
गरुड़ पुराण: कैसा होगा आपका अगला जन्म?
बचपन से लेकर आज तक हम यही सुनते आ रहे हैं कि जैसा कर्म करोगे वैसा ही हमारा अगला जन्म होगा लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल होते हैं कि किस कर्म के बाद किस योनि में जन्म मिलता है कौन से काम होते हैं जिनका खामियाजा हमें अपने अगले जन्म में भुगतना पड़ता है दरअसल इन सभी सवालों के जवाब हमें गरुड़ पुराण में मिलते हैं सनातन धर्म में ब्राह्मण को भगवान के समान बताया गया है शास्त्रों में भी साफ बताया गया है कि अगर कोई मनुष्य जानकर या भूल से किसी ब्राह्मण की हत्या कर देता है तो उसे ब्रह्म हत्या का पाप लगता है यह महापाप
माना जाता है गरुड़ पुराण धर्म कांड के अध्याय दो में बड़े ही विस्तार से बताया गया है कि जो पापी ब्राह्मण जैसे पूजनीय लोगों की हत्या करते हैं उन्हें मृग अस्व शुक्र और ऊंट की योनि में जन्म लेना पड़ता है वहीं ऐसे काम में साथ देने वाले मनुष्य को कुंभी पाक नाम के नर्क में यातनाएं सहनी पड़ती हैं भूख लगने पर भोजन की चोरी करना साधारण पाप है मन भटकने पर कोई वस्तु चोरी कर ली चोरी तो पाप है पर वह भी एक साधारण पाप है लेकिन सोने की चोरी बहुत बड़ा पाप होता है चोरी करने वाले मनुष्य या ऐसे काम में साथ देने वालों को तामिस नामक नर्क में दुख भोगना पड़ता है वहीं
उसे कीड़े मकोड़ों की योनि में जगह मिलती है वहीं घर का सामान चुराने वाला गिद की योनि में और दूसरे का पैसा लूटने वाला अप सुमार रोग से ग्रस्त होता है वहीं जो आदमी अपनी धर्म पत्नी को छोड़ देता है वो अगले जन्म में गंड माल नाम के महा रोग से पीड़ित रहता है और जो स्त्री के बल पर दुनिया में जी रहा होता है वह दूसरे जन्म में लंगड़ा पैदा होता है गरुड़ पुराण के अनुसार दूसरे की पत्नी से संबंध बनाने वाले व्यक्ति को घोर नर्क में जगह मिलती है फिर वहां उसे पहले भेड़िया फिर कुत्ता गिद सियार सांप कौवा और आखिर में बगुले की योनि मिलती है इन सब जन्मों के पूरा होने
के बाद ही उसे मनुष्य योनि प्राप्त होती है शास्त्रों की माने तो देवताओं और पूर्वजों को खुश किए बिना मरने वाला इंसान 100 सालों तक कोए की योनि में जन्म लेता है उसके बाद मुर्गा फिर एक महीने के लिए सांप की योनि में रहने के बाद उसके पापों का अंत हो जाता है तब जाकर वह मनुष्य के रूप में जन्म ले पाता है बता दें अगर कोई व्यक्ति किसी का कत्ल कर देता है तो इस जघन्य अपराध करने वाले को अगले जन्म में गधे की योनि में जन्म लेना पड़ता है लेकिन अगर वो जिस शस्त्र से हत्या करता है उसी से उसकी भी हत्या हो जाए तो उसे मृग योनि मिलती है इसके बाद वह मछली कुत्ता और बाघ
बनता है इन योनियों में जन्म लेकर आखिर में वह मनुष्य योनि में जन्म लेता है कहते हैं जो इंसान अपने से बड़ों का अपमान करते हैं उन्हें कौंच नाम के पक्षी के रूप में जन्म लेना पड़ता है इतना ही नहीं 10 सालों तक उसे इसी योनि में रहना पड़ता है फिर जाकर उसे मनुष्य योनि की प्राप्ति होती है वहीं जो व्यक्ति किसी स्त्र से किसी की जान लेता है उसे गधे की योनि में जन्म लेना पड़ता है उसके बाद वह हिरण की योनि में जन्म लेता है और फिर उसकी हत्या भी किसी शस्त्र से ही होती है फिर वह मछली कुत्ता बाघ और अंत में मनुष्य योनि को प्राप्त होता है जो व्यक्ति बिना किसी को
दिए अकेले भोजन करता है वह अगले जन्म में संतान हीन रह जाता है वहीं जो मनुष्य फल चुराता है व बंदर की योनि में जन्म लेता है गरुड़ पुराण के अनुसार माता पिता या संतान को दुखी करने वाले लोगों की अगले जन्म में धरती पर जन्म लेने से पहले ही उनके गर्भ में मृत्यु हो जाती है वहीं जो लोग महिलाओं का शारीरिक शोषित करते हैं या उनका शोषण करवाते हैं उन्हें अगले जन्म में भयंकर बीमारियों से पीड़ित होना पड़ता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी स्त्री की हत्या या उसका गर्भपात कराने वाले व्यक्ति को नर्क में दर्दनाक पीड़ांतक बाद उसे चंडाल योनि में जन्म मिलता है
