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हर बात पर चिंता करने वालें जरुर सुनें ये कहानी Aghori Ji Rajasthan

एक बार की बात है एक राज्य में बहुत ही पराक्रमी सम्राट रहा करता था उसकी प्रजा उससे बहुत संतुष्ट रहती थी वहीं पूरे राज्य में उसकी वाहवाही हुआ करती थी सब उसको अब तक का सबसे महान सम्राट माना करते थे उस सम्राट का एक बेटा भी था जो अपने पिता की तरह ही महान बनना चाहता था लेकिन अच्छा उत्तराधिकारी बनने के चक्कर में वह कई बड़े गलतियां कर देता था और फिर यह सोचकर चिंतित रहता कि लोग मेरे बारे में क्या ही सोचेंगे अपनी इसी आदत के चलते वह कई बार परेशान और हताश हो जाता है उसी राज्य में एक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षुक भी रहा करते थे जो अपनी बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाते थे उनके बहुत से शिष्य भी थे एक दिन राजकुमार उनसे मिलने उनके आश्रम गए और उनको अपने मन का पूरा हाल सुनाया इसके साथ ही उसने कहा कि आप मुझे कोई ऐसा तरीका बताइए जिससे मैं अपने मन को वश में कर सकूं और अपने मन को शांत कर सकूं तभी



बौद्ध भिक्षुक

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बौद्ध भिक्षुक  ने कहा कि यह काम बहुत कठिन है क्या आप इसकी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं राजकुमार बड़े घमंड भरे स्वर में कहते हैं कि मैं कोई भी कीमत चुका सकता हूं आखिर मैं सम्राट का बेटा हूं यह सुनकर बौद्ध भिक्षुक ने कहा नहीं नहीं तुम गलत समझ रहे हो मैं धन की बात नहीं कर रहा बल्कि मैं तुमको एक काम दूंगा जो बिना कोई  प्रश्न पूछे बस करना पड़ेगा राजकुमार ने उनकी बात मानने के लिए हामी भर दी जिसके बाद बौद्ध भिक्षुक ने कहा कि तुम पैदल चलकर बाजार तक जाओ और कबाड़ी की दुकान से लोहा खरीद कर लाओ तभी राजकुमार ने कहा कि क्या मैं इस काम के लिए अपने किसी नौकर को भेज सकता हूं लेकिन बहुत भिक्षुक ने मना करते हुए कहा कहा कि अगर तुमको अपनी समस्या का समाधान चाहिए तो जो मैं कह रहा हूं बस वो करते जाओ जिसके बाद वह बाजार के लिए निकल जाता है और रास्ते में उसके दिमाग में कई तुरह की सवालों की सुनामी आने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि मैं फालतू ही इन सब के चक्कर में पड़ गया  बाजार में सब मुझे मेरे कपड़े से पहचान ही लेंगे और कहेंगे कि सम्राट का बेटा होकर पैदल बाजार आया है लोग पीठ पीछे मेरा मजाक उड़ाएंगे यह सब सोचते-सोचते खैर वह कबाड़ी की दुकान तक पहुंचा और वहां जल्दी-जल्दी घबराहट के साथ लोहा खरीदने लगा लोहा बहुत गंदा था जिससे उसके कपड़े गंदे हो गए अब वो तो और भी परेशान हो गया कि लोग क्या सोचेंगे जिसके बाद उसने अपने कदमों की रफ्तार बढ़ाई और जल्दी से बौद्ध भिक्षुक के पास पहुंच गया व उसकी घबराई हुई हालत देखकर मुस्कुराए और फिर बोले कि अब तुम इसे लेकर शहर के दूसरे कोने पर जाओ वहां एक लोहा की दुकान है वहां तुम्हें इस लोहे को पिकला करर एक लोहे की तलवार बनानी है बस फिर क्या होना था बिना मन के राजकुमार शहर के दूसरे कोने की ओर बढ़ चले जिसके बाद उसके मन में फिर से कई सवाल घूमने लगे वह सोच रहा था कि अगर पिताजी को पता चला तो क्या होगा कहीं लोग यह ना समझ रहे हो कि मुझे महल से निकाल दिया गया है वो मन ही मन खुद को कोसता जा रहा था कि क्यों मैं हर बार अपने आप को ऐसी उलझनों में फंसा लेता हूं यही सब सोचते हुए वह लोहार की दुकान पर भी पहुंच जाता है जहां वो लोहार की मदद से एक तलवार बनवा है खुद के हाथों बनाई तलवार को देखकर उसे बहुत खुशी होती है अचानक उसको महसूस हुआ कि वह तलवार बनाने में इतना खो गया था कि उसके मन में किसी तरह की कोई शिकायत पै पैदा ही नहीं हुई वो खुश मन के साथ तलवार लेकर बौद्ध भिक्षु के पास जाने लगा वहां पहुंचते ही उसने तलवार बौद्ध भिक्षु के हाथ में रख दी जिसके बाद उन्होंने कहा कि राजकुमार इस बार तुम्हें अच्छा महसूस हो रहा होगा यह तुम्हारे घमंड की तलवार है यह सुनकर वह थोड़ा सा चौक गया तभी बोध भिक्षुक ने कहा कि अच्छा अब तुम वापस बाजार जाओ और वहां लोगों से पूछो कि क्या उन्होंने तुम्हें देखा और देखा तो क्या सोचा फिर क्या होना था राजकुमार



