
जो भी इन आयामों को समझ गया दुनिया उसके कदमों में झुक गई
नमस्कार दोस्तों अलौकिक सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त करना कितना कठिन है इसके लिए वर्षों तक कठिन तपस्या करनी पड़ती है लेकिन यदि आप कितनी भी तपस्या कर लो कितनी भी योग साधना कर लो लेकिन यदि आप चित्त के इन 12 आयामों को नहीं जानते तो आपको सिद्धियां और शक्तियां कभी भी नहीं मिलेगी और यदि आप इन चित्त के 12 आयाम को जान लेते हो समझ लेते हो और इस पर अमल करकर फिर यदि आप तपस्या करते हो तो
अलौकिक शक्तियां
और सिद्धियां चुटकियों में प्राप्त हो जाएगी एक 1000% गारंटी है कि आप सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त करेंगे ही इतना ही नहीं कि आप अलौकिक शक्तियां ही
प्राप्त करेंगे परंतु आप घर गाड़ी जमीन जायदाद और यहां तक कि आप भौतिक उपलब्धियों से लेकर आध्यात्मिक उपलब्धि मोक्ष भी प्राप्त कर सकते हो आज की यह प्रस्तुति बेहद ही खास और महत्त्वपूर्ण है तो इस प्रस्तुति को बिना स्किप किए अंत तक जरूर pdhai अन्यथा आप उस अनमोल ज्ञान से वंचित रह जाएंगे और आपको भविष्य में तभी भी यह ज्ञान प्राप्त नहीं होगा मित्रों किसी चीज को प्राप्त करना है तो उस चीज को प्राप्त करने की योग्यता हासिल करनी पड़ती है जैसे कि डॉक्टर बनना है तो एमबीबीएस करना पड़ता है इंजीनियर बनना है तो इसकी डिग्री प्राप्त करनी पड़ती है वैसे ही यदि हमें
सिद्धियां प्राप्त करनी है तो हमें सिद्धियां प्राप्त करने की कुछ शर्तों को फुलफिल करना पड़ता है सिद्धियां प्राप्त करने की पहली शर्त है कि हमें योग आना चाहिए योग योग को तो हम सभी जानते हैं और जीवन में योग को कभी ना कभी तो करते ही हैं लेकिन योग से तो आज तक हमें सिद्धियां नहीं मिली जी हां और योग से कभी सिद्धियां मिलेगी भी नहीं क्योंकि हम जो कर रहे हैं वह योग नहीं है वह फिजिकल एक्सरसाइज मात्र है तो फिर योग क्या है तो जिन्होंने हमें योग का अनमोल ज्ञान देकर हम पर बहुत बड़ा उपकार किया है उस योग गुरु महर्षि पतंजलि ने योग का मतलब बताते कहा है कि चित्त
वृत्ति निरोधा यानी कि चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है इसका अर्थ यह है कि यदि हम चित्त के दखल को रोक दे चित्त की वृत्तियों को शुद्ध और पवित्र कर ले और चित्त को शांत कर दे तो हमारा योग हो गया और यदि योग होने लगेगा तो सिद्धियां प्राप्त करने की हमारी योग्यता बन जाएगी तो हमारे लिए सिद्धियां प्राप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण कोई चीज है तो वह है चित्त चित्त यह चित्त क्या होता है तो दोस्तों जब सिकंदर मर गया था तब उसके जनाजे में से उसके दो हाथ बाहर की तरफ खुले रखे गए थे जिससे लोगों को यह पता चले कि
सिकंदर ना कुछ लेकर आया था और ना कुछ
