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7 चक्रों को जाग्रत करें: अद्भुत ? शक्तियों की प्राप्ति का रहस्य ||

अगर आप एक चक्र को भी जागृत कर लेते हो तो आप उन 65 पर लोगों से आगे रहोगे जो नॉर्मल लाइफ में जीवन जी रहे हैं अगर आप तीन चक्र को जागृत कर लेते हो तो आप उन 95 पर लोगों से आगे रहोगे जो आध्यात्मिक जीवन की सीढ़ियां चढ़ने का प्रयास कर रहे हैं और अगर आपने पांच चक्र को जागृत कर लिया तो आप उन 99 पर लोगों से आगे रहोगे जो पूरा जीवन इन चक्रों को जागृत करने में बिताए हैं और अगर आपने सातों चक्रों को जागृत कर लिया तो आप उन 1 पर लोगों में शामिल हो स हो जो जीवन में हर चीज को हासिल कर सकते हैं 1 पर मतलब यह आंकड़ा कम नहीं है आज की भारत की जनसंख्या के हिसाब से 1 पर मतलब लगभग 1 करोड़ 41 लाख लोग मुझे नहीं लगता कि सात चक्र जिनके जागृत होंगे वह इतने सारे लोग होंगे 1 पर के एक चौथाई हिस्से के बराबर भी नहीं होंगे क्या इतना मुश्किल होता है सात चक्रों को जागृत करना तो मैं कहूंगा हां भी और नहीं भी हां और नहीं क्यों यह मैं आपको आगे बताऊंगा मानवी संकल्प शक्ति की क्षमता असीम है उसको जागृत करना और सद उद्देश्य के लिए प्रयुक्त कर रखना संभव हो सके तो कुछ भी बन सकना और कुछ भी कर सकना संभव हो सकता है उससे पहले जान लेते हैं चक्र क्या होते हैं वैसे तो चक्र का मतलब गोलाकार होता है क्योंकि इसका संबंध शरीर में ऊर्जा के एक आयाम से दूसरे आयाम की ओर गति से है इसीलिए इसे चक्र कहते हैं हमारे शरीर में हजारों ऊर्जा के भवर चक्कर काट रहे हैं किसी गैलेक्सी की तरह लेकिन उनमें भी 114 चक्रों को मुख्य माना गया इन 114 में से भी मोटे तौर पर सात चक्रों की सबसे ज्यादा चर्चा की गई है जहां ऊर्जा वर्तुलाचा में चक्कर लगा रही है जिसके कारण हमारा जीवन चलता है विज्ञान ने भी इन चक्रों की सूक्ष्म उपस्थिति को माना है भारतीय पारंपरिक औषधि विज्ञान के अनुसार यह चक्र हमारे शरीर में सुप्ता वस्था में रहते हैं हालांकि यह ऊर्जा के केंद्र हैं
है हर एक


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चक्र को कैसे जागृत किया जा सकता है सातों चक्र के बीज मंत्र भी बताएंगे जिससे चक्रों को खोलने में आसानी होगी और हर एक चक्र के जागृत होने के बाद आपको कौन सी शक्ति प्राप्त होगी सप्त चक्रों को जागृत करते समय क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए इन सबकी जानकारी हम आपको इस वीडियो में देंगे यह मानव शरीर अनंत रहस्यों से भरा हुआ है जिसका हमारे वेदों में वर्णन मिलता है आप इस दुनिया की हर चीज को हासिल कर सकते हो आपके इसी शरीर में इतनी शक्तियां हैं जितनी देवी देवताओं में है मगर उन्हें जागृत करना पड़ेगा वह सारी शक्ति अभी सुसुप्त अवस्था में आपके शरीर में है