इसके साथ ही शादी में अड़ंगा पैदा करने वाले पापी मच्छर की योनि में जन्म लेता है और अगर उसे फिर से मनुष्य की योनि प्राप्त भी होती है तो उसका होंठ कटा हुआ होता है बता दें कि वेदव्यास जी ने भी बताया है कि जो व्यक्ति हमेशा दूसरों की मदद करता है पशु पक्षी और दूसरे जीवों पर दया करता है जरूरतमंदों की मदद करता है और बिना किसी स्वार्थ के अपनी मेहनत से कमाए पैसों का उपयोग धार्मिक कार्यों में करता है तो ऐसे व्यक्ति अगले जन्म में मनुष्य योनि में ही जन्म लेते हैं साथ ही समाज में अच्छे कार्य करके दूसरों को हमेशा खुश रखते हैं
ऐसे लोगों से भगवान भी खुश रहते हैं अच्छा ये तो हो गई कर्म के हिसाब से जन्म मिलने की बात लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि मरने के बाद सीधा आपको इंसानी शरीर में जन्म नहीं मिलता है बल्कि एक आत्मा को कुल 84 लाख योनियों यानी कि 84 लाख जन्म के बाद इंसान का शरीर मिलता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एक आत्मा को 84 लाख योनियों में क्यों भटकना पड़ता है क्यों यह चक्र हमेशा से चलता आ रहा है दरअसल 84 लाख योनियों के बारे में हमें पद्म पुराण के एक श्लोक में पढ़ने को मिलता है जिसकी माने तो इन 44 लाख योनियों में 9 लाख जलचर यानी कि पानी में रहने वाले जीव जंतु 30
लाख पशु 20 लाख पेड़ पौधे 11 लाख कीड़े 10 पक्षी और 4 लाख मानव हैं वहीं आपको बता दें कि ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि एक इंसान को दोबारा मनुष्य जीवन नहीं मिलता या फिर 84 लाख योनियों के बाद ही वापस मनुष्य जीवन मिलता है ये सारी चीजें हमारे कर्मों पर निर्भर करती हैं ऐसा माना जाता है कि अगर मनुष्य अच्छे कर्म करता है तो उसे स्वर्ग मिलता है और स्वर्ग का रास्ता मोक्ष की ओर जाता है अगर मनुष्य बुरा कर्म करता है तो उसे नर्क मिलता है और उसके बाद कर्मानुसार अलग-अलग योनियों में जन्म मिलता है 84 लाख योनियों में भटकना तो एक कर्म है जिसके बाद ही इंसान की योनि किसी
को भी प्राप्त होती है इसके साथ ही आपको बता दें कि 84 लाख योनियों में से केवल मनुष्य के पास ही सोचने और समझने की क्षमता होती है केवल वही एक ऐसी योनि है जो पाप और पुण्य में अंतर कर पाती है और तो और मानव ही है जिसे आत्मा परमात्मा का बोध हो सकता है वह मानव ही है जो संसार का ज्ञान हासिल कर सकता है अब अगर आप अपने बुरे कर्म को मनुष्य जीवन को खो देते हैं तो आपको अन्य योनि में जन्म लेना पड़ता है ऐसी योनि जिसमें सोचने समझने की समझ ही नहीं होती है और कई बार वो योनि यां बहुत खतरनाक भी होती हैं जिसके बाद आप योनियों के कालचक्र में फंसते चले जाते हैं इसलिए
ऐसा कहा जाता है कि 84 लाख योनियों को पार करने के बाद ही आत्मा को मनुष्य योनि मिलती है और यही है आत्मा के 84 लाख योनियों से गुजरने का राज अच्छा जीवन और मौत को लेकर सवाल अनगिन थे लेकिन इनके जवाब इतने गहरे और उलझे हुए हैं कि लोग इससे सही तरह से रूबरू नहीं है उन्हीं सवालों के कुएं में एक यह भी सवाल आता है कि किसी की भी मौत के कितने समय बाद उसको अगला जन्म मिलता है फिर चाहे वह किसी भी योनि में क्यों ना हो आपको जानकर यह हैरानी होगी कि एक आत्मा जैसे ही इस मोह माया की दुनिया को छोड़कर जाती है उसको इस बात का एहसास होने में काफी समय लगता है
