शिवपुराण की ये 5 चीजें कर लोगे तो नरक नहीं जाना पड़ेगा

क्या आप जानते हैं शिवपुराण में कुछ ऐसी बातों के बारे में बताया गया है जिनको जान लेने से कभी भी यमलोक का मुंह नहीं देखना पड़ता लेकिन सोचने वाली बात है कि वह कौन सी बातें हैं दोस्तों शिव पुराण में बताया गया है कि गलत इंसान हमेशा ही भगवान शंकर के प्रकोप का भागीदारी होता है और कभी भी सुखी जीवन नहीं बिता पाता यहां तक कि आप अपने मन में जो कुछ भी सोच रहे होते हैं वह भी परमात्मा को पता होता है इसलिए भले ही बात और आचरण में आपने किसी को तकलीफ ना पहुंचा हो लेकिन अगर आपके मन में किसी के प्रकार की कोई गलत भावना या फिर आपने किसी के बारे में नकारात्मक सोचा हैशिवपुराण की ये 5 चीजें कर लोगे तो नरक नहीं जाना पड़ेगा


तो यह भी आपको पाप की श्रेणी में ही ले जाता है वहीं कहा गया है कि दूसरों के पति या पत्नी पर पूरी नजर रखना या उसे पाने की अभिलाषा करना तक पाप माना जाता है ऐसा करना तो दूर इंसान को इस बारे में सोचने तक से पाप लग जाता है इसलिए मन में पराई स्त्री या पुरुष के लिए अच्छी भावना ही रखनी चाहिए यही मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है जो भी ऐसा करता है या सोचता भी है उसे से नर्क में पहले भड़िया फिर कुत्ता गिद सियार सांप कौवा और आखिर में बगुले की योनि मिलती है इन सब जन्मों के बाद अंत में उसे मनुष्य योनि मिलती है इतना ही  नहीं हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि गुरु माता-पिता पत्नी या पूर्वजों का अनादर कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए शिव पुराण में ऐसा करने वाले को पाप का हिस्सेदार बताया गया है अपने व्यवहार को अच्छा रखते हुए आदर के साथ सबसे बात करनी चाहिए गुरु और बड़ों का सम्मान करने वाले को जीवन में सही स्थान मिलता है


वहीं शिव पुराण की माने तो शराब पीना गुरु की पत्नी पर नजर रखना दान की हुई चीजों या फिर धन वापस लेना महापाप माना जाता है ऐसे पाप करने वाले को भगवान भोलेनाथ कभी माफ नहीं करते इसलिए ऐसे कार्यों से मनुष्य को दूर ही रहना चाहिए कहते हैं सुरा पान करने वाले मनुष्यों से ईश्वर कभी खुश नहीं रहते उनके जीवन में परेशानियां हमेशा दस्तक देती रहती हैं शराब पीने और पिलाने वाले मनुष्य को विलेपन नामक नर्क में यात्राएं दी जाती हैं इसके साथ ही हमें हमेशा अपनी मेहनत से कमाया हुआ धन का उपयोग करने के बारे में सोचना चाहिए दूसरों के धन को अपना बनाने की लालसा रखने वाले भी भगवान शिव की नजर में घोर अपराधी और पापी हैं दूसरों के धन पर अपना अधिकार करना और उसे पाने की चाहत रखना भी इंसान को नर्क में ले जाता है इतना ही नहीं शिव पुराण की माने तो गलत तरीके से दूसरे की संपत्ति हड़पना ब्राह्मण के घर या मंदिर की चीजें चुराना या गलत तरीके से अपनाना भी पाप की श्रेणी में ही आता है


