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  • मित्रों हमारे सनातन धर्म और पौराणिक ग के अनुसार हमेशा से ही जीव हत्या को सबसे बड़ा पाप माना गया है मनुष्य अपना पेट भरने के लिए जब किसी जीव की हत्या करता हैking

तो वह पाप का भागी तो हो ही जाता है लेकिन क्या आपको पता है की मांसाहारी भोजन करने से उसके मैन पर भी इसका प्रभाव पड़ता है जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ इस वीडियो के अंदर नमस्कार दोस्तों आप सभी का एक बार फिर स्वागत है


डी डिवाइन टेल्स पर साथियों वर्तमान समय में मांसाहारी भोजन करने का काफी प्रचलन बढ़ता जा रहा है लोग अपनी जीव के स्वाद और शरीर को पोषण देने के नाम परबि ना सोचे समझे एक मासूम और बेजुबान जीव की हत्या कर देते हैं और मृत्यु के बाद नर्क में अपने इन पापों का दंड भाना पड़ता है


इसके अलावा प्राचीन धर्म बताते हैं की मांसाहारी भोजन का प्रभाव चले द की जैसा खाओगे ऐन वैसा होगा मैन वेद की तस्वीर मंडल में यह वर्णन किया मनुष्य नर या किसी अन्य पशु की मांस का सेवन कर उसको अपने शरीर का भाग बनाता है अथवा पे किसी गांव की हत्या कर अन्य जनों को दूध आदि से वंचित करता है


तो ये अग्नि स्वरूप यदि वह दुष्ट व्यक्ति किसी और प्रकार से ना सुने तो आप उसके मस्तक को शरीर से bitarit करने में जरा भी संकोच ना करें भागवत गीता के अनुसार भोजन तीन प्रकार के होते हैं सात्विक राजसी और तामसी सात्विक भोजन वह भोजन होता है


जिसमें फल हरि सब्जियां दूध आदि वस्तुओं का सेवन किया जाता है गीता के अनुसार सात्विक भोजन करने वाले व्यक्ति चिरायु होते हैं वह तमाम तरह के रोग एवं व्याधियों से दूर रहते हैं इसके साथ उनके मैन में क्रोध [संगीत] बताया है जो शाकाहारी तो है


परंतु है अत्यधिक खट्टा गर्म नामक और ज्यादा मसाले के साथ पकाया सकता है यह भोजन खाने में तो स्वादिष्ट लगेगा परंतु मसाले तेल आदि के कारण यह अपना मूल गुण और पोशाक तत्व दोनों ही खो देगा ऐसे भोजन को वह व्यक्ति ही करते हैं जो अपनी भूख नहीं बल्कि तृष्णा को शांत करना चाहते हैं


ऐसा भोजन करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य तो खराब होता ही है इसके साथ ही उसके मैन में भी विकार उत्पन्न होने लगते हैं उसके अंदर लालच वासना आदि मैन को कुंठित करने वाले गुण अत्यधिक मात्रा में पनपना लगते हैं तामसिक भोजन उसे भोजन को कहा जाता है जो की डपका है रस रहित है जिसके अंदर से दुर्गंध आती है वह एकदम वासी है और इसके अलावा वह अपवित्र भी है


ऐसे भोजन में मद्र एवं मांस को शामिल किया गया है तामसिक भोजन मानवीय पाचन तंत्र के हिसाब से अत्यधिक खतरनाक है ही साथ इसका सेवन करने वाले व्यक्ति के मैन पर भी इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं मांस खाने वाले व्यक्ति का मैन अशांत रहता है और उसके अंदर क्रोध कम विलासिता आदि उत्पन्न होने लगती है उसके मैन में किसी के भी प्रति दया भाव या प्रेम नहीं बचत वह अति देखो सृजित और क्रूर बन जाता है


मांसाहार के संबंध में गरुड़ पुराण में एक कथा का वर्णन किया गया है उसके अनुसार एक बार एक राज्य में अकाल की वजह से अन्य का उत्पादन बहुत कम हुआ इसके कारण जनता में चारों तरफ आकर मचा हुआ था paristhitit इतनी भयानक हो. चुकी थी की राजा भी सोच में पद गया की अगर इस समस्या का जल्दी कोई उपाय नहीं निकाला गया तो राज्य के सभी अन्य के भंडार खत्म हो जाएंगे और लोग भूखो मरने लगेंगे यह समस्या से निपटने के लिए राजा रानी तत्कालीन प्रभाव से सबा बुलाई उसे सभा में सभी mantrigan एवं दरबार के अन्य सदस्य पधारे बारी-बारी से सभी से पूछा गया की राज्य को इतने बड़े khadyashankar से किस प्रकार बचाया जा सकता है


दरबार में उपस्थित सभी सदस्यों ने अपनी अपनी सलाह दी तभी एक मंत्री जी की बारी आई और उन्होंने उपाय sujhate हुए कहा की ही महाराज इतनी  कम समय में अन्य का दोबारा upcharis और तात्कालिक रूप से भी प्राप्त हो जाता है हालांकि लगभग सभी सदस्यों ने इस बात का समर्थन किया परंतु प्रधानमंत्री अभी भी चुप बैठे द यह देख राजा ने प्रधानमंत्री से पूछा की बताइए प्रधानमंत्री जी आप इस सुझाव से संतुष्ट हैं


