंशा वाले इंसान की नेगेटिव एनर्जी कैलाश की पवित्रता को भंग कर सकती है
वहीं दोस्तों इस पर्वत के ऊपर कुल सात र की रोशनी चमकती है बहुत से लोगों ने इन रोशनी को चमकते हुए भी देखा है अब इस बारे में साइंटिस्ट कहते हैं कि ऐसा पर्वत के मैग्नेटिज्म मतलब चुंबकीय बल की वजह से ही होता है धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस जगह पर पुण्या आत्माओं का निवास है इसके साथ ही कैलाश की आकार से भी अभी तक पर्दा उठ नहीं पाया है कहते हैं कैलाश दिखने में एक पिरामिड की तरह है इसके साथ ही कहा जाता है कि कैलाश पर्वत धरती का केंद्र बिंदु है बहुत से लोग इस जगह को भौगोलिक ध्रुव भी मानते हैं कैलाश मानसरोवर के आसपास डमरू और ओम की नी भी सुनाई देती है इसको लेकर धार्मिक मान्यता यह है कि भगवान शिव के निवास स्थान होने की वजह से यहां ऐसा होता है हालांकि अब तक इस बात से पर्दा उठ नहीं पाया सिर्फ यही नहीं कहते हैं
कि यमराज कैलाश को उन लोगों से बचाते हैं जिन्होंने अपने पूरे जीवन में केवल बुरे काम किए होते हैं अच्छा यह तो हमने आपको बताया है कि क्यों कैलाश पर चढ़ाई आज तक कोई नहीं कर पाया लेकिन महादेव के भक्त यहां परिक्रमा करने के लिए जरूर आते हैं जी हां कहते हैं इसको पूरा करने के लिए सबसे पहले हमें यमराज के द्वार को पार करना होता है यह काल देवता से परमिशन लेने की तरह होता है ऐसा कहा जाता है कि जब भी कोई आदमी तीर्थ यात्री यम द्वार को पार करता है तब उसको पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए क्योंकि उसको पार करना कुल देवता को सम्मान देने के बराबर होता है कहते हैं अगर आपने द्वार को पार करने के बाद पीछे मुड़कर देख लिया तो आपके जीवन का बुरा समय शुरू हो जाएगा ऐसा आदमी को यात्रा के समय कई तरह की अनहोनी का सामना भी करना पड़ सकता है
कैलाश ऐसे ही कई रहस्यों से भरा हुआ एक जादू ही पर्वत है दोस्तों हर साल कम से कम 200 हज लोग कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते हैं ताकि वह अपने अंदर के आध्यात्म को और करीब से जान सकें वहीं यहां पर यात्री पर्वत की क्लॉक वाइज डायरेक्शन में परिक्रमा भी करते हैं कहाजाता है कि इंसान कई बार जन्म तो लेते हैं और कैलाश की एक परिक्रमा आपकी पूरी लाइफ साइकिल के बराबर ही होती है हिंदू धर्म के लोग ऐसा मानते हैं कि इस पर्वत की परिक्रमा करने से उन्हें जीवन से मोक्ष मिलेगा इस विशालकाय पर्वत पर समय बहुत ही अजीब तरह से बदलता है जैसे ही यात्री यहां से वापस आते हैं तो 12 घंटे के अंदर ही उस आदमी के नाखून और बाल बड़ी ही तेजी से बढ़ने लग जाते हैं कुछ दिनों का कैलाश के लिए तय किया गया यह सफर ऐसा हो जाता है कि मानो किसी ने आपकी लाइफ का फास्ट फॉरवर्ड बटन दबा दिया हो कुछ ऐसे ही कैलाश पर्वत ने अपने अंदर पॉजिटिविटी के साथ बहुत सेरहस्य छुपाए हुए हैं सिर्फ इतना ही नहीं दुनिया के सबसे रहस्यमय कैलाश पर्वत के पास दो झीलें भी हैं
एक मानसरोवर और वहीं दूसरा है राक्षस ताल कहते हैं मानसरोवर एक ऐसा सरोवर है जिसका पानी बहुत स्वच्छ माना जाता है पुराणों की माने तो महादेव द्वारा प्रकट किए गए जल के वेग से जो झील बनी तभी उस झील को मानसरोवर कहा गया वहीं सरोवर को लेकर कहा जाता है कि जब बहुत भीषण गर्मी के दिन शुरू हो जाते हैं तब मानसरोवर की बर्फ पिघलती है और बर्फ पिघलने से एक अलग तरह की आवाज सुनाई देती है इस आवाज को लेकर लोगों का कहना है कि यह मृदंग की आवाज है वहीं कोई कहता है कि मानसरोवर में एक बार नहा लेने से रुद्र लोक यानी कि शिवजी के लोग पहुंच जाता है वहीं मानसरोवर करीब 320 किमी के इलाके में फैला हुआ है इस झील के आसपास भोर के ढाई से 44 के बीच बहुत सी आलौकिक क्रियाओं को केवल महसूस किया