ऐसा करना तो दूर मन में सोचना भी नहीं चाहिए वहीं किसी सीधे-साधे इंसान को परेशान करना कष्ट पहुंचाना उसकी धन संपत्ति लूटना या उसके लिए योजना बनाना यह सब करने वाले को भोलेनाथ की नजरों में पाप का भागीदार माना जाएगा दोस्तों शिव पुराण के मुताबिक जिस तरह आप किसी का बुरा ना करने के बाद भी उसके लिए बुरी सोच रखते हैं तो आप पाप के हकदार हैं और दंड की श्रेणी में आ जाते हैं उसी तरह भले ही आपने अपने काम से किसी का गलत ना किया हो लेकिन आपकी बोली अद आपको पापों का हिस्सेदार बना सकती है यानी किसी के लिए आप शब्द का इस्तेमाल ना करें और किसी से ऐसी बात ना बोलें जिससे उसे बुरा लगे और कष्ट पहुंचे वहीं कहा गया है कि किसी गर्भवती महिला या मासिक के समय किसी महिला को कटु वचन कहना या अपनी बातों से उसका मन आघात करना भोलेनाथ की नजरों में अपराध और महापाप है गर्भवती महिलाओं का दिल बहुत ही कमजोर होता है ऐसे में उनसे कोई भी ऐसी बात नहीं करनी चाहिए जिससे कभी उनका दिल दुख जाए ऐसे उनके होने वाले बच्चे पर भी गलत असर पड़ सकता है ऐसी घड़ी में किसी महिला से गलत व्यवहार करने पर आप दो गुना पाप के भागी बनते हैं अच्छा दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि यमलोक  की इन यातनाएं से बचा कैसे जा सकता है जब कोई भी पापी मनुष्य की आत्मा वैतरणी नदी में जाती है तो वो नदी खोलने लगती है कहते हैं इस नदी को एक नाव के सहारे ही पार किया जा सकता है और नाव को चलाने वाला एक प्रेत होता है जो उस आत्मा से यह सवाल करता है कि आखिर तुमने ऐसा क्या पुण्य किया है


जो मैं तुम्हें यह नदी पार कराऊं आपको बता दें कि जो जिस इंसान ने अपनी जिंदगी में गौ दान किया होता है सिर्फ वही इस नदी को आसानी से पार कर सकते हैं बाकी आत्माओं को यमदूत नाक में कांटा फसाकर घसीटते हुए ले जाती हैं इसके अलावा हमारे शास्त्रों में और भी कई व्रत बताए गए हैं जिनको करके मनुष्य यमराज की यातना हों से बच सकता है क्योंकि इन व्रतों को करने से गोदान के बराबर ही फल मिलता है उनमें से एक है वैतरणी गोदान यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण दान माना जाता है वैसे तो इस दान में मृत्यु के समय व्यक्ति को गाय की पूंछ पकड़ा या स्पर्श कराई जाती है लेकिन अगर ना ऐसा हो पाए तो मरने वाले इंसान को गाय का ध्यान करवाकर उसके सामने वैतरणी गोदान मंत्र करना चाहिए इससे उसकी आत्मा को वैतरणी नदी में मिलने वाली यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती दरअसल इंसान को उसके कर्मों अनुसार नर्क में ढकेल दिया जाता है इसलिए कहा जाता है जो जैसा करेगा वो वैसा  भरेगा इन नर्कोडुरु वेदों का पालन करने की सलाह देते हैं


साथ ही इस दौरान मनुष्य को भगवान विष्णु या फिर श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करना जरूर चाहिए इसके अलावा गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र भी नर्क की यातना हों से बचने में मदद करते हैं शास्त्रों के अनुसार जीते जी जो इंसान एक नीम एक पीपल तीन कैथ तीन बेल तीन आंवला पांच आम और 10 इमली का पेड़ लगाता है मरने के बाद उसकी गिनती पुण्य आत्माओं में ही जाती है और उसे कभी नर्क के दर्शन नहीं करने पड़ते इसके अलावा नर्क चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण हनुमान जी और काली माता की विधि विधान से पूजा करने से भी नर्क लोक जाने से बचा जा सकता है वहीं हमारे शास्त्रों में पाप अंकुश व्रत के बारे में भी बताया गया है जिसको करने से यमलोक में यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती पुराणों की माने तो अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है और इसका मतलब होता है पापों पर अंकुश लगाने वाली एकादशी सरल भाषा में कहें तो पापों पर रोक लगाने वाली एकादशी पापांकुशा एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को बैकुंठ धाम की प्राप्ति हो होती है क्योंकि इस व्रत में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है अगर आप इस दिन मौन रहकर भगवत स्मरण करते हैं या प्रभु का वचन कीर्तन करते हैं तो यह बहुत ही मंगलकारी होता है


