Rudraksh

रुद्राक्ष का खुलासा: चौंकाने वाली सच्चाई जो उड़ा देगी होश

 

क्या औरतों को रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए क्या रुद्राक्ष पहनकर स्नान करना पाप है क्या नॉनवेज खाने वाले लोग रुद्राक्ष धारण नहीं कर सकते आखिर रुद्राक्ष पहनते समय किन बातों का खास ध्यान रखना बहुत जरूरी है ऐसे कई सवाल हैं जो हर व्यक्ति के मन में उठते हैं जब वह रुद्राक्ष पहनने के बारे में सोचता है क्योंकि रुद्राक्ष को लेकर हर किसी की अपनी एक अलग-अलग सोच है तो उससे पहले कि हम आपको इन सारे सवालों के जवाब द पहले यह समझ लेते हैं कि आखिर रुद्राक्ष होता क्या [संगीत] [प्रशंसा] है देखिए एक पुराणी कथा के अनुसार तारका और विघ्न माली और कमलाक्षा के तीन भयंकर राक्षसों का वध करने के लिए एक बार महादेव गहरी तपस्या में लीन हो गए थे बिना किसी विघ्न के उन्होंने हजारों सालों तक कड़ी तपस्या की पर जब तपस्या पूरी होने के बाद उन्होंने अपनी आंखें खोली तो उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे महादेव के उन पावन आंसुओं की बूंदों को धरती मां ने अपने अंदर संभा लिया जिससे ही आगे चलकर रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ था रुद्राक्ष यानी कि रुद्र का अक्ष अर्थात भगवान शिव का आंसू इसलिए रुद्राक्ष को प्राचीन काल से ही महादेव के समान पवित्र और शक्तिशाली माना जाता हैjay maa kali


कहते हैं जहां भगवान शिव के आंसू गिरे उसी जगह पर रुद्राक्ष के पेड़ भी उके थे यही वजह है कि रुद्राक्ष ज्यादातर तीन जगहों पर पाया जाता है नेपाल इंडोनेशिया और उत्तराखंड इनमें से सबसे खास नेपाली रुद्राक्ष को माना जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ लोग यह मानते हैं कि नेपाल भगवान शिव की भूमि है क्योंकि ये हिमालय से काफी पास में है देखिए रुद्राक्ष को दुनिया का सबसे दुर्लभ बीच बताया गया है और कमाल की बात तो यह है कि रुद्राक्ष में एक नेचुरली छेद होता है जिसकी वजह से हम उसे आसानी से धारण कर पाते हैं यानी कि ये कहना गलत नहीं होगा कि रुद्राक्ष को महादेव ने पहनने के लिए ही बनाया इसलिए शिव पुराण में कहा जाता है कि जिस रुद्राक्ष में छेद नहीं होता उसे इस्तेमाल नहीं करना [संगीत] चाहिए रुद्राक्ष को शक्ति का एक ऐसा साधन माना गया है जिसने लाखों लोगों के जीवन को बदला है और इसके कारण हुए बदलाव की वजह से ही अब मॉडर्न साइंस भी इसे एक अलग नजरी से देखने की कोशिश करर कहते हैं जितना पुण्य गंगा यमुना और सरस्वती इन तीनों नदियों के दर्शन करने से प्राप्त उतना पुण्य सिर्फ रुद्राक्ष धारण करने से ही मिल जाता है


अब शिव पुराण पद्म पुराण भगवत पुराण और रुद्राक्ष जबाला जैसे कई ऐसे उपनिषद और ग्रंथ हैं जिसमें रुद्राक्ष के महत्व इनके इस्तेमाल और देवता के बारे में विस्तार से बताया जाता [संगीत] है रुद्राक्ष कब और किसे पहनना चाहिए इस बारे में सबके अपने अपने अलग-अलग विचार लेकिन शिव पुराण में बताया जाता है कि जो भी व्यक्ति शिव की भक्ति करता है उसे तामसिक चीजों को सेवन नहीं करना चाहिए तामसिक चीजें जैसे कि मांस मदिरा प्याज और लहसुन अब क्योंकि शिव भक्तों को इन चीजों का सेवन करने की मनाही है इसलिए ये भी कहा जाता है कि जो लोग तामसिक प्रवृत्ति का भोजन करते हैं उन्हें रुद्राक्ष भी पहनना नहीं चाहिए क्योंकि आखिर वो है तो शिव का ही अंश इतना ही नहीं जो लोग स्त्री पुरुष के नजदीकियां बनाने को भी अशुद्ध मानते हैं उनका कहना है कि उस दौरान भी रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए अगर आप पहले से रुद्राक्ष पहनते हैं तो उस वक्त उतार कर मंदिर में रखते और आप को जानकर वैसे हैरानी होगी श्रीमद् देवी भागवत पुराण के अनुसार रुद्राक्ष सिर्फ वही इंसान धारण कर पाता है जिस पर शिव जी की कृपा होती है बिना उनकी कृपा के व्यक्ति के मन में इसे धारण करने का ख्याल ही नहीं आ सकता आपको बता दें रुद्राक्ष सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि किसी भी धर्म के लोग धारण कर सकते हैं यह हर इंसान के लिए फलदाई होता  है


