|| माँ काली कौन हैं? माँ काली मंत्र साधना ||
महाकाली मनुष्य के लिए उन दरवाजों को खोल देती है जिसके उस पार अज्ञात संसार है आज से करोड़ों वर्ष पूर्व उस बड़े धमाके बिग बैंग ने सृष्टि की रचना की उससे पहले अंतरिक्ष की घोर अंधकार और गहरी शांति में महाकाल की शून्यता अपने पैर पसारे हुए थी इस शून्यता पर समय का प्रभाव नहीं पड़ता ना तो इसके लिए कोई अतीत है ना भविष्य और ना ही वर्तमान जब इस सुनिता से अनंत एक बिंदु के रूप में फटा तो इससे समय और अस्तित्व की रचना हुई जिसे महाकाली कहते हैं आगे चलकर वक्त बीत जाने के साथ जिस भी ग्रह पर पंचभूत यानी अग्नि वायु जल धरती और आकाश एक निश्चित तरीके से मिलते हैं तो
उससे ऐसी काया का निर्माण होता है
जिसमें महाकाल का आवाहन हो सके यह वो पल होता है जब पुरुष और प्राकृति एक दूसरे से मिलते हैं और जीवन का निर्माण होता है इस संसार में जो भी भौतिक है चाहे वह सूर्य हो आकाश गंगा हो या फिर पूरा का पूरा ब्रह्मांड ही क्यों ना हो वह महाकाली है और जो चेतना के स्वरूप में साक्षी है वह महाकाल है किसी व्यक्ति का जीवन केवल मिला ही इसलिए है ताकि वह अपने भीतर छुपे उस महाकाल को जान सके वह देख सके कि वह समय के प्रभाव से मुक्त है काली कवच में वर्णित सुरेश्वरी घोर रूपा का अर्थ है कि मां काली अपने अत्यंत उग्र स्वरूप में ब्रह्मांड की सबसे सघन शक्ति है वह सुरेश्वरी है अर्थात पूरे ब्रह्मांड की महान शासक और स्वामिनी इसी प्रकार एक ब्लैक होल भी अत्यधिक सघन होता है और पूरे ब्रह्मांड पर अपना प्रभुत्व रखता है
तारे ग्रह और यहां तक कि संपूर्ण आकाश गंगा एं ब्लैक होल के सामने नग्न होती है एक ब्लैक होल हमारे सूर्य से कई गुना बड़े तारों को निकल सकता है उन्हें परमाणु जितने छोटे कणों में संकुचित कर सकता है आगे वर्णन में कहा गया है हरिम हरिम हरिम काली के घोरे दंश व रुधिर प्रिय जिसका अर्थ है कि महाकाली का यह रूप हरिम ध्वनि में निहित है हरिम भौतिकता और ब्रह्मांड के पदार्थों के कंपन से उत्पन्न होती है जब हम किसी वस्तु को उसके सबसे सरल स्वरूप में जांच हैं तो हम पाते हैं कि सभी वस्तुएं मूल रूप से एक ही होती हैं अंतर केवल कार्बन परमाणुओं की संरचना में होता है यह जानकारी की अरेंजमेंट या व्यवस्था यह तय करती है कि कोई वस्तु ब्रह्मांड में कितनी देर तक बनी रहेगी वह जानकारी जो कोई भी वस्तु धारण करती है सदैव ऐम ध्वनि पर कंपित होती है जो उसे आकार और रूप प्रदान करती है यह रूप वस्तु के जीवन काल या प्राण का निर्माण करता है जो निरंतर हरिम ध्वनि के साथ स्पंदित होता है और अंततः जब आकार रूप और जीवन समाप्त हो जाता है तो सब कुछ एक अद्वितीय अवस्था में आ जाता है जिससे क्लिम की कंपन उत्पन्न होती है इस अवस्था में कोई जानकारी शेष नहीं रहती ना तो वस्तु का रूप बचता है ना ही जीवन ठीक इसी प्रकार जब एक ब्लैक खोल किसी वस्तु को निकलता है तो वह उसे इस तरह नष्ट करता है
कि उसके सारे कार्बन परमाणुओं की जानकारी समाप्त हो जाती है जाहिर सी बात है जब जानकारी ही मिट जाएगी तो ऐसे में वस्तु का रूप भी नहीं बचता अर्थात केवल एक ही चीज बच जाती है जिसे वैज्ञानिक सिंगुलेरिटी इन ब्लैक होल कहते हैं बिल्कुल इसी प्रकार का जिक्र काली कवच के अगली पंक्ति में मिलता है जो हमसे कहता है काली के घोरे दंश व रुधिर प्रिय इसका अर्थ है कि तुम दं यानी एक दैत्य का रूप धारण करती हो और रुधिर प्रिय यानी जीवन को समाप्त कर भौतिकता को निगल जाती हो इसलिए जिस पर भी मां काली की कृपा होती है देखा जाता है
