
बीकानेर: एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का शहर
बीकानेर, राजस्थान के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक ऐसा शहर है, जिसकी स्थापना एक ताने से प्रेरित होकर हुई थी। इस शहर की कहानी पंद्रहवीं सदी के जोधपुर के राजा राव जोधा और उनके बेटे राव बीका से जुड़ी है। यह कहानी न केवल राजस्थान के गौरवशाली अतीत की झलक देती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे एक वीर योद्धा ने वीरान रेगिस्तान को एक समृद्ध शहर में बदल दिया।
शुरुआत: राव जोधा का ताना और बीका की यात्रा
1465 में, जोधपुर के राजा राव जोधा के दरबार में उनके पुत्र राव बीका और चाचा रावत कांधल मौजूद थे। किसी बातचीत के दौरान, राव जोधा ने मजाक में कहा, “लगता है, तुम दोनों नया ठिकाना बसाने की योजना बना रहे हो।” यह बात राव बीका के मन में घर कर गई। उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया और जोधपुर छोड़कर अपने नए राज्य की स्थापना करने का निश्चय किया।
राव बीका ने 100 घोड़ों और 500 सैनिकों के साथ जोधपुर से प्रस्थान किया। उनका लक्ष्य था जांगल प्रदेश, जो उस समय लुटेरों और बलूचों के हमलों से त्रस्त था। यह इलाका रेगिस्तानी, बंजर और पानी की किल्लत से जूझ रहा था। लेकिन राव बीका की दृष्टि इसे एक समृद्ध राज्य में बदलने की थी।
मां करणी का आशीर्वाद
जांगल प्रदेश की ओर प्रस्थान करने से पहले, राव बीका ने मां करणी के पास जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। करणी माता ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा, “तुम्हारा राज्य तुम्हारे पिता के राज्य से भी बड़ा होगा।” यह वचन राव बीका और उनकी सेना के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया।
जांगल प्रदेश पर विजय
जांगल प्रदेश में प्रवेश करते ही राव बीका ने वहां के प्रमुख जाट सरदारों से संपर्क किया। उन्होंने नारो जाट और अन्य समुदायों को अपने साथ मिलाकर बलूचों के खिलाफ अभियान चलाया। स्थानीय समर्थन मिलने के बाद, राव बीका ने एक के बाद एक ठिकानों को जीतते हुए पूरे जांगल प्रदेश पर अधिकार कर लिया।
1472 में, राव बीका ने कोडमदेसर को अपनी राजधानी बनाया। यहां उन्होंने भैरों जी के मंदिर की स्थापना की। यह वही स्थान था जहां भैरों जी की मूर्ति को लाकर स्थापित किया गया था। बाद में, 1485 में, राव बीका ने राती घाटी में बीकानेर किले की नींव रखी और 1488 में बीकानेर नगर बसाना शुरू किया।
बीकानेर: व्यापार का नया केंद्र
बीकानेर नगर की स्थापना के बाद यह व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। मुल्तान से दिल्ली जाने वाले व्यापारियों के लिए बीकानेर एक सुरक्षित मार्ग के रूप में उभरा। व्यापार से प्राप्त कर ने बीकानेर राज्य को समृद्ध बनाया। इसके साथ ही, हरियाणा और अन्य क्षेत्रों से व्यापारी बीकानेर में बसने लगे। इनमें अग्रवाल, माहेश्वरी और विजयवर्गीय समुदाय के लोग प्रमुख थे।
इन व्यापारियों ने अपने लाभ से भव्य हवेलियां बनवाईं, जो आज भी बीकानेर और शेखावाटी क्षेत्र में देखी जा सकती हैं।
राव बीका और जोधपुर
राव बीका ने अपने पिता राव जोधा के सम्मान को हमेशा बनाए रखा। एक बार, जब जोधपुर के राजा राव सुत्ता ने राव जोधा के पूजा पात्र बीकानेर भेजने से इनकार कर दिया, तो राव बीका ने अपनी सेना के साथ जोधपुर पर चढ़ाई की। हालांकि, इस विवाद को उनकी दादी जसमा देवी ने सुलझाया। उन्होंने राव बीका को उनके पिता की पूजा की वस्तुएं सौंप दीं। राव बीका बिना किसी नुकसान के वापस लौट आए।
राव बीका का अंतिम युद्ध और उनकी विरासत
राव बीका ने अपने जीवन में कई युद्ध लड़े और हर बार विजयी रहे। उनके अंतिम युद्धों में से एक रेवाड़ी का था, जिसमें उन्होंने दिल्ली के सुल्तान सिकंदर लोदी की सेना को हराया। उनकी मृत्यु 17 जून 1504 को मात्र 66 वर्ष की आयु में हुई। उनके साथ उनकी कई रानियां सती हुईं।
राव बीका द्वारा स्थापित बीकानेर आज राजस्थान का एक महत्वपूर्ण शहर है। यह शहर अपनी राजस्थानी संस्कृति, परंपराओं और विरासत को संजोए हुए है। राव बीका की दूरदर्शिता और वीरता की कहानियां आज भी यहां के लोगों की जुबान पर हैं।
बीकानेर का आधुनिक महत्व
बीकानेर को “हजार हवेलियों का शहर” कहा जाता है। यहां का जूनागढ़ किला, भांडेश्वर जैन मंदिर, करणी माता मंदिर और गंगा नहर इसके प्रमुख आकर्षण हैं। बीकानेर का कैमल फेस्टिवल और गंगौर उत्सव दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं।
इसके अलावा, महाराजा गंगा सिंह के कार्यकाल को बीकानेर के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। उन्होंने छप्पनिया अकाल के दौरान गंग नहर बनवाकर पूरे राजस्थान को जीवनदान दिया। उनकी प्रशासनिक कुशलता और दूरदर्शिता ने बीकानेर को आधुनिक युग में भी एक प्रमुख स्थान दिलाया।
निष्कर्ष
बीकानेर केवल एक शहर नहीं, बल्कि वीरता, परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। राव बीका की दूरदर्शिता और साहस ने इसे राजस्थान के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक बना दिया। यह शहर आज भी अपने गौरवशाली इतिहास और समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है। यदि आप राजस्थान की आत्मा को महसूस करना चाहते हैं, तो बीकानेर की यात्रा अवश्य करें।
संदर्भ: यह लेख ऐतिहासिक तथ्यों और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। यदि आप बीकानेर की यात्रा कर रहे हैं, तो यहां की हवेलियों, किलों और उत्सवों का आनंद अवश्य लें।
बीकानेर: एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का शहर Bikaner: A historical and cultural heritage city
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