(लेकर जा रहा है इंसान जब जन्म लेता है तो कुछ लेकर नहीं आता है और मृत्यु के बाद कुछ ले कर वापस नहीं जाता है सब कुछ यहां पड़ा रहता है लेकिन यह बात सच नहीं है हां मृत्यु के बाद उसका शरीर यहां पड़ा रहता है वह कितना भी बुद्धिमान हो उसकी बुद्धि यहां ही रह जाती है उसका मन भी यहां ही रह जाता है उसका धन दौलत भी यहां ही रह जाता है कोई चीज साथ में नहीं आती लेकिन एक चीज साथ जरूर आती है और वह है चित्त मरने के बाद मनुष्य चित्त लेकर जाता है और जन्म लेता है तो चित्त लेकर वापस आता है तो इस चित्त को जानना हर एक व्यक्ति के लिए बहुत
ही महत्त्वपूर्ण है दोस्तों जिस तरह से हम अपने
शरीर की पंच इंद्रिया जैसे कि आंख नाक कान जीभ और त्वचा से बाहरी जगत का अनुभव करते हैं
यह हमारे शरीर के बाह्य उपकरण है साधन है वैसे ही मन बुद्धि चित्त और अहंकार हमारे आंतरिक उपकरण साधन है इन चारों के मिलने से हमारा अंतःकरण बनता है मन बुद्धि चित्त और अहंकार को यदि हम उदाहरण देकर समझे तो मान लो कि आपने किसी चोर को देखा तो अब आपके मन में आएगा कि इसको पकड़ो चिल्लाओ या छोड़ दूं यह मन का काम है मन ऑप्शंस ढूंढता है अब बुद्धि जो है वह डिसाइड करती है कि चोर को छोड़ देते हैं या पकड़ते हैं बुद्धि का काम है कोई
एक डिसीजन लेना निर्णय लेना अगर कोई व्यक्ति डिसीजन नहीं ले पा रहा है तो हम कह सकते हैं कि उसकी बुद्धि तेज नहीं है चित्त का काम है पास्ट इंप्रेशंस को यूज में लाना भूतकाल में हमने यदि चोर को पकड़ा हो और वह हमें मार कर भाग गया हो तो निर्णय लेते वक्त वह हमारे निर्णय को इन्फ्लुएंस करता है यह फंडामेंटली हार्ड डिस्क होता है हमारे अंतःकरण का आपने कई मूवीज में देखा होगा या कहीं सुना होगा तो उस मेमोरी को हम रिकॉल करते हैं और उसके हिसाब से जो प्रेजेंट मोमेंट का जो डिसीजन होता है उसको इन्फ्लुएंस करता है आपका पालन पोषण आपके दोस्त आपका जो जीवन है
कैसे आप ग्रो हुए हैं वह सारे मेंटल इंप्रेशंस चित्त में स्टोर होते हैं और वह इन्फ्लुएंस करते हैं मन को और बुद्धि को और चौथा है अहंकार मतलब चोर आप ही की तरफ दौड़ रहा था आपको पकड़ना है आपको बचाना है ये जो सेंस ऑफ ओनरशिप है आईनेस है उसको को अहंकार कहा जाता है अहंकार नहीं होगा तो आप डिस्क्रिमिनेट नहीं कर पाएंगे कि यह मेरे साथ हो रहा है कि किसी और के साथ हो रहा है और अहंकार जब बढ़ जाता है तो उसे घमंड कहा जाता है और इसलिए कई बार कहा जाता है कि हमें हमारा अंतःकरण शुद्ध करना चाहिए तो यह मन बुद्धि चित्त और अहंकार है वही असल में हमारा अंतःकरण है तो आज आपने