कि अब वो जिंदा नहीं है जिसके बाद वो आत्मा नए शरीर के खोज के लिए नए सफर पर निकल पड़ती है कहा जाता है कि एक साधारण आत्मा को नया शरीर ढूंढने में ज्यादा समय नहीं लगता आमतौर पर इस श्रेणी में दो तरह की आत्माएं होती हैं पहली देवता श्रेणी होती है वो देवता जिनको आप पूजते हैं या आपके कुल देवता ऐसे लोगों की आत्माओं को दूसरा शरीर ढूंढने में लंबा समय लगता है इसके पीछे भी एक बहुत बड़ा कारण है कहा जाता है कि ऐसी आत्मा के जन्म के लिए भी ऐसी मां की कोख चाहिए होती है जो खुद में अनोखी हो वहीं एक और ऐसी आत्मा होती है जिन्हें आसानी से शरीर नहीं मिलता व है
शैतानी आत्मा यह आत्माएं वो होती हैं जिनका पूरा जीवन दूसरों को कष्ट देने और क्रूरता में गुजरा हो इनको नया शरीर मिलने में लंबा समय लगता है इसके पीछे भी एक कारण है कहा जाता है कि ऐसी आत्माओं को भी ऐसी कोख की खोज होती है जो अपने अंदर उन की नकारात्मकता समा सके वहीं वृद्धारण्यम के अनुसार एक आत्मा को शरीर की खोज करने में कभी-कभी इतना कम समय लगता है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती ब्र दारुण उपनिषद में बताया गया है कि एक आत्मा को दूसरे शरीर में जाने में ठीक उतना ही समय लगता है जितना एक कीड़े को एक तिनके से दूसरे तिनके में जाने में लगता है कई
ग्रंथों का यह भी कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को यह लगता है कि उसने अपने इस जीवन के सभी काम पूरे कर लिए हैं तो व बिना बिना कष्ट के अपने शरीर त्याग देता है ऐसे लोगों की आत्मा को नए शरीर में धारण होने में कुछ ही पल लगते हैं हमारे धर्म ग्रंथों की माने तो 100 में से 85 पर लोगों का पुनर्जन्म 35 से 40 दिन में होना तय होता है वहीं बाकी बचे 15 पर लोगों का जन्म होने में एक या दो साल का समय लग जाता है वहीं इसमें 4 पर लोग इससे भी ज्यादा का समय ले लेते हैं आपको बता दें गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मौत के बाद यमदूत आत्मा को केवल 24 घंटे के लिए
ही ले जाता है इन 24 घंटों में आत्मा को उसके जीवन के किए गए सभी पाप और पुण्य को दिखाया जाता है 24 घंटे के बीतते ही यमदूत आत्मा को वापस उसके घर छोड़ जाती है जहां वह अपने शरीर में वापस जाने का प्रयास करता है लेकिन कर नहीं पाता इसके बाद 13 दिन तक आत्मा वही रहती है आत्मा को 13 दिन बाद फिर से ले जाया जाता है पुराणों में बताया गया है कि जब भी कोई व्यक्ति अपने शरीर को त्याग करके दुनिया से जाता है तब उसकी आत्मा एक यात्रा प्रारंभ करती है इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं आर्ची मार्ग धूम मार्ग और उत्पत्ति विनाश
मार्ग बता दें कि यह मार्ग आत्मा को 13 दिन बाद ही मिलता है यह मार्ग व्यक्ति के द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार होते हैं अर्च मार्ग ब्रह्म लोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है वहीं धूम मार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है इस तरह आत्मा अलग-अलग मार्ग में चली जाती है यहां कर्मों के अनुसार और यमराज द्वारा तय किए गए समय तक रहती है अर्च मार्ग ब्रह्मलोक उत्तम माना जाता है अगर किसी भी व्यक्ति ने जीवन भर कोई भी पाप या बुरा कर्म नहीं किया हो मोक्ष उसी को प्राप्त होता है तो दोस्तों देखा आपने किस तरह मरने के बाद का सफर होता है यह सफर अच्छे कर्म करने वाले दूसरों की मदद करने वाले और भगवान के बताए मार्ग पर चलने वालों के लिए काफी आसान होता है लेकिन वहीं जो पापी लोग होते हैं जो सिर्फ दूसरों का फायदा उठाते हैं उनको काफी यातनाएं झेलनी पड़ती हैं
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