पशु बलि और पशु प्रेम… सनातन धर्म में क्यों सिखाई गई ये दोनों बातें?

देख सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना कहलाने वाला धर्म है जिसमें भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों को मानकर इंसान की लाइफ ही बदल सकती है जहां केवल और केवल प्रेम की बातें की गई लेकिन उसी प्रेम में अगर बली जैसी प्रथा आ जाए तो यह थोड़ी अजीब सी चीज होग है ना क्योंकि जो इस धर्म में विश्वास रखता है उसके लिए इंसान हो या पशु किसी की भी बलि देना या लेना गलत ही माना जाएगा या यह लीजिए कि इसे घोर पाप माना जाता है लेकिन ज्यादातर लोग इस बात से कंफ्यूज रहते हैं धर्मशास्त्रों की माने तो जो धर्म प्राणियों की हिंसा का समर्थन नहीं करता है

pashu bali


लेकिन फिर भी कहीं-कहीं पशु बलि दी जाती है फिर आखिर ऐसा क्यों होता है कहते हैं ऐसा धर्म कभी भी सफल नहीं हो सकता जो पशु बलि का साथ देता ऐसा माना गया है कि आदि काल में धर्म की रचना दुनिया में शांति और सद्भाव को बढ़ाने के मोटिव से की गई थी अगर धर्म का मोटिव ये नहीं हुआ तो तो उसकी इस दुनिया में कोई जरूरत नहीं कुछ लोग सनातन धर्म में पशुबली का समर्थन करते आए हैं धर्म के नाम पर वो पशुओं का कत्ल करके इस शुद्ध धर्म को बदनाम करते रहे हैं इस तरह परंपरा के नाम पर धर्म को कलंकित करना और लोगों को पाप का भागी बनाना किसी भी तरह सही नहीं है देवताओं की आड़ में पशुबली करने वाले लोग ये नहीं सोचते कि इस बुरे काम से देवी देवता खुश हो सकते हैं क्या अगर आप देवी देवताओं के नाम पर पशुबली को ठीक मानते हैं


तो यह जान ले कि ऐसे लोग पूरा जीवन मलीन दरिद्र और बुद्धिहीन ही रहते हैं ऐसे लोग कभी भी खुशी या शांति से नहीं रह पाते इतना ही नहीं बेचारे निर्दोष शिवों की हत्या के पाप की वजह से उनके परिवार के लोग बहुत सी बीमारियों शोक और दुख दरिद्रता से ही घिरे या फिर परेशान रहते हैं हिंदू धर्म में ज्यादातर लोग देवी काली के मंदिरों में या भैरव बाबा के मठों पर पशु बलि देने का काम करते हैं और ऐसे लोग यह सोचते हैं कि माता काली पशुओं का मांस खाकर या फिर खून पीकर खुश हो जाती है लेकिन वो यह जाते हैं कि भगवान की आधार शक्ति और दुनिया के जीवों को उत्पन्न व पालने वाली माता क्या अपनी संतानों का खून मांस खा सकती है क्योंकि माता तो माता ही होती है अब जिस तरह एक आम मां अपने बच्चे के जरा सी चोट लग जाने पर दर्द से छटपटा उठती है


और अपने बच्चे पर अपना सारा प्रेम लुटा पड़ती है फिर आप ऐसा कैसे सोच सकते हैं कि देवी मां अपने बच्चों की बली से खुश होंगी इस बारे में धर्म ग्रंथों में हिंसा को गलत माना गया है वेदों से लेकर पुराणों तक में कहीं भी पशु बलि का सपोर्ट नहीं किया गया है धर्म ग्रंथों के अनुसार अगर कोई इंसान देव यज्ञ पितृ श्राद्ध और दूसरे कल्याणकारी कामों में जीव हिंसा करता है तो वो सीधा नर्क लोक में जाता है साथ ही देवी देवताओं के बहाने जो इंसान पशु का वध करके अपने करीबियों के साथ मांस खाता है वो पशु के शरीर में जितने रोम होते हैं उतने सालों तक असी पत्र नाम के नर्क में चलता रहता है इसी तरह जो इंसान आत्मा स्त्री पुत्र लक्ष्मी और कुल की मंशा से पशुओं की हत्या करता है वह खुद अपना नाश करता है इतना ही नहीं वेद में तो इस बारे में भी बताया गया है