आपके अंतःकरण को जान लिया लेकिन आज हमें अंतःकरण का सबसे महत्त्वपूर्ण जो चित्त है उसको बड़े ही डिटेल में जानना है कहा जाता है कि इंसान की जब मौत हो रही होती है तो उसकी पूरी जिंदगी कुछ पल के लिए किसी फिल्म की तरह उसकी आंखों के सामने चलने लगती है यह बात सच है या नहीं यह बात तो हम नहीं जानते हैं लेकिन यह बात सच हो सकती है क्योंकि मरने के बाद चित्त जो है वह हमारे साथ आता है और चित्त के अंदर पूरी जिंदगी हमने जो कुछ भी किया है उन सभी अच्छे और बुरे कामों का इंप्रेशन स्टोर होता है चित्त एक ऐसी मेमोरी है जिसे किसी भौतिक चीज या पदार्थ की जरूरत
नहीं पड़ती हमारी बायोलॉजिकल मेमोरी से लेके हमारी मेंटल मन की जो मेमोरी है वो भी सारी मेमोरीज हमारे चित्त के अंदर होती है अगर हमारे अंदर यह सारी इंफॉर्मेशन नहीं रहेगी तो हम अपने फ्यूचर के बारे में प्लान नहीं कर पाएंगे इसीलिए यह चित्त का जो हिस्सा है यह हमारे लिए बहुत जरूरी है हम अपने पास्ट एक्सपीरियंस के बेसिस पर ही अपने फ्यूचर को प्लान करते हैं और अपने प्रेजेंट में भी उसी प्रकार से हम अपने आप को तैयार करते हैं और इसी के आधार पर हमारे कर्म और भाग्य का निर्माण होता है तो ऐसा जो हमारा चित्त होता है और उसमें जो इंप्रेशन स्टोर होते हैं उसके 12 आयाम
होते हैं और उन सबको जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है चित्त का पहला हिस्सा या आयाम है स्मृति स्मृति यानी कि मेमोरी स्मृति शब्द आपको समझ में आ ही रहा होगा कि स्मृति शब्द हम तब प्रयोग करते हैं जब हम किसी याद के बारे में बात कर रहे होते हैं हमारे जितने भी पास्ट एक्सपीरियंस हम अपने जीवन में जो भी करते आए हैं वह है हमारी स्मृति जो हमें याद रहती है और हमारी स्मृतियां ही हमारे करंट जो भी थॉट प्रोसेस है और जो भी एक्शंस है उन परे हमारी स्मृतियों का प्रभाव रहता है उदाहरण के तौर पर देखें तो अगर आप किसी व्यक्ति से दो-तीन साल पहले मिले और उस व्यक्ति के
साथ आपका अगर अनुभव अच्छा नहीं है अगर उस व्यक्ति ने आपका दिल दुखाया है तो जब भी भविष्य में आपको उस व्यक्ति से मिलना होगा तो आपके अंदर वह स्मृति जो बनी हुई है पहले की वह रहेगी और उस स्मृति की वजह से कहीं ना कहीं आपका जो प्रेजेंट मोमेंट है वह इफेक्टेड होगा हो सकता है कि आप उस व्यक्ति को जज करेंगे और आप यह सोचेंगे कि मुझे उस व्यक्ति से मिलने का मन नहीं है तो यहां पे जो आपकी स्मृति है वह आपको कहीं ना कहीं एक बायस थिंकिंग दे सकती है जिसकी वजह से आपका प्रेजेंट और आपका जो फ्यूचर है और उस व्यक्ति के साथ जो इक्वेशन है वो इफेक्टेड होगा चित्त का जो
दूसरा हिस्सा है व है संस्कार संस्कार का क्या मतलब है जैसे हम कहते ते हैं ना कि यह लड़का बहुत संस्कारी है या यह लड़की बहुत संस्कारी है तो संस्कार होता क्या है संस्कार बनता है हमारी आदतों से बचपन से लेकर हमारे जो भी अच्छी या बुरी आदतें होती है और वह आदतें दृढ़ हो जाती है तो वह होते हैं हमारे संस्कार संस्कार अच्छे भी हो सकते हैं और संस्कार बुरे भी हो सकते हैं संस्कारों से पता चलता है कि हमारे मन की कंडीशनिंग कैसे हुई है इसलिए कहा जाता है कि बच्चों को अच्छे संस्कार दे यानी कि उनमें अच्छी आदतें डाले जो दृढ़ बनकर संस्कार का रूप ले ले और इन