कि वह ज्यादा लंबे समय तक नहीं जी पाता उसकी भौतिकता डगमगाने लगती है रामनुजन विवेकानंद और राम कृष्ण परमहंस इस बात के ठोस उदाहरण है रामानुजन पर भगवती की इतनी कृपा थी कि भगवती उनके सपने में आती और ऐसे गणितीय सूत्र बताती जिन्हें आज भी डिकोड करना संभव नहीं 1970 की बात है जब स्टीवन हॉकिंग और एडवर्ड बिटेन ने स्ट्रिंग थ्योरी और ब्लैक होल जैसे एडवांस टॉपिक्स को डिस्क्राइब करने के लिए रम अनुजन के सूत्रों का उपयोग किया आश्चर्य की बात है
कि रम अनुजन ने इ सूत्रों की अवधारणा पहले ही कर दी थी जब वैज्ञानिक जगत में ब्लैक होल का कोई कांसेप्ट ही नहीं था जब उनसे पूछा जाता कि यह गणित तुम्हारे दिमाग में कैसे आता है तो वे बस इतना कहते कि देवी मुझे यह सब बताती है मा गॉड आई एम अ गिरी शी स्पीक्स टू मी पुट्स फॉर्मुला ऑन माय टंग व्हेन आई स्लीप सम टाइम्स व्हेन आई प्रे आगे चलकर 26 अप्रैल 1920 में टीवी के कारण उनका देहात हो गया वे सिर्फ 32 वर्ष के थे रामकृष्ण का देह त्याग गले के कैंसर के कारण हुआ था वे सिर्फ 50 वर्ष के थे भूल जाइए सब ट हो जाने दे शरीर को मिल जाने दे आत्मा को परमात्मा से जबकि विवेकानंद ने 39 वर्ष की उम्र में अपना देह त्याग कर दिया था और समाधि ले ली थी इन तीनों व्यक्तित्व में खास समानता है यह तीनों ही देवी के उपासक थे और इनकी चेतना उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी थी जब ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति तंत्र का उपयोग करे और देवी की कृपा से उस कार्य को इसी जन्म में कर ले जिसे करने में शायद उसे अगले 10 जन्म लगते तो उसके देह का विलीन होना निश्चित है तो आप में से किसी का प्रश्न था कि क्या काली मां की साधना करना खतरनाक है
तो मैं ऐसा तो नहीं कहूंगा कि यह खतरनाक है मगर हां इतना जरूर कहूंगा कि यह कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है इसे आप ऐसे समझिए तंत्र एक साधन की तरह है अगर आप खुद के सहारे चलते हैं तो हो सकता है परमात्मा तक पहुंचने में आपको बर्सों लग जाए मगर तंत्र एक ऐसा साधन है जो किसी विमान की तरह है जिसमें ना केवल आपको अनुभव प्राप्त होते हैं बल्कि आपको यह पता लगने से पहले कि परमात्मा होता है आपको यह पता लग जाता है कि शक्ति का अस्तित्व वाकई में मौजूद है मगर यह आपकी परीक्षा लेगा हो सकता है आपका सांसारिक जीवन बिखर जाए यह अस्तव्यस्त हो जाए यह आपके लिए ऐसी संभावनाएं उत्पन्न कर सकता है
कि हो सकता है आप घर समाज और इन सबसे पृथक हो जाए मगर जो भी इसके उपरांत आपको प्राप्त होता है वह सबसे बड़ा होगा अब उनकी बात करते हैं जो बिना किसी खतरे के काली मां की साथ साधना को करना चाहते हैं तो उन्हें मेरी यही सलाह रहेगी कि आप नवार मंत्र की साधना करें इसमें आपको कुछ नहीं करना है बस देवी मां को स्नान करानी है उन्हें दीप दिखाना है कुमकुम तिलक और पुष्प अर्पित करने हैं और साथ ही साथ कुछ स्त्रोत्र का जाप करते हुए उन्हें भोग अर्पित करना है
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