दोस्तों जिस तरह से पुराणों में रुद्राक्ष पहनने का नियम बताया गया है ठीक उसी तरह उसे मेंटेन करने के बाद ब में भी बताया जाता है माना जाता है कि किसी भी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उसे एक्टिवेट करना पड़ता है जिस तरह भगवान को विराजित करने के लिए उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है ठीक उसी तरह रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उसकी वैदिक प्राण प्रतिष्ठा की जाती है अब एक रुद्राक्ष को उसके पहनने वाले व्यक्ति के हिसाब से एनर्जाइजर है इसे पहले मंदिर में ले जाकर दूध दही और गंगाजल आदि से अभिषेक कराया जाता है फिर मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित करके इसकी पूजा  करने के बाद ही 4:00 से 7:00 बजे के बीच में धारण करना [संगीत] चाहिए पुराणों की माने तो सारे संसार में रुद्राक्ष के समान फल देने वाला दूसरा कोई यंत्र नहीं क्योंकि महादेव स्वयं इस संसार में ऊर्जा का स्त्रोत है ऐसे में रुद्राक्ष को भी एक पावरफुल एनर्जी का सोर्स माना जाता है यही वजह है कि आपने ऋषि मुनि तपस्वी योगी यहां तक कि खुद भगवान शिव को भी रुद्राक्ष पहने देखा होगा शिव पुराण कहती है कि रुद्राक्ष हर उस व्यक्ति को पहनना चाहिए जो महादेव की आस्था रखता है और उनकी पूजा करता है जैसे क्या आप ये जानते हैं कि रुद्राक्ष का इस्तेमाल ज्योतिष में भी किया जाता है जी हां ग्रह नक्षत्र के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए अलग-अलग व्यक्ति को अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है


इतना ही नहीं उद्योगपति पॉलिटिशियन एक्टर्स यहां तक कि कई कामयाब लोग जीवन में तरक्की हासिल करने के लिए रुद्राक्ष का इस्तेमाल जरूर करते हैं


देवी भागवत पुराण की माने तो रुद्राक्ष एक ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को मैटेरियलिस्टिक नीड और स्पिरिचुअल एलाइनमेंट दोनों को प्रदान करता है रुद्राक्ष में कई ऐसी मेडिसिनल और हीलिंग प्रॉपर्टीज है जो इंसान को ब्लड प्रेशर और हार्ट जैसी गंभीर बीमारियों से बचा सकती है और ऐसा इसलिए है क्योंकि रुद्राक्ष हमारी आंतरिक चेतना को बढ़ाकर हमारी भावनाओं को शांत करने की क्षमता रखता है इसलिए कई रिसर्च में यह सामने निकल कर आया है कि भाई रुद्राक्ष से मेंटल हेल्थ तो इंप्रूव होती ही है साथ ही एंजाइटी और डिप्रेशन से भी छुटकारा पाया जा सकता है


वैसे आपको बता दूं कि 16 मुखी रुद्राक्ष को हमेशा एक उपचार के तौर पर भी उपयोग किया जाता है जी हां कहते हैं जब किसी प्रॉब्लम की जड़ का पता नहीं चल पाता तब ऐसे में निराकार रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है और इससे लोगों को फायदा भी हुआ है वैसे आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन रुद्राक्ष इमोशनल लेवल पर भी लोगों के लिए काफी आरामदायक साबित हुआ है इसकी हीलिंग प्रॉपर्टीज इंसान में फिजिकल लेवल के साथ-साथ बिहेवियर लेवल पर भी चेंजेज लाती है रुद्राक्ष कई अलग-अलग शेप्स और साइजेस में पाए जाते हैं पर सभी रुद्राक्ष में मुखी यानी कि फेस लाइन जरूर होती है जिसे मुखी कहा जाता है और इसी से पता चलता है अलग-अलग रुद्राक्ष की पहचान हो जाती है अब आप सोच रहे होंगे आखिर यह मुखी क्या है


देखिए अगर आपने गौर किया हो तो रुद्राक्ष पर कुछ लाइने बनी रहती हैं बस इन्हीं लाइनों को मुखी या फेस कहा जाता है अलग-अलग मुखी वाले रुद्राक्ष का अलग-अलग महत्व होता है जैसे कुछ रुद्राक्ष एक मुखी होते हैं कुछ दो मुखी होते हैं कुछ पांच और कुछ छह इस तरह से लगभग 29 मुखी तक के रुद्राक्ष पाए जाते हैं और अलग-अलग व्यक्ति को उसकी जरूरत के हिसाब से अलग-अलग रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है पर आमतौर पर लोग एक से लेकर 14 मुखी तक के रुद्राक्षी धारण कर पाते हैं मान्यता है कि यह सभी रुद्राक्ष अलग-अलग देवी देवताओं के रूप होते हैं इसलिए ध्यानी सुरक्षा मार्गदर्शन और आध्यात्मिक उत्थान चाहने वाले ज्यादातर व्यक्ति सिद्ध माला का ही प्रयोग करते हैं यह एक ऐसी माला है जिसमें एक से 14 गौरी शंकर रुद्राक्ष और गणेश रुद्राक्ष साथ में ही होते हैं सिद्ध माला की मदद से किसी भी ग्रह के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है इतना ही नहीं इसकी मदद से चार पुरुषार्थ यानी कि धर्म अर्थ काम और मोक्ष में भी सिद्धि पाई जा सकती है