संस्कारों
की इंप्रेशन हमारे चित्त में स्टोर होती है और आपके जो भी अच्छे या बुरे संस्कार होंगे वह इस जन्म के साथ-साथ अगले जन्म में भी ट्रांसफर होंगे तो आप समझ सकते हैं कि संस्कारों का कितना महत्व है चित्त का तीसरा आयाम है वासना यानी कि बचपन से या फिर सिर्फ बचपन से ही नहीं लेकिन पास्ट लाइफ से भी हम कुछ इच्छाएं लेकर आते हैं और बचपन से भी हमारे मन के अंदर बहुत सारी इच्छाएं पनपती है कुछ इच्छाएं पूरी हो जाती है तो कुछ इच्छाएं बाकी रहती है और वह सारी इच्छाएं हमारी वासनाओं को जन्म देती है वासनाओं से हमारी जो प्रवृत्ति है झुकाव है वह समझ में आता
है हमारे सारे डिजायर्स को और एक्शंस को हमारी वासना एं चलाती है और वासनाओं की वजह से ही हमारी आदतों के दृढ़ होने में भी इसका प्रभाव दिखता है इसके बाद चित्त का चौथा आयाम है संकल्प संकल्प यानी कि रेजोल्यूशन रेजोल्यूशन के मदद से हम अपने फ्यूचर को प्लान कर सकते हैं हम अपने इंटेंशंस को डिफाइन कर सकते हैं रेजोल्यूशन की मदद से हमारा इंटेंट क्या है लाइफ में हम फ्यूचर में क्या करना चाहते हैं किस इंटेंशन से करना चाहते हैं तो अगर हम कोई संकल्प लेते हैं अपने जीवन में कि मुझे यह करना है तो वह हमारी मंशा को दर्शाता है और हमारे फ्यूचर डिसीजंस भी
हमारे संकल्प से प्रभावित होते हैं तो कोई भी अच्छा या बुरा काम करने का आपका जो संकल्प है वह आपके चित् के अंदर स्टोर होता है और उसका प्र भाव जन्मो जन्म रहता है इसके बाद चित्त का पांचवा आयाम है विकल्प विकल्प संकल्प से बिल्कुल उल्टा है संकल्प में आपके पास क्लेरिटी होती है कि मुझे यही करना है लेकिन विकल्प में आपके पास बहुत सारे ऑप्शंस होते हैं संकल्प आपको क्लेरिटी देता है तो विकल्प आपको कंफ्यूज करता है मान को कि आपको एक साथ तीन सरकारी नौकरियों के ऑर्डर मिले तो इसका मतलब है कि आपके पास तीन विकल्प है और आप निर्णय नहीं ले पा रहे हैं कि कौन
सी नौकरी करनी चाहिए क् क्यक विकल्पों ने आपको कंफ्यूज किया है यहां पर आपको अपने जीवन के लक्ष्य और अपनी पसंद के अनुसार कोई एक निर्णय लोग लेना होगा तो चित्त का एक आयाम आपको क्लेरिटी देता है तो दूसरा आयाम आपको कंफ्यूज भी करता है यह हमें याद रखना है इसके बाद चित्त का छठा जो आयाम है वह है क्लेश क्लेश का मतलब तो आप समझ रहे होंगे क्लेश मतलब झगड़ा द्वंद कोई भी किसी भी तरह का तनाव जो आपके माइंड में आ रहा है इसका सीधा-सीधा संबंध है इसका सफरिंग से आपके लाइफ में जो भी सफरिंग है जब भी आप परेशान हैं मतलब आप सफर कर रहे हैं और
