हर समय भगवान की पूजा करने वाले दुखी और परेशान क्यों रहते… भगवान क्या संकेत उन्हें देते हैं?
कलयुग जैसे दौर में बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जो मन से पूजा पाठ करते हैं ज्यादातर लोग तो अपनी लाइफ में बिजी ही रहते हैं उनके पास पैसा कमाने के अलावा कोई दूसरा काम है ही नहीं उन्हीं में से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पूजा पाठ भी करते हैं लेकिन फिर भी वो दुखी रहते हैं अब सोचिए जो नहीं कर रहा वो तो खुश है लेकिन जो पूजा करने वाला है वो दुखी है तो इसका मतलब क्या हुआ आपकी मन में सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर ऐसा क्या है और ऐसा क्यों है क्यों पूजा करने वाला दुखी रहता है कहते हैं इस बात का आंसर खुद श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को दिया दरअसल एक बार अर्जुन भगवान कृष्ण से पूछते हैं हे माधव ज्यादातर पूजा पाठ करने वाले हमेशा दुखी परेशान क्यों रहते हैं और जो पूजा नहीं करता ना ही भगवान को याद करता है वो बड़ी ही खुशी के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है और तो और बुरे कामों में लगे रहता है इसके पीछे अब क्या वजह है
आप मुझे बताइए तब श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को एक कहानी सुनाई थी जो कुछ ऐसी थी एक गुरु के दो चेले थे दोनों एक जैसे ही थे लेकिन उनमें ये फर्क था कि एक भगवान में भरोसा रखता था तो दूसरा बिल्कुल नास्तिक था उसे भगवान पूजा पाठ में बिल्कुल भरोसा नहीं एक जहां पूजा पाठ भजन कीर्तन होते थे वहां दौड़ के जाता था और भगवान की भक्ति में खो जाता था दूसरा शराब पीता दूसरी औरतों के साथ गंदा व्यवहार करता रिश्ता बनाता सारी गंदी आदतें उसी के अंदर थी एक बार बुरा शिष्य शराब के नशे में दुत बहकते हुए चला जा रहा था तभी उसे अचानक से पैसों का एक भरा बैग नहीं अब पैसों से भरा बैग किसी को भी मिलता वो खुशी से पागल हो जाता तो ऐसे में वो शिष्य भी खुशी से झूमने लग जाता है फिर वो जोर-जोर से चिल्लाकर सबको बताने लग कि मुझे तो पैसे के भरी थैली मिली है मेरी जिंदगी में अब मजे मजे होंगे मेरा तो जीवन ही सफल हो गया अब ऐसे में इन पैसों से मैं आराम करके जिंदगी जिऊंगा जो मन करेगा वो खरीदूंगा अब इधर अच्छे वाला शिष्य जो है
व मंदिर से पूजा पाठ करके लौट रहा है तभी अचानक से उस बेचारे के पैर में कील खुस गई जिस उसके बाद वो दर्द से कहरा उठा उसके पैर से खून बहने लगा उसी टाइम वो दूसरे वाला शिष्य यानी शराबी वाला वो वहां पहुंचा और बोलने लगा अरे तुम ही हो ना वो जो दिनों रात भगवान की भक्ति में डूबे रहते हो क्या हुआ पूजा पाठ करके तुम्हारे भगवान ने यह सिला दिया मैं तो कभी पूजा पाठ करता नहीं मेरे घर में ना कोई मंदिर है ना कभी मैं मंदिर जाता हूं भगवान के सामने कभी माता तक नहीं टेकता ना कभी कोई भजन कीर्तन करवाया फिर भी मैं कितना संपन्न हूं मैं तुम्हें कितना ज्यादा अमीर हूं मेरे पास पैसों की कोई कमी नहीं है तुमसे अच्छी जिंदगी तो मैं ही जी रहा हूं अच्छे शिष्य को उसकी बात कांटे की तरह छुप मिले लेकिन उसके मन में एक और ख्याल यह आया कि वैसे ये सही तो कह रहा है मैं इतनी पूजा पाठ करता हूं