तोउन्हीं शक्तियों को आज हम जागृत करेंगे मतलब शक्तियों को जागृत करने का ज्ञान देंगे आगे आपके ऊपर है कि आप इस ज्ञान का कितना हिस्सा अपने आचरण में ला सकते हो हमारा सबसे पहला चक्र है मूलाधार चक्र जिसे रूट चक्र भी कहा जाता है शरीर के सात मुख्य चक्रों में से यह पहला चक्र है इसका संबंध सुरक्षा स्थिरता और भौतिक आवश्यकताओं से होता है मूलाधार चक्र का स्थान व्यक्ति के गुदा और लिंग के बीच में होता है यह चार पंखुड़ियों वाला आधार चक्र
पर लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं जिनके जीवन में भोग संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है मूलाधार चक्र का बिज मंत्र है लम मूलाधार चक्र जगाने की विधि मनुष्य जब तक [संगीत] पशुव्रूला चक्र के स्थान पर ध्यान केंद्रित करें ऐसा करने से मूलाधार चक्र जागृत होने लगता है इसको जागृत करने का दूसरा नियम है यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना मैं यहां पर कुछ आसन बताऊंगा जिससे आपको मूलाधार चक्र को जागृत करने में सहायता मिलेगी ताड़ासन माउंटेन पोज वीर भद्रासन वरियर पोज
वृक्षासन ट्री पोज मलासन गार्ल पोज यह आसन हो गए और प्राणायाम की बात करें तो कपालभाति और भस्त्रिका प्राणायाम करने से मूलाधार चक्र को जागृत करने में सहाय मिलती है अब जानते हैं इस चक्र का आपके शरीर पर क्या प्रभाव देखने को मिलेगा इस चक्र के जागृत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता निर्भीकता और आनंद का भाव जागृत हो जाता है व्यक्ति की शारीरिक इच्छाएं नियंत्रित हो जाती हैं और वह ब्रह्मचर्य का पालन कर सकता है आध्यात्म में स्थिरता ब्रह्मचर्य से व्यक्ति की आध्यात्मिक ऊर्जा का संरक्षण होता है जिससे वह ध्यान और साधना में अधिक गहराई तक जा सकता है


मूलाधार चक्र के विषय में ध्यान में रखने योग्य बात मूलाधार चक्र का जागरण धीरे-धीरे होता है और इसके लिए धैर्य और निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है हमारा दूसरा चक्र है स्वाधिष्ठान चक्र जिसे सक्रल चक्र भी कहा जाता है स्वाधिष्ठान चक्र शरीर के साथ प्रमुख चक्रों में दूसरा चक्र है जिसे संस्कृत में स्व मतलब स्वयं और अधिष्ठान मतलब स्थान शब्दों से मिलाकर स्वाधिष्ठान कहा गया है यह चक्र मनुष्य के भीतर आत्मा के व्यक्तिगत निवास स्थान को दर्शाता है और जीवन ऊर्जा के प्रवाह का मुख्य स्रोत माना जाता है यह वह चक्र है जो लिंग मूल) से चार अंगुल ऊपर और नाभि के नीचे स्थित है जिसकी छह पंखुड़ियां हैं और इसका रंग नारंगी यानी ऑरेंज है स्वाधिष्ठान चक्र व्यक्ति को आत्म चेतना की ओर प्रेरित करता है इस चक्र के जागरण से व्यक्ति अपने अंदर छिपी आत्मीय और आध्यात्मिक संभावनाओं को पहचानने लगता है अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है तो आपके जीवन में आमोद प्रमोद मनोरंजन जो घूमना फिरना और मौज मस्ती करने की प्रधानता रहेगी यह सब करते हुए ही आपका जीवन कब व्यतीत हो जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा और हाथ फिर भी भी खाली रह जाएंगे स्वाधिष्ठान चक्र का बिज मंत्र है वं स्वाधिष्ठान चक्र जागृत करने की विधि आपको मैं एक बार में ही बताना चाहूंगा आध्यात्मिक जीवन में ऊपर उठने के लिए ध्यान प्राणायाम या कोई भी आसन करते हो तो आपको अपने रीड की हड्डी सीधी रखनी है आंखें बंद करें और स्वादिष चक्र का ध्यान करें जो नाभि के ठीक दो इंच नीचे जननांगों के पास स्थित है एक चमकता हुआ नारंगी ऑरेंज रंग का प्रकाश इस चक्र में देखने का प्रयास करें ध्यान के दौरान आप वाम मंत्र का उच्चारण कर सकते होते हैं जो इस चक्र का बीज मंत्र है बीन से 25 मिनट तक रोजाना इस ध्यान को करें स्वाधिष्ठान चक्र जागृत करने में उपयोगी आसन बद्ध कोणासन बटरफ्लाई पोज उत्तानासन फॉरवर्ड बेंड पश्चिम उत्तानासन सीटेड फॉरवर्ड बेंड उपयोगी प्राणायाम अनुलोम विलोम और भ्रामरी प्राणायाम यह आसन और प्राणायाम स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करने में उपयोगी हो सकते हैं