इस सफरिंग का बहुत सारा रीजन हो सकता है इसका रीजन इग्नोर भी हो सकता है फियर भी हो सकता है इगो इजम भी हो सकता है अटैचमेंट भी हो सकता है और एवर्जन भी हो सकता है चित्त के इस आयाम से आपके जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है इसलिए जरूरी है कि क्लेश की तीव्रता को बढ़ने ना दे इसके बाद चित्त का सातवां आयाम है अविद्या अविद्या यानी कि इग्नोर इग्नोर से अज्ञान का सबसे से बड़ा कारण होता है लैक ऑफ अवेयरनेस यानी कि जीवन तो आप जी रहे हैं लेकिन आप पूरे तरीके से होश में नहीं है आप अवेयर नहीं है और जहां पे भी लैक ऑफ अवेयरनेस होगा वहां पे इग्नोर से आएगी फिर
आपका माइंड एक पोलराइज्ड तरीके से सोचने लगेगा आपके माइंड में कंडीशनिंग हावी हो जाएगा और फिर रूढ़ियों की वजह से आपका दिमाग जड़ हो जाएगा और इस जड़ को ही इग्नोर हैंस कहते हैं अज्ञान कहते हैं तो अगर इग्नोर हैंस से अज्ञान से हमें बचना है तो हमें अपने माइंड को हमेशा ओपन रखना होगा हर चीज को कंसीडर करना सीखना होगा हर चीज के पीछे जो ट्रुथ है उसे देखना होगा ट्रुथ को एज इट इज देखना होगा हम कोई भी फिल्टर लगा के अपने माइंड में ट्रुथ को नहीं देख सकते जो भी जैसा है उसको एज इट इज अगर हम देखना शुरू कर दें अवेयर रहना शुरू कर दें तो फिर हम अज्ञान से बच सकते
हैं इसके बाद चित्त का आठवां आयाम है अस्मिता अस्मिता यानी कि सेल्फ आइडेंटिफिकेशन जो हम खुद के साथ करते हैं हमारे माइंड में अपनी एक इमेज होती है एक सेल्फ रिस्पेक्ट होता है सेल्फ एस्टीम होती है जो कहीं ना कहीं ईगो से कनेक्टेड है यानी कि हमारी अपने खुद के साथ एक ईगो इक आइडेंटिफिकेशन जो हमें एक सेंस ऑफ इंडिविजुअलिटी देती है और इसकी वजह से हमें यह समझ में आता है कि हम दूसरों से अलग है तो यह कहीं ना कहीं यह ड्युअलिटी को द्वैत भाव को दर्शाती है अगर एक यूनिवर्सल पॉइंट ऑफ व्यू से देखा जाए तो मुझ में और आप में कोई फर्क नहीं है हम
अलग नहीं है लेकिन हमारी जो ईगो है हमारी जो अस्मिता है यह हमें बताती है कि मैं आपसे अलग हूं हालांकि यह सच नहीं है लेकिन यह इल्यूजन हमारा चित्त हमें देता है इसके बाद चित्त का नौवां आयाम है राग राग यानी कि अटैचमेंट किसी भी चीज से जब हम इस प्रकार का रिलेशन बनाते हैं जिससे हमें लगाव हो जाए और उससे जब हमारा अलगाव हो तो हमें तकलीफ हो तो उसे हम राग कहते हैं इसके बाद चित्त का दसवां आयाम है द्वेष द्वेष यानी कि राग का उल्टा यानी कि अगर किसी से हमें दिक्कत हो रही है किसी इंसान से या किसी व्यक्ति किसी वस्तु से भी तो वह द्वेष कहलाता है मान लीजिए आपके