या नहीं जब प्रधानमंत्री ने जवाब देते हुए कहा की वह मांसाहार के सुझाव पर सहमत नहीं है तो राजा ने इसका कारण जानना चाहा प्रधानमंत्री ने राजा से कारण बताने के लिए कल तक का समय मांग लिया इसके बाद प्रधानमंत्री उसी रात मांसाहार का प्रस्ताव रखने वाले उसे मंत्री की घर  पहुंचे प्रधानमंत्री ने उसे मंत्री से कहा की संध्या कल से महाराज का स्वास्थ्य बहुत ही खराब हो गया है राज्य वेट ने उनकी इस बीमारी का इलाज बताते हुए कहा है की यदि राजा के किसी करीबी और देह से शक्तिशाली पुरुष का दो tolamas मिल जाए तो महाराज तुरंत ठीक हो जाएंगे अन्यथा उनके प्राणों पर संकट छाया रहेगा आप ही एकमात्र महाराज के सबसे कहते व्यक्ति हैं


और आप देश से भी अत्यधिक शक्तिशाली हैं इसके लिए आप जो मूली लेना चाहे ले सकते हैं इस कम के लिए राजपूत से आपको 1 लाख स्वर्ण मुद्राएं भी दी जाएगी तथा इसके अलावा एक बड़ी जागीर भी आपके नाम की जा सकती है


आप राजी हो तो मैं कतर से आपके हृदय को क्या कर बस दो टोला मांस निकल लो गैस सुनकर उसे मंत्री के चेहरे का रंग भीख पद गया वह सोचने लगा जब जीवन ही नहीं रहेगा तो 2 लाख स्वर्ण मुद्राओं का मैं क्या करूंगा और यह बड़ी जागीर भी किसका आएगी वह अपने कक्ष के अंदर की ओर गया और अपनी तिजोरी से 1 लाख स्वर्ण मुद्राएं लाकर गिर gahrate हुए बोला महाराज ये 1 लाख मुद्राएं आप मुझसे ले लीजिए परंतु मेरे प्राण बक्श दीजिए और आप इस पैसे से किसी और के हृदय का मांस खरीद लीजिए उसके बाद प्रधानमंत्री बोले क्योंकि मंत्री जी आप शरीर से मजबूत हैं और आपकी गडकरी भी महाराज से मिलती जुलती है


इसलिए बाजवा इतने खास तौर पर आप ही का नाम लिया है खुद को फसता हुआ देख मंत्री ने angvastra और जूते पहन लिए और प्रधानमंत्री से याचना करने लगा की बोस के योग्य नहीं है जब प्राण ही नहीं रहेंगे तो वह इस धन संपदा का क्या करेगा प्रधानमंत्री जी आप चाहे तो मेरी सारी संपत्ति ले लें परंतु मुझे जाने दे इतना कहकर वह अपनी घोड़े की और भाग और उसे पर छलांगा लगाकर बैठ गया प्रधानमंत्री ने घोड़े की रस्सी पकड़ कर घोड़े को रोक लिया और अंग्रेजी से कहा की भागने की कोई जरूरत नहीं है मंत्री जी आप आराम से घर पर ही रहे मैं किसी और से मांग लेता हूं


जाकर यह कहकर प्रधानमंत्री जी वहां से चले गए उसके बाद मुद्राएं लेकर भी बारी-बारी से सभी मंत्रियों के घर पहुंचे परंतु कोई भी राजी ना हुआ सब ने अपने बचाव के लिए प्रधानमंत्री जी को लाख-लाख मुद्राएं तक दे दी अगली सुबह जब दरबार लगा सभी मंत्री समय से पहले ही दरबार में पहुंच गए सभी ये जानने को बेचैन द की महाराज का स्वास्थ्य कैसा है थोड़ी देर बाद सभा में महाराज का आगमन हुआ और सिंहासन पर आकर बैठ गए सभी mantrigan महाराज को स्वस्थ देखकर आश्चर्य चकित रह गए प्रधानमंत्री ने उसे इतना बड़ा झूठ बोला तभी प्रधानमंत्री ने राजा के समक्ष एक करोड़ मुद्राएं लाकर रख दी और राजा से बोले महाराज दो तोले मास के लिए इतनी धनराशि जुटा है


पर मांस नहीं मिला सभी मंत्रियों को बड़ी-बड़ी जागीर है नाम करने के लिए कहा परंतु फिर भी किसी ने दो टोला मांस नहीं दिया देख रहे हैं महाराज आसानी से नहीं मिलता परिश्रम करने का निवेदन किया और राजा के भंडार से अनाज निकलकर श्रमिकों को देना शुरू कर दिया यह कहानी हमें बताती है की जिस प्रकार एक मनुष्य की जान की कीमत अमूल्य है उसी प्रकार इस संसार में पाए जाने वाले प्रत्येक जीव का जीवन अमूल्य है अपनी जीव के स्वाद के लिए किसी मासूम की हत्या करना किसी भी सूरत में सही नहीं है


Permalink: https://aghorijirajasthan.com/जीव-हत्या/ ‎Permalink: https://aghorijirajasthan.com/जीव-हत्या/ ‎ जीव हत्या को सबसे बड़ा पाप पापा माना गया हे ||

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