अगर आपके जीवन में मनोरंजन या फिल्म देखने की आदत है तो आपको थोड़ी कठिनाइयां आ सकती हैं क्योंकि नाटक और फिल्में सच्ची नहीं होती लेकिन उससे जुड़कर व्यक्ति की चेतना को बेहोशी की हालत में धकेल है इनसे आप जो अनुभव करते हैं वह आपके बेहोश जीवन जीने का प्रमाण है क्योंकि जो साधक होता है वह इस संसार को माया और नाटक मानकर चलता है तो नाटक और
फिल्मों की बात ही छोड़ दो स्वाधिष्ठान चक्र का आपके शरीर पर क्या प्रभाव देखने को मिलेगा इसके जागृत होने पर क्रूरता गर्व आलस्य प्रमाद अवज्ञा अविश्वास आदि दुर्गुणों का नाश होता है सिद्धियां प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि आपके जीवन से ऊपर वाले साथ दुर्गुण समाप्त हो तभी सिद्धियां आपका द्वार खटखटा आएंगी


 हो तीसरा चक्र है मणिपुर चक्र जिसे सोलर प्लेक्सस चक्र या नाभि चक्र भी कहा जाता है यह चक्र नाभि के पीछे स्थित होता है मणिपुर शब्द का अर्थ है रत्नों का शहर या मणियों की आभा जो यह दर्शाता है कि यह चक्र व्यक्ति के अंदर छिपी हुई शक्तियों और संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है इसका तत्व अग्नि है जो प्रकाश गर्मी और परिवर्तन का प्रतीक है यह 10 कमल की पंखुड़ियों से युक्त है जिस व्यक्ति की चेतना या ऊर्जा यहां एकत्रित है उसे काम करने की धुन स रहती है ऐसे लोगों को कर्मयोगी कहते हैं मणिपुर चक्र का बिज मंत्र है रम मणिपुर चक्र को कैसे जागृत करें मणिपुर चक्र पर ध्यान केंद्रित करके इसकी ऊर्जा को जागृत किया जा सकता है ध्यान के दौरान नाभिक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करें और वहां गर्मी या ऊर्जा का अनुभव करने का प्रयास करें और ध्यान के दौरान आप राम मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं जो इस चक्र का बीज मंत्र है मणिपुर चक्र जागृत करने में कुछ उपयोगी आसन और प्राणायाम आसन है उत्थिता त्रिकोणासन एक्सटेंडेड ट्रायंगल पोज धनुरासन बो पोज प्राणायाम है उज्जाई प्राणायाम कपालभाती प्राणायाम इनका अभ्यास रोज करना चाहिए इस चक्र का आपके शरीर पर क्या प्रभाव होगा इसके सक्रिय होने से तृष्णा ईर्ष्या चुगली  लज्जा भय घृणा मोह आदि कषाय कलम दूर हो जाते हैं यह चक्र मूल रूप से आत्मशक्ति प्रदान करता है सिद्धियां प्राप्त करने के लिए आत्म वान होना जरूरी है आत्म वान होने के लिए यह अनुभव करना जरूरी है


कि आप शरीर नहीं आत्मा है आत्म शक्ति आत्म बल और आत्म सम्मान के साथ जीवन का कोई भी लक्ष्य दुर्लभ नहीं हमारा Permalink: https://aghorijirajasthan.com/7-चक्रों-को-जाग्रत-करें-अद्/