पेरेंट्स बोल रहे हैं कि आपको एक इंसान से मिलने जाना है लेकिन वह इंसान आपको बिल्कुल भी पसंद नहीं है क्योंकि वह बहुत सारे उल्टे सीधे सवाल करेंगे आपसे तो यह जो एक्सपीरियंस आपको हो रहा है यह जो डिस्कंफर्ट आपको फील हो रहा है यह द्वेष के कारण हो रहा है जो भी इवेंट होने वाला है या जो भी इवेंट होगा इससे आप इससे आपका रेजिस्टेंस बढ़ रहा है आप रजिस्ट कर रहे हैं इस इवेंट के लिए यही जो फीलिंग है इसे हम द्वेष कहते हैं इसके बाद चित्त का 11वां आयाम है अभिनिवेश अभिनिवेश मतलब हमारी जो फियर ऑफ डेथ है मर जाने का जो डर है जिसकी वजह से हम इस मटेरियल वर्ल्ड में
सरवाइव कर पाते हैं यह जो चीज है यह हमारे अंदर सहज है अपने आप है कोई भी इंसान या जानवर या लिविंग बीइंग मरना नहीं चाहता इवोल्यूशन इस प्रकार से हुआ है लिविंग बीइंग्स का कि यह डर उनके अंदर होता ही है अगर आप आध्यात्मिकता में इवॉल्व होते रहेंगे तो यह डर भी आपके अंदर से निकल जाएगा जब आपको समझ में आ जाएगा कि आपके सेल्फ का ट्रू नेचर क्या है तो यह फियर भी आपके अंदर से निकल जाएगा और यह एडवांटेज सिर्फ ह्यूमन बीइंग्स को ही है एक ह्यूमन बीइंग ही यह रिलाइज करते हैं और इस फियर को अपने अंदर से निकाल सकते हैं इसके बाद चित्त का 12वां आयाम है मोक्ष यानी कि
( लिबरेशन लिबरेशन कैसे होता है लिबरेशन एक्चुअली चित्त का वो हिस्सा है जिसका एक्सेस एक एवरेज ह्यूमन बीइंग को नहीं है मोक्ष का डाटा भी हमारे चित्त के अंदर ही पड़ा होता है जो हमें हर जन्म में मोक्ष प्राप्ति की तड़प देता है और मोक्ष प्राप्ति तब तक नहीं हो सकती जब तक आपके साथ चित्त जुड़ा रहेगा और आत्मा के साथ चित्त तब तक जुड़ा रहेगा जब तक वह शुद्ध और पवित्र नहीं हो जाता और चित्र को शुद्ध और पवित्र करने के लिए महर्षि पतंजलि में हमें योग के आठ प्रकार की रास्ते बताए हैं जिसका प्रयोग कर हम चित्त की इन
12 वृत्तियों से बियोंड जा सकते हैं यदि आपके
चित्त के अंदर राग की इंप्रेस इश पड़ी हुई है द्वेष की इंप्रेशंस पड़ी हुई है अज्ञान की इंप्रेशंस पड़ी हुई है मृत्यु के डर की इंप्रेशंस पड़ी हुई है क्लेश वासना एं संकल्प विकल्प सही और गलत स्मृतियां इन सभी की इंप्रेशंस पड़ी हुई है तो आप अपने आप से प्रश्न करें कि क्या इन इन सभी चीजों से भरा हुआ मेरा चित्त ध्यान करते समय क्या स्थिर रह पाएगा क्या इन चीजों के साथ मेरी ध्यान धारणा और समाधि लग पाएगी क्या मैं इन सभी चीजों के रहते हुए ब्रह्मचर्य का पालन कर सकता हूं क्या मैं आध्यात्मिक बन सकता हूं क्या मैं सिद्धियों और शक्तियां प्राप्त कर सकता
हूं क्या मैं मोक्ष प्राप्त कर सकता हूं इसका उत्तर है बिल्कुल भी नहीं और यदि आप इन चित्त के इन 12 आयाम को जानकर उन्हें शुद्ध और पवित्र कर लेते हैं तो आप सिद्धियां शक्तियां और मोक्ष 100% प्राप्त करेंगे ही धन्यवाद
जो भी इन आयामों को समझ गया दुनिया उसके कदमों में झुक गई
Permalink: https://aghorijirajasthan.com/दुनिया-उसके-कदमों-में-झुक/
जो भी इन आयामों को समझ गया दुनिया उसके कदमों में झुक गई
Permalink: https://aghorijirajasthan.com/दुनिया-उसके-कदमों-में-झुक/