तो मेरे साथ ऐसा हुआ और वो तो कुछ भी ऐसा नहीं करता तो वो कितना खुश रहता है अब ये सब सोचते हुए वो अपने गुरु के पास जाता है और उसने यही उनसे वो सवाल पूछा था कि तब उसके गुरु कहते हैं भगवान जो भी करते हैं वो अच्छे के लिए ही करते हैं भगवान हर इंसान को उसकी योग्यता के हिसाब से ही फल दे तुम अपने सवालों का उत्तर खुद ही जानते हो भगवान ने उसे पैसों से भरी झोली क्यों दी और तुम्हारे पैर में कील क्यों चु पाई तो सुनो तुमने अपने पिछले जन्म में बहुत से बुरे कर्म किए थे आज तुम्हारी मौत होने वाली थी लेकिन तुम बच गए क्योंकि तुम मंदिर से लौट रहे थे तुमने वहां जाकर भगवान की पूजा की इसलिए तुम्हारी मौत नहीं हुई बल्कि एक छोटी सी कील तुम्हें चुपी रही बात तुम्हारे दोस्त की तो उसने अपने पिछले जन्म में बहुत से ऐसे कर्म किए थे एक एक तरह से कह सकते हैं कि वह संत था उसे इस जन्म में कई करोड़ों की संपत्ति मिलने वाली थी लेकिन उसके गलत कर्मों की वजह से उसे थोड़े से ही पैसे मि अब ऐसे में अपनी किस्मत या भगवान को दोष देने से कुछ नहीं होगा तुम्हें जो भी मिल रहा है
वो अपने कर्म के हिसाब से मिल रहा है तुम काम अच्छा करोगे खुद बखुदा पूजा करने वाले लोग दुखी किस वजह से रहते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ज्यादा पूजा पाठ करने से क्या होता है फायदा या नुकसान जैसा कि सभी को पता है कि पूजा पाठ हमें थोड़ी देर के लिए मन की शांति तो देती ही है लेकिन कुछ समय बाद वही बेचैनी हमारे अंदर फिर से खड़ी हो जाती है ऐसे में आदमी इस परेशानी में पड़ जाता है कि पूजा पाठ का सच में फायदा होता भी है या नहीं देखिए परेशानी पूजा पाठ में नहीं बल्कि दिक्कत हमारे अज्ञान में है जी हां जैसे कि हमें यह नहीं पता होगा या फिर ये ज्ञात नहीं होगा हवन भजन कीर्तन भक्ति ये सब क्या है लेकिन फिर भी हम इन चीजों को करते हैं इसलिए अगर आप घर में यज्ञ करवाते हैं सुबह शाम पूजा पाठ करते हैं तो उससे पहले यह जान तो लीजिए कि कम से कम शास्त्रों से यज्ञ से क्या मतलब है यज्ञ में आग का क्या महत्व है क्या यज्ञ में लकड़ी और घी जलाने से आपकी लाइफ में शांति आएगी अगर आप बस पंडितों के कहने पर घर में यज्ञ करवा लेते तो यह सच में यज्ञ का मतलब नहीं होता और जब मतलब ही नहीं होगा तो क्या यज्ञ आपके क्या काम आएगा ये कभी सोचा है आपने नहीं उसके लिए पहले आपको यज्ञ का सही महत्व जानना होगा वो भी किसी हिंदू पुराण या ग्रंथ से ताकि आप इसको करवाने के फायदे जान ले अब जानते हैं पूजा पाठ कब नुकसान देह होता है देखिए आज की जनरेशन धर्म के नाम से दूर भागती है वो पूजा पाठ भक्ति हवन जैसे शब्दों को सुनना नहीं चाहती सच में ऐसा क्या हुआ कि जो भारत एक धार्मिक देश कहलाता था
जहां पर बड़े-बड़े ऋषि और संतों का जन्म हुआ उसी जमीन पर जन्म लेने वाले लोग धर्म से ही दूर होने लगे तो बता दें कि इसके पीछे एक बड़ी वजह है धर्म का अंधानुकरण यानी बिना जाने पूजा पाठ करते-करते यह हालात पैदा हो जाते हैं कि अब एक पीढ़ी धर्म से दूर ही होने लगी है उसे पता चल गया कि जो पूजा पाठ हमारे घरवाले या पूर्वज करवाते थे उनसे उन्हें तो सच में कोई फायदा हुआ नहीं है तो भला हम क्यों करें ये सब वो सभी बचपन से देखते आ रहे हैं कि दादी नानी घंटी बजा आकर पूजा पाठ कर रही हैं लेकिन दूसरी तरफ उनका ध्यान घर के कामों में लगा हुआ है तो वह समझ जाते हैं कि आखिर यह सब क्या ही चल रहा है इसलिए जब धर्म को हम समझते नहीं
धार्मिक कामों की इंपॉर्टेंस हम जानते नहीं बस निभाते रहते हैं तो इसका रिजल्ट आखिर में यही निकलता है कि फिर एक पूरी की पूरी पीढ़ी अपने धर्म से दूर हो जाती है अब जान लेते हैं कि पूजा पाठ कब लाभदाई होता है देखिए पूजा पाठ तभी फलदाई होता है जब हम धार्मिक क्रियाओं का महत्व जाने कोई भी धार्मिक काम को हम फॉलो करें इससे पहले यह समझे कि इसका मोटिव क्या है अगर आप धर्म नहीं जानते तो भला आपकी पूजा पाठ किस काम आने वाली है क्योंकि फल आपको मिलेगा अब सोचिए अगर आप घर में यज्ञ करवाते हैं