चौथा चक्र है अनाहत चक्र अनाहत चक्र हृदय के क्षेत्र में स्थित होता है यानी छाती के बीच में स्तन के ठीक बीच में इसे हृदय चक्र भी कहा जाता है क्योंकि यह प्रेम दया और आत्म साक्षात्कार का केंद्र माना जाता है इसका प्रतीक 12 पंखुड़ियों वाला हरा कमल है  प्रत्येक पंखुड़ी मानव भावनाओं का प्रतीक होती है इसके भीतर दो त्रिकोण होते हैं एक ऊपर की ओर और एक नीचे की ओर जो पृथ्वी और आकाश के मिलन का प्रतीक है अनाहत चक्र का बिज मंत्र है यम यम अनाहत चक्र कैसे जागृत करें हृदय पर संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जागृत होने लगता है खासकर रात्रि को सोने से पूर्व इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह अभ्यास से जागृत होने लगता है और सुषुम्ना नाड़ी इस चक्र को भेद करर ऊपर गमन करने लगती है अनाहत चक्र जागृत करने में कुछ उपयोगी आसन और प्राणायाम आसन है भुजंगासन उष्ट्रासन धनुरासन गोमुखासन प्राणायाम है


उज्जाई प्राणायाम अनुलोम विलोम प्राणायाम भस्त्रिका प्राणायाम इनका अभ्यास रोज करने से अनाहत चक्र जागृत करने में सहायता मिलती है अनाहत चक्र का बीज मंत्र यम है इसे ध्यान के दौरान अभ्यास में लाया जा सकता है इस चक्र का आपके शरीर पर क्या प्रभाव होगा इसके सक्रिय होने पर छल कपट हिंसा कुतर्क चिंता मोह दंभ अविवेक और अहंकार समाप्त हो जाते हैं इस चक्र के जागृत होने से व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है इसके जागृत होने पर व्यक्ति के अंदर ज्ञान स्वत ही प्रकट होने लगता है व्यक्ति अत्यंत आत्म विश्वसु सुरक्षित चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्तित्व वाला बन जाता है ऐसा व्यक्ति अत्यंत हिताशी एवं बिना किसी स्वार्थ के मानवता प्रेमी एवं सर्वप्रिय बन जाता है


पांचवा चक्र है विशुद्ध चक्र विशुद्ध चक्र शरीर में गर्दन के आधार पर स्थित होता है जिसे कंठ चक्र भी कहा जाता है विशुद्ध चक्र का तत्वा आकाश है जो व्यापकता  शुद्धता और स्वतंत्रता का प्रतीक है इसका रंग नीला है जो शांति सच्चाई और स्वच्छता का प्रतीक माना जाता है विशुद्ध चक्र को 16 पंखुड़ियों वाला कमल कहा जाता है विशुद्ध चक्र का बिज मंत्र हम [संगीत] है विशुद्ध चक्र को जागृत करने के तरीके बिज मंत्रों का जाप करने से चक्र की ऊर्जा को जागृत किया जा सकता है जब कोई इस मंत्र का निरंतर जाप करता है तो चक्र की ध्वनि कंपन पैदा करती है जो जागृति की प्रक्रिया को तेज करती है विशुद्ध चक्र को जागृत करने की ध्यान विधि ध्यान करते समय गले के क्षेत्र में आकाश तत्व पर ध्यान केंद्रित करें इस दौरान नीले प्रकाश की कल्पना करें  जो गले के केंद्र में स्थित है और पूरे शरीर में शांति और संतुलन फैला रहा है विशुद्ध चक्र जागृत करने में कुछ उपयोगी आसन और प्राणायाम आसन है सर्वांगासन शोल्डर स्टैंड मत्स्यासन फिश पोज सिंहासन लायन पोज अर्ध मत्स्येंद्रासन प्राणायाम है उज्जाई प्राणायाम भ्रामरी प्राणायाम इनका अभ्यास रोज करने से विशुद्ध चक्र जागृत करने में सहायता मिलती है इस चक्र का आपके शरीर पर क्या प्रभाव होगा विशुद्ध चक्र जागृत होने पर आपको 16 कलाओं और 16 विभूतियों का ज्ञान हो जाता है विशुद्ध चक्र जागृत होने से मनुष्य अपनी भूख और प्यास को रोक सकता है वहीं मौसम के प्रभाव
को भी रोका जा सकता है दोस्तों अगर आपको हर एक चक्र के ऊपर स्पेशल वीडियो चाहिए तो कमेंट में चक्र लिखो हमारा