इससे आपको जीते जी तो फायदा होता ही है साथ ही मरने के बाद भी दर्द सहने से बचाता है पाप अंकुश एकादशी का व्रत करने वाले को कई अश्वमेध और सूर्य यज्ञ करने के बराबर ही फल मिलता है इसलिए हर मनुष्य को यह व्रत जरूर करना चाहिए वहीं दोस्तों अगर किसी मृतक के परिवार वाले उसकी आत्मा की शांति या मोक्ष प्राप्ति के लिए कुछ करना चाहते हैं तो धर्मशास्त्रों में इसके बारे में भी विस्तार से बताया गया है अब ये तो आप सब जानते हैं कि हमारे सनातन धर्म में गीता रामायण और वेद पुराणों की भरमार है ऐसे में अगर मृतक के परिजन उसके नाम से यह धार्मिक ग्रंथ किसी को भेंट करती हैं इसके अलावा मृत व्यक्ति के नाम से अस्पताल में व्हील चेयर का दान करना भी अच्छा माना जाता है क्योंकि उसे एक चेयर से ना जाने कितने लोगों की मदद होती है ऐसे में उस चेयर में बैठने वाला इंसान जब दुआएं देता है तो वह जरूर काम आती है और इससे व्यक्ति के अच्छे कर्म और बढ़ जाते हैं आपको पता होगा शिक्षित होना और दूसरों को करना बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है क्योंकि शिक्षा से ही इंसान को ज्ञान मिलता है और ज्ञान के सहारे व्यक्ति दुनिया बदलने की क्षमता रखता है ऐसे में अगर आप मृतक के नाम पर किसी अनाथ को शिक्षित करने का काम करते हैं तो इससे बड़ा पुण्य कुछ नहीं माना जाता क्योंकि जब किसी एक इंसान को पढ़ाते हैं तो सिर्फ वह एक व्यक्ति नहीं बल्कि उससे मिलने वाले कई लोगों को उसका फायदा मिलता है ऐसे में किसी अनाथ की शिक्षा प्राप्ति में मदद करने से अच्छा और क्या ही हो सकता है अब जानते हैं कि आखिर यमलोक तक कोई आत्मा कैसे पहुंचती है मित्रों पुराणों के अनुसार जब भी किसी मनुष्य की मृत्यु होती है या आत्मा शरीर को त्याग करर अपनी यात्रा शुरू करती है तब इस दौरान उसे तीन तरह के रास्ते मिलते हैं


उस आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा यह केवल उसके कर्मों पर ही निर्भर होता है यह तीन मार्ग हैं अर्च मार्ग धूम मार्ग और उत्पत्ति विनाश मार्ग अर्च मार्ग ब्रह्म लोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है धूम मार्ग पितृलोक की यात्रा के लिए और उत्पत्ति विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए लेकिन इन सभी मार्ग से गई आत्माओं को कुछ काल अलग-अलग लोक में रहने के बाद भी दोबारा से मृत्युलोक में आना ही पड़ता है इतना ही नहीं अधिकतर आत्माओं को यहीं जन्म लेना और यहीं मरकर पुनः जन्म लेना होता है इसके अलावा यजुर्वेद में यह कहा गया है कि शरीर छोड़ने के बाद जिन्होंने तब ध्यान किया है वह ब्रह्म लोक चले जाते हैं अर्थात ब्रह्मलीन हो जाते हैं कुछ सत्कर्म करने वाले मनुष्य स्वर्ग लोक चले जाते हैं स्वर्ग अर्थात वे देव बन जाते हैं राक्षसी कर्म करने वाले कुछ प्रेत योनि में अनंत काल तक भटकते रहते हैं या कुछ दोबारा धरती पर जन्म ले लेते हैं और हां जन्म लेने वालों में भी यह जरूरी नहीं है कि वह मनुष्य योनि में ही जन्म ले और अंत में आत्मा 17 दिनों तक यात्रा करने के पश्चात 18वें दिन यमपुरी पहुंचती है ज्ञानी से ज्ञानी आस्तिक से आस्तिक नास्तिक से नास्तिक और बुद्धिमान से बुद्धिमान व्यक्ति को भी नर्क का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि ज्ञान और विचार से यह तय नहीं होता कि आप कैसे हैं किसी भी धर्म देवता और पित्रों का अपमान करने वाले तामसिक भोजन करने वाले पापी क्रोधी व्यक्तियों को नर्क में भेजा जाता है किसी भी पापी इंसान को पहले धरती पर नर्क तो झेलना पड़ता ही है फिर मरने के बाद भी उसके पाप अनुसार उसे यमलोक में अलग-अलग जगह कुछ समय बिताना पड़ता है इसलिए कहा जाता है दोस्तों कि किसी का बुरा नहीं करना चाहिए वहीं गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जिन आत्माओं को स्वर्ग में स्थान मिलता है उन्हें यमराज स्वयं अपने भवन से स्वर्ग के द्वार तक छोड़ने जाते हैं जहां अप्सराएं उनका स्वागत करती हैं


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