जा सकता है देखा नहीं जा सकता कहते हैं इस सरोवर का पानी स्त्रोतों के जरिए गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी में जाता है वहीं मानसरोवर का जुड़ाव महादेव के साथ-साथ भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी से भी जुड़ा हुआ है मानसरोवर से आते हुए रास्ते में एक झील है वहीं पुराणों में झील का शक्र ीर सागर से किया गया है कहते हैं ीर सागर कैलाश से 40 किमी की दूरी पर है और धार्मिक मान्यता है कि श्री नारायण और देवी लक्ष्मी भी इसी में शेष नाग की सैया पर विराजते हैं
तो दोस्तों यह तो हो गया मानसरोवर के बारे में अब आपको उस दूसरी झील के बारे में बताते हैं जिसका नाम इस ताल को इंग्लिश में डेविल ताल के नाम से भी जाना जाता है राक्षस ताल पूरी तरह से पैरानॉर्मल एक्टिविटी से भरा हुआ है यहां पर बहुत सी असाधारण चीजें होती हुई देखी जाती हैं इस ताल के बारे में जब हम ज्यादा इंफॉर्मेशन निकालते हैं यहां लंका के राजा रावण का जिक्र आता है दरअसल एक बार रावण शिवजी के सामने अपनी भक्ति और डिवोशन को साबित करना चाहता था केवल यही नहीं वह महादेव से आशीर्वाद के रूप में उनकी सारी शक्तियां भी पाना चाहता था अभी तो आप सभी जानते हैं
कि लंकापति के पास 10 सर थे शिवजी के लिए अपनी भक्ति को साबित करने के लिए उसने कैलाश के नीचे अपना एक-एक सिर काटना शुरू कर दिया जिसके बाद कैलाश की धरती खून से भर गई एक-एक करके शक्ति के लालच में रावण ने अपने नौ सिर काट लिए और कैलाश पर्वत की जमीन को अपने राक्षसी खून से पूरा भर दिया जैसे ही रावण अपना दसवां सिर काटने लगा उसके सामने भोलेनाथ प्रकट हो गए उसकी तपस्या और लगन देख शिवजी ने उसको शक्तियां दे दी थी लेकिन जिस जगह रावण का खून बहा था उस जगह पर आज यह ताल राक्षस ताल के नाम से फेमस हो गई है इस झील को रावण ताल या फिर गोस लेख भी कहा जाता है कहते हैं अगर कोई यहां पर भगवान से जुड़ने के लिए आता है और वह व्यक्ति इस जगह को लेकर डिसरेटर है इसका मतलब इसकी पवित्रता का सम्मान नहीं करता तो यह ताल उस व्यक्ति के साथ कुछ भी कर सकती है
हां अगर आप वहां जाएं तो इस ताल का पानी भूलकर भी ना पिए वरना आपको बहुत गंभीर बीमारी पकड़ सकती है कई बार तो इस वजह से मौत भी हो जाती है इतना ही नहीं रामायण के उत्तरकांड के मुताबिक एक बार
अपनी शक्तियों के अहंकार में आकर रावण सीधा कैलाश पर्वत पर चला गया और फिर उसने शिवजी को युद्ध के लिए ललकारा लेकिन जब शंभूनाथ ने उसे कोई जवाब नहीं दिया तो लंकेश ने उन्हें कैलाश की साथ उठाकर फेंकने का मन बनाया और फिर बिना कुछ सोचे समझे वह पर्वत की चीजों को तहस-नहस करने लगा रावण के ऐसे प्रताप को देखकर महादेव ने बस अपने अंगूठे के बल से कैलाश को स्थिर कर दिया जिसकी वजह से रावण का हाथ इस विशालकाय पर्वत के नीचे दब गया कैलाश पर्वत के बाहर से उसके हाथ में दर्द होने लगा और वह दर्द के मारे छटपटा आने लगा फिर काफी कोशिशों के बाद रावण अपना हाथ नहीं निकाल पाया तो वह वहीं खड़े-खड़े महादेव की स्तुति करने लगा कहते हैं उसी परल लंकापति ने शिव तांडव स्त्रोत की रचना कर दी इस पर महादेव ने खुश होकर उसे छोड़ दिया तब रावण ने भोलेनाथ से अपने खए के लिए माफी मांगी और उनकी शरण में आ गया तो क्या आप भी इस कैलाश पर्वत पर मिस्ट्रीज को सॉल्व करने या फिर मरने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति के लिए जा ना चाहते हैं तो एक बात तो तय है वहां पहुंचकर आपकी लाइफ में एक पॉजिटिव चेंज तो जरूर आएगा जो आपको एक बेहतर इंसान बना देगा इसके साथ ही वहां से लौटकर आने पर आपके आसपास कई ऐसी एडवेंचरस कहानियां भी होंगी जिसे आप सबको बता सकते हैं
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