छठा चक्र है आज्ञा चक्र आज्ञा चक्र हमारे माथे के बीच भौहों के बीच स्थित होता है इसे अंग्रेजी में थर्ड आई चक्र या ब्राव चक्र भी कहा जाता है यह चक हमारे दोनों भौहों के मध्य मस्तिष्क के गहरे भाग में स्थित होता है और इस चक्र का मुख्य संबंध हमारी अंतर्दृष्टि और बुद्धिमत्ता से है इस चक्र का वर्णन शास्त्रों में हमारे आंतरिक ज्ञान के द्वार के रूप में किया गया है यह वह स्थान है जहां से हम भौतिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टियां का अनुभव करते
हैं जिस व्यक्ति की ऊर्जा यहां ज्यादा सक्रिय है वह संवेदनशील और तेज दिमाग का बन जाता है लेकिन वह सब कुछ जानने के बावजूद मौन रहता है इसे बौद्धिक सिद्धि कहते हैं आज्ञा चक्र का बज मंत्र है ओम आज्ञा चक्र को कैसे जागृत करें वृकुटी के मध्य ध्यान लगाते हुए साक्षी भाव में रहने से यह चक्र जागृत होने लगता है आज्ञा चक्र को जागृत करने के लिए ध्यान प्राणायाम और बीज मंत्र का अभ्यास महत्त्वपूर्ण होता है ध्यान कैसे करें साक्षी भाव में रहे और आज्ञा चक्र का ध्यान करें ध्यान करते समय अपनी दृष्टि को भौहों के बीच केंद्रित करें इस ध्यान को त्राटक ध्यान भी कहा  जाता है जिसमें एक बिंदु पर दृष्टि को स्थिर करना होता है नियमित रूप से इस ध्यान का अभ्यास करने से आ आज चक्र का जागरण होता है आज्ञा चक्र को खोलने में सहायक प्राणायाम नाड़ी शोधन प्राणायाम भ्रामरी प्राणायाम और अनुलोम विलोम प्राणायाम आज्ञा चक्र को जागृत करने में सहायक होते हैं विशेष रूप से नाड़ी शोधन प्राणायाम नाड़ियों को शुद्ध करता है जिससे आज्ञा चक्र की ऊर्जा का प्रवाह होता है बीज मंत्र आज्ञा चक्र का बीज मंत्र ओम है इस मंत्र का जप करते समय ध्यान केंद्रित करके गहरे श्वास प्रश् वास के साथ इसका उच्चारण करें यह आपके भीतर की  चेत को जागृत करता है और आज्ञा चक्र की ऊर्जा को सक्रिय करता है सहायक आसन बालासन चाइल्ड पोज शीर्षासन हेड स्टैंड पश्चिमोत्तानासन सीटेड फॉरवर्ड बेंड इस चक्र का आपके शरीर पर क्या प्रभाव होगा यहां अपार शक्तियां और सिद्धियां निवास करती हैं इस आज्ञा चक्र को जागृत करने से आपको बहुत सारी शक्तियों का अनुभव होगा आज्ञा चक्र जागृत होने से व्यक्ति सिद्ध पुरुष हो जाता है उसको वाक सिद्धि प्राप्त हो जाती है वह जो बोलेगा वह सत्य होगा यह सारी शक्तियां उस व्यक्ति की नहीं है उसने जो तप किया है उसका यह प्रभाव है हमारा लास्ट चक्र यानी Permalink: https://aghorijirajasthan.com/7-चक्रों-को-जाग्रत-करें-अद्/