यही वजह है कि इसे सिद्धि कहा जाता है वैसे सिद्ध माला भी बहुत प्रकार की होती है और सबसे शक्तिशाली सिद्ध माला में एक से 21 मुखी और त्रिजुटी रुद्राक्ष होते हैं और इसे इंद्र माला भी कहा जाता है क्योंकि इस सिद्ध माला को इंद्र स्वयं धारण करते हैं शिव पुराण के अनुसार रुद्राक्ष का आकार आमला के बराबर होता है और ऐसा रुद्राक्ष सिर्फ नेपाल में ही पाया जाता है आपको बता दें कि नेपाली रुद्राक्ष को सदियों से ही आध्यात्मिक उत्थान के लिए प्रयोग किया जाता है यहां तक कि कई ग्रंथों में भी नेपाली रुद्राक्ष को सबसे श्रेष्ठ बताया गया है वहीं बात अगर इंडोनेशियन रुद्राक्ष की करें तो वो छोटे होते हैं वैसे रुद्राक्ष को लेकर आजकल जितनी चर्चा मार्केट में हो रही है उतनी ही उसे लेकर भ्रम भी फैलाया जा रहा है जी हां मार्केट में रुद्राक्ष के नाम पर लोग कुछ भी बेच रहे हैं ऐसे में असली रुद्राक्ष की पहचान करना मुश्किल हो जाता है वो भी बहुत ज्यादा पर कुछ ऐसे ही प्रॉपर्टीज है जो सिर्फ असली रुद्राक्ष
में ही पाई जाती है

यानी कि उनकी मदद से हम असली रुद्राक्ष की पहचान कर सकते हैं कहते हैं असली रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से एक छेद होता है जबकि रुद्राक्ष के नाम पर बेचे जा रहे भद्राक्ष में छेद करके उसे रुद्राक्ष का रूप दिया जाता है इतना ही नहीं अगर असली रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबाया जाता है तो वह रंग नहीं छोड़ता जबकि जो नकली रुद्राक्ष है अपना रंग छोड़ने लगता है अब रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए आप उसे पानी में डुबोकर भी चेक कर सकते हैं दरअसल असली रुद्राक्ष पानी में डालने पर जो है वो डूब जाता है जबकि जो नकली रुद्राक्ष है वो पानी के ऊपर ही तैरता रहेगा इतना ही नहीं असली रुद्राक्ष को किसी नुकीली चीज से कुरेद पर उसमें से रेशा निकलता है जबकि जो नकली रुद्राक्ष है उसमें ऐसा नहीं होता वैसे ये भी कहा जाता है

शैतानी शक्तियों से बचने के 6 उपाय | 6 Ways to Protect Yourself from Negetive Energy and Influences ||


कि असली रुद्राक्ष दो सिक्कों के बीच में रखने से घूम जाता है वैसे यह बात सुनने में काफी बड़ी अजीब लगती है कि रुद्राक्ष भी नकली होते हैं जबकि यह एक ऐसा बीज है जो हमें पेड़ से नेचुरली मिलता है अब ऐसे में सवाल है कि फिर नकली रुद्राक्ष कैसे बेचे जाते हैं दरअसल कई रुद्राक्ष ऐसे हैं जो बहुत रेयर पाए जाते हैं और आसानी से कहीं भी नहीं मिलते इसलिए लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए उनकी फेक कॉपीज बनाकर मार्केट में बेची जाती है हालांकि आज टेक्नोलॉजी की मदद से रुद्राक्ष की फेकनेस का पता आसानी से लगाया जा सकता है दुनिया में ऐसी कई लैब्स हैं जो रुद्राक्ष की ऑथेंटिसिटी को कई तरह से टेस्ट कर सकती हैं वैसे कई सारी मान्यताओं कहानियों और रहस्यों के चलते लोग रुद्राक्ष जैसे पवित्र चीज को असली महत्व समझ ही नहीं पाते उन्हें अंदाजा भी नहीं है कि यह कितना शक्तिशाली है और इसकी मदद से मनुष्य में क्या-क्या बदलाव आ सकते हैं जिन लोगों ने रुद्राक्ष इस्तेमाल किया है उनके जीवन में कई सारे बदलाव आए हैं इसलिए रुद्राक्ष पहनते वक्त आपको यह पता होना ब बहुत जरूरी है कि इसका इस्तेमाल कब कहां और कैसे करना अगर आप रुद्राक्ष पहनना चाहते हैं तो पहले किसी जानकार से सलाह जरूर कर ले और इनसे जाने कि कितने मुखी रुद्राक्ष धारण करना आपके लिए सही होगा इतना ही नहीं उसकी क्वालिटी और ऑथेंटिसिटी पर भी ध्यान जरूर दे क्योंकि रुद्राक्ष तभी असरदार होगा


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