king एक बार फिर से बाजार की तरफ निकल गया उसने वहां कई लोगों से पूछा कि क्या थोड़ी देर पहले आपने मुझे देखा था बहुत से लोगों का जवाब नहीं ही था तभी एक दुकान वाले ने कहा राजकुमार मैंने आपको देखा तो था पर उस समय इतने ग्राहक थे कि मेरे पास कुछ भी सोचने का समय नहीं था बाजार में लोगों की बात सुनकर राजकुमार को लगा कि जैसे किसी ने उसके सिर का सारा बोझ हल्का कर दिया हो जिसके बाद वह सीधा बौद्ध भिक्षुक के पास पहुंचा तब उन्होंने कहा कि आज तुमने पूरे दिन से तीन चीजें सीखी पहली हम खुद अपनी कमियों और गलतियों को जितना गहराई से देखते हैं उतनी गहराई से कोई नहीं देखता हम सबको अपने दुख अपनी गलतियां और कमियां सबसे बड़ी लगती हैं हमें लगता है कि लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे लेकिन आज के समय में लोगों के पास इतना समय नहीं होता है और अगर उनको समय मिलता भी है तो वह सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं दूसरी सीख हम खुद ही सबसे बड़े खुद के आलोचक हैं हम खुद ही सोच सोच कर अपनी कमियों को इतनी बड़ी बना लेते हैं कि जितनी वह असल में होती भी नहीं है और फिर हम ज्यादा सोचने की आदत के शिकार हो जाते हैं ऐसा नहीं होता कि लोग हमारे बारे में में बात नहीं करते जो करते हैं व खुद किसी चीज के सक्षम नहीं होते हैं आखिर में बहुत भिक्षुक तीसरी बात को ध्यान से सुनने को कहते हैं व कहते हैं कि जब भी तुम्हारे दिमाग में विचारों का सैलाब आने लगे तो अपने आप को किसी कलात्मक काम में लगा दो ऐसा काम जो तुम्हें अपने हाथों से करना हो जैसे आज तुमने तलवार बनाई क्योंकि ऐसा करने से तुम्हारी सारी मानसिक शक्ति एक दिशा में आ जाएगी जिसके बाद थोड़ी ही देर में तुम्हारा मन शांत हो जाएगा और पूरा दिन बर्बाद होने से भी बच जाएगा तो दोस्तों इस कहानी को सुनने के बाद उन लोगों को उनके हर सवाल के जवाब मिल गए होंगे जो हर समय चिंता की चिंता में चलते रहते हैं ऐसे ही एक और कहानी है जो आपको चिंता मुक्त जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है दरअसल एक बार की बात है एक गांव में सुरेश नाम का एक नौजवान लड़का रहता था जो अपनी पुरानी बुरी यादों को बिल्कुल भी भूल नहीं पा रहा था वह अपनी इस आदत से बहुत परेशान था एक ही चीज के बारे में बार-बार सोचना उसकी रोज की कहानी सी हो गई थी अच्छा सिर्फ इतना ही नहीं रोजमर्रा की जिंदगी में भी अगर उसे कोई भी कुछ कह देता या फिर उसके साथ कुछ थोड़ा सा भी गलत हो जाता तो वह बस उसी चीज के बारे में पूरे दिन सोचता रहता वो बात उसके दिमाग से निकलती ही नहीं थी इसके बाद व या तो अपने साथ हुई किसी बुरी घटना के लिए अपनी किस्मत को कोसता नहीं तो वह भगवान को इन सबके पीछे का कारण समझता था इससे भी बुरी तो स्थिति वो होती जब वह अपने मन में उस इंसान से बदला लेने के लिए खयाली पुलाव बनाने लगता था उसकी हालत इतनी ज्यादा गंभीर हो गई थी कि उसकी इस ज्यादा सोचने की आदत की वजह से वो ना तो लोगों के साथ उसके अच्छे रिश्ते थे और ना ही वह अपने जीवन के किसी भी काम को अच्छे से कर पाता वहीं सुबह से लेकर शाम तक वो तनाव में ही रहता था रोज-रोज ऐसे खुद में ही उलझा और खुद से ही लड़ता देखकर सुरेश के एक दोस्त ने उसे सलाह दी कि यहां पास के ही एक बौद्ध मठ में एक जैन मास्टर रहते हैं तुम उनके पास जाओ वो तुम्हारी इस मानसिक समस्या का कोई ना कोई समाधान जरूर बताएंगे अपने दोस्त की बात मानकर सुरेश जेन मास्टर के पास जाता है