सातवां चक्र है सहस्रारचक्र सहस्रार की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है अर्थात जहां छोटी रखते हैं यदि व्यक्ति यम नियमा आसन प्राणायाम का पालन करते हुए यहां तक पहुंच गया है तो वह आनंदमय शरीर में स्थित हो गया है ऐसे व्यक्ति को संसार सन्यास और सिद्धियों से कोई मतलब नहीं रहता है सहसरा चक्र का बीज मंत्रो में है यहां पर समझने वाली बात दोनों चक्रों का बीज मंत्र ओम है लेकिन इनके प्रभाव अलग-अलग हैं जहां आज्ञा चक्र अंतर्ज्ञान और मानसिक स्पष्टता के लिए है वहीं सहस्रार चक्र आत्मज्ञान और ब्रह्मांडी चेतना से संबंध का केंद्र है सहसरा चक्र कैसे जागृत करें मूलाधार से होते हुए ही सहस्रार तक पहुंचा जा सकता है लगातार ध्यान करते रहने से यह चक्र जागृत हो जाता है और व्यक्ति परमहंस के पद को प्राप्त कर लेता है सहस्रार चक्र का बीज मंत्र ओम है आपको ओम का जाप भी इस चक्र को जागृत करने में सहायक हो सकता है सहस्रार चक्र को जागृत करने में सहायक आसन और प्राणायाम आसन है शीर्षासन हेड स्टैंड पद्मासन लोटस पोज शवासन कॉप्स पोज सहस्रार चक्र जागरण के लिए प्राणायाम ब्राह्मणी प्राणायाम नाड़ी शोधन प्राणायाम उज्जाई प्राणायाम ध्यान मेडिटेशन के द्वारा सहसरा चक्र जागृत होता है सहस्रार चक्र का आपके शरीर पर क्या प्रभाव होगा शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्त्वपूर्ण विद्युतीय और जैवी विद्युत का संग्रह है यही मोक्ष का द्वार है सहस्रार चक्र जागृत होने के बाद आपको सर्वोच्च ज्ञान अल्टीमेट नॉलेज आत्म साक्षात्कार सेल्फ रियलाइफ मांडी ऊर्जा से संबंध कनेक्शन विद कॉस्मिक एनर्जी भौतिक और आध्यात्मिक उत्थान शांति आनंद और परम सुख की अनुभूति होगी सहस्रार चक्र के जागृत करने के दौरान आपको कुछ सावधानियां रखनी होगी सहस्रार चक्र जागरण के दौरान मिलने वाली चुनौतियां शरीर और मन की शुद्धि का महत्व सहस्रार चक्र जागरण करने से पहले बाकी चक्रों का संतुलन में होना आवश्यक है जैसे कि मैंने पहले बताया था हां भी और नहीं भी का कारण बताता हूं सातों चक्र खोलने के बारे में तो आपको जानकारी हो गई मगर इनमें और भी कुछ बहुत ही महत्त्वपूर्ण सावधानियां आपको रखनी होगी जैसे कि एक-एक करके धीरे-धीरे एक चक्र की ऊर्जा को संतुलन में रखते हुए आपको दूसरे तीसरे चौथे चक्र की ओर बढ़ना है दूसरा है आपको भोजन सात्विक करना होगा खट्टा मीठा तीखा नॉनवेज छटपटा भोजन तथा शराब तंबाकू आदि का त्याग आवश्यक है खट्टा मीठा तीखा भोजन त्यागना यह एक प्रकार का तप है यह तप आपके शरीर के चक्र को खोलने में सहायक होगा तीसरा है आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा ज्यादा क्रोध ज्यादा  लोभ अहंकार को दूर रखना होगा यह सब आपको शुरुआत में ही करना होगा जब चक्र जागृत होंगे तो बाद में यह सब अपने आप होने लगेगा और एक बात दोस्तों आपको सनातन धर्म को आगे बढ़ाने के लिए   सारी प्रक्रिया आपको एक अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन में करनी चाहिए चक्रों को जागृत करने का कार्य बिना अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन के नहीं करना चाहिए गुरु का होना इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी प्रकार से कुंडलिनी शक्ति को भी जागृत
किया जाता है इसमें किसी भी गलती से मानसिक और शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं


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