दिमाग में यह बात लेकर कि यज्ञ में लकड़ी जलाकर हवा को शुद्ध कर देगी तो इससे आप भला किसको बेवकूफ बना रहे हैं वैसे ही पर्यावरण में इतना प्रदूषण बढ़ता जा रहा है लेकिन सच में यज्ञ का मतलब खुद की आहुति देना यानी अपने ज्ञान ऊर्जा समय पैसे आदि सभी रिसोर्सेस को किसी सही काम में झोंक देना ताकि सीधा आपके दुखों से आजादी आपको मिले और भगवान से मिलन हो सके यही होता है यज्ञ का असली मतलब और फायदा इसी तरह अगर आप कृष्ण राम की मूर्ति के सामने हाथ जोड़ लेते हैं और समझेंगे कि भगवान आपको आशीर्वाद देंगे तो ऐसा करने से कोई फायदा नहीं होगा फायदा आपको तब होगा जब आप भगवान राम का योग वशिष्ठ सार पढ़ेंगे और कृष्ण जी की भगवत गीता में लिखी बातों को समझेंगे देखिए सभी को पता है कि मूर्ति बस एक इशारा मात्र होती है उनका मोटिव हमें सही जिंदगी जीना सिखाना होता है लेकिन हम लाइफ बेकार जीते हैं और मूर्तियों के सामने तुरंत हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं यही नहीं ऐसे भी लोग हैं जो मंदिर जाते हैं और वहां जाकर अपनी इच्छा को पूरी करने की प्रार्थना करते हैं लेकिन असलियत में मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया था क्योंकि वहां जाकर आदमी अपना मन साफ कर लेकिन हमारे लिए उल्टा हो गया हमारा मन साफ होने के बदले हम मंदिरों को अपनी इच्छा पूरी करने का एक साध बना लेते हैं जो बिल्कुल सही नहीं है इसलिए वहां जाएं तो सच्चे मन से दुनिया के मोह की साइड में रखकर पूजा करें इसी के साथ आपको यह भी बता दें कि क्या पूजा कीर्तन करना जरूरी है या फिर नहीं देखिए कहते हैं कि पूजा कीर्तन की इंपॉर्टेंस आपको शांति सच्चाई और सहजता तक लेकर जाना है
आप ये देखिए जिस तरह परिवार में पूजा करते हैं उससे आपकी लाइफ में कुछ बदलाव हो भी रहा है या नहीं सुबह शाम तक पूजा करने के बाद भी ज्यादातर लोगों की लाइफ और मन में कुछ खास चेंजेज नहीं आते ऐसे में यहां समझना यह जरूरी हो जाता है कि आम संस्कृति में जो पूजा चली आ रही है उसी तरह से आप भी पूजा करें अगर रोज की आरती और पूजा में आपको कुछ खास मन नहीं लग रहा तो अब समय है कि आप असली पूजा करें अब आप सोच रहे होंगे कि असली पूजा क्या क्या आप इतने टाइम से नकली पूजा करते आ रहे हैं कोई नहीं हम आपको बताते हैं एक एग्जांपल के तौर से जैसे कि सभी को पता है कि महान कवि कबीर दास राम जी के बड़े भक्त थे उन्होंने अपने जीवन ही उन्हीं को समर्पित कर दि दिया लेकिन उनका एक दोहा जिससे आप हमारी बात समझ जाए जो कुछ ऐसे है कि माला जप ना कर जप और मुख से कहे ना राम राम हमारा हमें जप रे कबीरा हम पायो विश्राम इसका मतलब है कि अब कबीर दास का उठना बैठना सारे काम राम जी के आदेश पर है तो मैं क्या राम के नाम की माला जपूं या मुंह से राम राम कहूं अब तो राम ही हमें जपता है हमें राम नाम कहने से भी मुक्ति मिल गई लेकिन कबीर दास के य शब्द आम लोगों के लिए हैं जी हां हमारे अंदर तो कई सारा डर लालच और अज्ञान है हमें यह बात नहीं कह सकते लेकिन कबीर जी जिन्होंने भले कभी आरती की थाली से भगवान राम की पूजा ना की हो फिर भी उन्होंने अपना पूरा जीवन ही प्रभु राम को सच को समर्पित कर दिया है इसलिए राम जी के लिए अपनी भक्ति में वो यह कह देते हैं कि अब बहारी तौर पर उन्हें पूछने की जरूरत नहीं क्योंकि उनके अंदर ही भगवान राम बैठे हैं ऐसे में आपके लिए पूजा और कीर्तन वो है जब हमारा सभी तरह का डर लालच आलस के सामने नहीं बल्कि बस सच के सामने यानी राम जी के सामने झुकेगा तब समझ लीजिएगा कि असलियत में अब हम प्रभु राम के भक्त हो गए फिर आप बाहरी तौर पर पूजा कीर्तन करें या ना करें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा वहीं इस बात को भगवान कृष्ण भी कहते हैं कि सारे धर्मों को छोड़ तू मेरी शरण में आ एक बार आप कृष्ण जी को समर्पित हो गए फिर उनकी बातों से ही ही आपका जीवन सफल हो जाएगा
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