और उनको अपनी लाइफ की सभी समस्याओं के बारे में विस्तार से बताता है कि कैसे वह एक ही घटना के बारे में बार-बार सोचता रहता है और पुरानी बुरी बातों और यादों को वो भूल ही नहीं पाता खैर सुरेश की समस्या को सुनने के बाद मास्टर वहां से उठकर मठ के अंदर चले जाते हैं ऐसे उनका बिना कोई जवाब दिए चले जाना सुरेश को कुछ अजीब सा लगता है लेकिन वह फिर भी वहीं पर बैठा रहता है थोड़ी देर बाद वो देखता है कि जिन मास्टर मिट्टी के गिलास में पानी भरकर उसकी तरफ चले आ रहे हैं वह सुरेश के पास आकर खड़े हो जाते हैं और पूछते हैं कि बताओ इस गलास का वजन कितना होगा उनका सवाल सुनकर पहले तो सुरेश को समझ नहीं आता कि आखिर वह क्या कहना चाह रहे हैं और वह कहता है कि मैं एकदम सटीक तो नहीं बता सकता लेकिन इस गिलास का वजन बहुत ही कम है सुरेश के मुंह से जवाब सुनते ही मास्टर ने गंभीर होकर कहा मेरा प्रश्न यह है कि अगर मैं इस गलास को थोड़ी देर तक ऐसे ही पकड़कर खड़ा रहूंगा तो क्या होगा इतने में सुरेश ने कहा कि होगा क्या कुछ भी नहीं होगा इसके बाद उस मास्टर ने फिर से पूछा अगर मैं इस गिलास को इसी तरह  से एक घंटे तक पकड़ कर रहूंगा तो क्या क्या होगा इस बार सुरेश ने थोड़ा समय लिया और जवाब देने में यह कहा कि कुछ नहीं बस आपके हाथ में दर्द होने लगेगा प्रश्न उत्तर का सिलसिला यहीं नहीं रुका एक बार फिर से मास्टर ने पूछा कि अगर मैं इस क्लास को ठीक इसी तरह पूरे दिन पकड़ के रहूंगा तब क्या होगा फिर से सुरेश ने कहा कि आपके हाथ में बहुत भयंकर दर्द होना शुरू हो जाएगा हो सकता है



कि आपकी मांसपेशियों में भारी तनाव आ सकता है और यहां तक कि आपके हाथ को लकवा भी मार सकता है इसके बाद मास्टर ने कहा कि बहुत बढ़िया लेकिन क्या इस दौरान गिलास का वजन बदला नहीं वजन वही रहा फिर भी भला हाथ में दर्द और मांसपेशियों में तनाव कैसे बन गया तब सुरेश ने कहा कि यह लंबे समय तक पकड़े रहने की वजह से हुआ है एक बार फिर से मास्टर ने प्रश्न किया कि अब इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए मैं क्या करूं सुरेश ने कहा ग्लास को नीचे रख दीजिए बस फिर क्या जिन मास्टर ने कहा बिल्कुल सही ठीक इसी तरह जीवन की परेशानियां भी होती हैं इन्हें कुछ ही देर तक के लिए अपने दिमाग में रखो और लगेगा कि सब कुछ ठीक है उनके बारे में ज्यादा देर तक सोचिए और देखिए कैसे से आपको पीड़ा होने लग जाएगी और इन्हें और भी देर तक अपने दिमाग में रखिए फिर ये आपको पागल करने लग जाएंगे और आप कुछ भी नहीं कर पाएंगे इसके बाद जेन मास्टर ने लड़के की तरफ इशारा करते हुए कहा अपने जीवन की पिछली गलती और घटनाओं के बारे में सोचना सही है लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है उनसे सीखकर आगे बढ़ना अगर तुम एक ही बात को पकड़ कर बैठे रहते हो तो ठीक उस गिलास की तरह यह भी तुम्हारे जीवन में दर्द पैदा कर देंगी और फिर तुम भविष्य में इसके लिए पश्चाताप करोगे तुम अपने अतीत के लिए जैसा इंसान बनना चाहते हो या फिर जिन गलतियों के लिए पश्चाताप कर रहे हो तो तुम आज से ही वैसे इंसान बनने का प्रयास करो और कोशिश करो कि आज तुम वैसी
गलतियां ना करो जिसके लिए तुम्हें यह स्थिति झेलनी पड़े इसलिए चिंता करना बंद करो और अपने आज के कर्मों पर ध्यान दो क्योंकि चिंता व्यक्ति को उसकी चिता तक ले जाती है तो दोस्तों आज की कहानियों की गलियों में बस इतना ही अगर आपको हमारी ये कहानियां पसंद आई है तो लाइक करें शेयर करें और कमेंट में यह जरूर बताएं कि आपने इन दोनों ही कहानी से क्या सीखा अगर आपके घर में बच्चे हैं तो उन्हें भी यह कहानी जरूर सुनाएं ताकि वह अपने जीवन को और आसान से अच्छा बना सके



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