कि भगवान यह चाहते हैं कि कोई भी इंसान घोड़े गाय बकरी ऊंट पक्षियों आदि को भी ना मारे इसी तरह महाभारत पुराण के शांति पर्व में यज्ञ दिक शुभ कर्मों में पशु हिंसा का निषेध करते हुए बलि देने वालों की निंदा की गई भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि जो इंसान यज्ञ वृक्ष भूमि के उद्देश्य से किसी पशु की बलि देके उसका मांस खाता है वो धर्म के हिसाब से किसी भी दृष्टि से तारीफ के काबिल नहीं है ऐसे लोगों को धरती का सबसे महापाप जीव कहा गया है क्योंकि जानवर तो पशु बुद्धि होने की वजह से एक दूसरे को मार कर खाते हैं लेकिन मानवों में तो बुद्धि करुणा दया और प्रेम का भाव पाया जाता है इसी वजह से तो इंसान धरती लोक के
बाकी प्राणियों से बहुत अलग है फिर अगर हम भी जानवरों की तरह ही दूसरे जीवों को मारकर खाने लगे तो हम में और जानवरों में क्या ही फर्क रह जाएगा इसलिए अगर आप भी पशुबली का साथ देते हैं तो उसे छोड़ दें क्योंकि हिंदू धर्म शास्त्रों में पशुबली का कहीं भी जिक्र नहीं किया गया कुछ कम बुद्धि ज्ञानियों की वजह से कई सदियों से इस परंपरा को हमारे धर्म ढोता आ रहा है धर्म ग्रंथों में यह बताया गया है कि मांसाहार और शाकाहार दोनों तरह के खाने में कौन सा अच्छा माना गया है


अब देखिए यजुर्वेद की माने तो इंसानों को भगवान की सभी रचना अपनी आत्मा के बराबर मानना चाहिए यानी वो जैसे अपना भला चाहते हैं वैसे ही बाकियों का भला भी करें वहीं इस वेद में यह भी कहा गया है कि चावल दाल गेहूं आदि खाद्य पदार्थ आहार के रूप में खाने चाहिए यही एक ऐसा आहार है जो मनुष्य जाति के लिए सबसे अच्छा और रमणीय भोज्य माना जाता है इसके साथ ही इंसानों से उन लोगों का विरोध करने को भी कहा जाता है जो नर मादा भ्रूण और अंडों के नाश से उपलब्ध हुए मांस को कच्चा या पका कर खाते हैं भागवत गीता की माने तो मांसाहार खाना इंसानों का नहीं बल्कि राक्षसों का खाना होता है मांस और मदिरा जैसी चीजें तामसिक भोजन की सूची में आती है इस तरह का भोजन करने वाले लोग ज्यादातर बुरे रोगी दुखी और आलसी होते हैं गीता में कृष्ण जी ने कहा है कि सात्विक आहार उम्र को बढ़ाने वाला मन को शुद्ध करने वाला बल बुद्धि स्वास्थ्य और तृप्ति प्रदान करने वाला होता है तो वही इस बारे में ऋग्वेद में भी कहा गया है कि गाय सबकी माता है और उनकी रक्षा में ही समाज के हर इंसान को सामने आना चाहिए इंसानों को उनकी तरह सभी चार पैर वाले पशुओं की रक्षा भी करनी चाहिए इतना ही नहीं हिंदू धर्म में गाय को सबसे पवित्र माना जाता है उन्हें मां का दर्जा भी दिया गया है तभी उनको गौ माता के रूप में जाना जाता है गाय को मां कहने के पीछे एक खास बड़ी वजह है क्योंकि जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तब उन्होंने सबसे पहले धरती में गाय को ही भेजा था अब सभी जीवों में गाय ही एक ऐसी है


जो अपने दूध से और अपने स्वभाव से सबको एक मां की तरह ही बालती है ऐसे में कैसे कोई अपनी मां का मांस खा सकता है एक मां को मार देना और फिर उसे खा लेना यह कहां का न्याय है कई सालों से य मान्यता चली आ रही है कि गौ माता के हर एक भाग में किसी ना किसी देवी देवताओं का वास होता है इसलिए उन्हें पूजनीय माना जाता है जो इंसान दूसरों के मास से अपना मांस बढ़ाना चाहता है ना उसकी तरह कोई निर्दय नहीं हो सकता है गाय का मांस खाने वाले लोगों को नर्क में बहुत सी सजाओ को झेलना पड़ता है ऐसे लोगों को तण नदी में फेंक दिया जाता है और जब तक वह बेहोश नहीं हो जाते तब तक उसी में पड़े रहने के लिए छोड़ दिया जाता है इसके बाद उन लोगों को जानवरों के बीच छोड़ दिया जाता है वो सभी जानवर पापियो को नोच नोच कर खा जाते हैं इतना ही नहीं स्कंद पुराण के काशी खंड के तीसरे अध्याय में यह बताया गया है कि जो इंसान मांस खाता है उसके जीवन पर है ऐसे इंसान को ना तो धरती में सुख मिलता है और ना ही मरने के बाद वहीं शिवजी उन लोगों की पूजा भी कभी स्वीकार नहीं करते जो लोग मास मतीरा का सेवन करते हैं फिर गाय के मांस का सेवन करना तो बहुत बड़ी बात है वही वरहा पुराण की माने तो भगवान नारायण के वरहा अवतार कहते हैं कि जो इंसान मांस खाता है


मैं ना तो उसकी पूजा स्वीकार करता हूं और ना ही उसे अपना भक्त मानता हूं साथ ही वह भूदेवी से भी कहते हैं कि जो इंसान गौ माता का मांस खाता है उसे मैं बिल्कुल दंड देने से कभी नहीं चूकता वो मेरे लिए एक पापी के बराबर होता है उसकी हर सुख सुविधा को मैं मिट्टी में बदल देता हूं इसके साथ ही भगवान कृष्ण के अनुसार मांस एक तामसिक भोजन है जिसे खाने से इंसान की बुद्धि कम होने लगती है और वह अपनी इंद्रियों पर से काबू खो देता है उसके बाद वो बुरे लोगों में लिप्त होने लगता है ऐसा इंसान जब मेरी पूजा करता है तब मैं उसके पास कभी नहीं जाता हूं कुछ लोग ये कहते हैं कि वेद में मांस का सेवन करना सही बताया गया है लेकिन यह सच नहीं सच तो यह है कि वेदों में साफ तौर से बताया गया है कि भाई पशु हत्या यानी पशुबली बहुत बड़े पाप की श्रेणी में आता है वेदों का सार उपनिषद और उपनिषदों का सार भगवत गीता है जिसके अनुसार वेदों में मास खाने की संबंध में मनाई ही है अब देखिए आज के समय में हर धर्म के लोग मांस खाते हैं उन्हीं में से एक हमारे पूजने ब्राह्मण भी है जी हां लेकिन क्या आपने कभी सोचा है ऐसा करने वाले ब्राह्मणों के साथ भला क्या होता होगा क्या उनको दर्दनाक सजाओ को भोगना पड़ता है और ईश्वर उन्हें माफ कर देते हैं अगर किसी इंसान का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ है और वह उस धर्म को त्याग कर मास का सेवन करता है तो ऐसे लोगों की जब मौत पास आती है तब उनके दांत काले पड़ जाते हैं और पेट निकल आता है पुराणों की माने तो उनकी मौत बड़ी ही पीड़ा दई होती है जी हां और कहा जाता है कि अगर ईश्वर ने किसी को इतनी श्रेष्ठता दी है और उसकी कदर ना करके उसे बरे कर्मों में उपयोग किया जाता है तो वह ईश्वर के क्रोध से कभी बच नहीं पाएगा


Permalink: https://aghorijirajasthan.com/पशु-बलि-और-पशु-प्रेम/ Permalink: https://aghorijirajasthan.com/पशु-बलि-और-पशु-प्रेम/ पशु बलि और पशु प्रेम… सनातन धर्म में क्यों सिखाई गई ये दोनों बातें? पशु बलि और पशु प्रेम… सनातन धर्म में क्यों सिखाई गई ये दोनों बातें?

Leave A Comment

Recommended Posts

अघोरी जी आश्रम: एक अद्वितीय स्वास्थ्य और आध्यात्मिक केंद्र

Aghoriji Rajasthan

अघोरी जी आश्रम: एक अद्वितीय स्वास्थ्य और आध्यात्मिक केंद्र अघोरी जी आश्रम एक ऐसा स्थान है जहां शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास का भी ध्यान रखा जाता है। यह आश्रम अपनी अनोखी चिकित्सा पद्धति और आध्यात्मिक अभ्यासों के लिए […]

1
Aghori Ji Rajasthan

रात को सोते समय अचानक जागना, झटके लगना, डर लगना, परछाई दिखाई देना – क्या है इसका कारण और समाधान?

Aghoriji Rajasthan

रात को सोते समय अचानक जागना, झटके लगना, डर लगना, परछाई दिखाई देना – क्या है इसका कारण और समाधान? रात को सोते समय अचानक जागना, झटके लगना, डर लगना, परछाई दिखाई देना – क्या है इसका कारण और समाधान? रात के […]

1