आत्मा निकलते समय शरीर को इतना कष्ट क्यों होता है ?

आत्मा निकलते समय शरीर को इतना कष्ट क्यों होता है ?

मित्रों मौत एक ऐसा सच जिसके इर्दगिर्द हमारी और आपकी जिंदगी घूमती है इस कड़वे सच की असलियत हम सबकी सोच से भी परे है क्योंकि हमारे पुराणों में लिखा है कि जो अच्छे कर्म करता है उसका मौत के बाद का सफर आसान हो जाता है लेकिन जो पापी आत्मा होती है उसका मरने के बाद का सफर बहुत डरावना और दर्द से भरा होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब शरीर से आत्मा निकलती है तो कैसा लगता है वो आखिरी चंद मिनट एक शरीर के लिए कितना भारी होता है इसका जुड़ाव गरुड़ पुराण में वर्णित एक कथा से है जिसके अनुसार एक दिन भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ उनसे पूछते हैं हे  भगवान मैं यह जानना चाहता हूं कि मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है और वह जीवात्मा कितने दिनों के बाद यमलोक पहुंचती है यह सुनते ही श्री भगवान विष्णु बोले हे गरुण जब किसी जीव की मृत्यु होती है

आत्मा निकलते समय शरीर को इतना कष्ट क्यों होता है ?
आत्मा निकलते समय शरीर को इतना कष्ट क्यों होता है ?

तब उसकी आत्मा 47 दिनों तक इधर-उधर भटकने और कई तरह की यातनाएं को सहने के बाद ही यमलोक पहुंचती है और जब भी किसी जीव के की मृत्यु नजदीक होती है तो सबसे पहले उसकी आवाज जाती है फिर जब अंतिम समय आता है तो मरने वाले व्यक्ति को कुछ समय के लिए दिव्य दृष्टि मिलती है इस दिव्य दृष्टि से मिलने के बाद मनुष्य सारे संसार को एक रूप में देखने लगता है और इसी दौरान उसकी सारी इंद्रियां सुस्त हो जाती हैं अब अगर इसको और संक्षेप में समझा जाए दोस्तों तो कहा जाता है कि जिस समय किसी की मृत्यु होने वाली होती है उस समय वह बोलने की बहुत कोशिश करता है लेकिन बोल नहीं पाता कहा तो यह भी जाता है कि बढ़ते समय के सा तो उनकी बोलने सुनने की शक्ति खत्म होती जाती है और तो और उस समय शरीर से अंगूठे के बराबर आत्मा निकलती है जिसे कोई और नहीं बल्कि खुद यमदूत पकड़कर यमलोक लेकर जाते हैं इतना ही नहीं मरते समय आत्मा शरीर के नौ और द्वारों में से किसी से भी शरीर को छोड़ सकती है लेकिन सोचने वाली बात है


कि आपके शरीर की आखिर वो कौन सी जगह हैं दोस्तों यह नौ द्वार दोनों आंखें दोनों कान दोनों नासिका मुंह या फिर उत्सर्जन अंग होते हैं जिसने अपना पूरा जीवन सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए ही सोचा है जन कल्याण नहीं किया और सिर्फ पैसा कमाने में ही लगा रहता है उसके प्राण उत्सर्जन अंग से निकलते हैं कहा जाता है कि यह वो लोग भी होते हैं जिनके मन में हमेशा गंदे विचार ही रहते हैं ऐसे लोगों की जब मृत्यु आती है तब जब वह यमदू तों को देखते हैं तो वह घबरा जाते हैं और उनके प्राण नीचे की ओर सरकने लगते हैं इसके बाद प्राण वायु नीचे के रास्ते से निकल जाती है प्राण वायु के साथ अंगूठे के आकार का  एक दृश्य जीव निकलता है यमराज के दूध उसके में पाश बांध देते हैं और अपने साथ यमलोक लेकर जाते हैं इस तरह की मृत्यु पापी व्यक्ति की मानी जाती है वहीं जो लोग दुनिया की मोहमाया में फंसे रहते हैं और उनके अंदर जीने की तमन्ना बहुत ज्यादा होती है इसके साथ ही परिजनों की ओर भी मोह ज्यादा होता है ऐसे लोगों की जब मौत पास आती है तब उनकी आंखें काम करना बंद कर देती हैं साथ ही साथ कान से सुनाई देना भी बंद हो जाता है और वह चाहकर भी किसी से कुछ बोल नहीं पाती ऐसे लोग परिवार से जुड़े मुंह के धागों के चलते अपने प्राण नहीं छोड़ना चाहते जिसके बाद राज के दूत को आंखों से बलपूर्वक उनके प्राण निकालने पड़ते हैं जिसकी वजह से उनकी आंखें उलट जाती हैं दोस्तों गरुड़ पुराण में उन लोगों की मौत के बारे में भी बताया गया है जो आजीवन धर्म के रास्ते पर चलते हैं आपने कई बार देखा होगा कि मौत के बाद कई शव के मुंह टेढ़े हो जाते हैं


बता दें कि ऐसा उन लोगों के साथ होता है जिनके प्राण मुंह से निकलते हैं इसको बहुत ही शुभ माना जाता है इसके साथ ही इन लोगों को यमलोक में कष्ट नहीं भोगना पड़ता है वहीं शास्त्रों में नाग से प्राणों का निकलना भी बहुत शुभ बताया गया है करोड़ पुराण के मुताबिक इस तरह से उन्हीं लोगों के प्राण निकलते हैं जिन्होंने परिवार में रहते हुए सारे फर्ज निभाए हो और मन को वैरागी भी बना लिया हो वहीं अगर हम मौत से पहले की बात करें तो आपको बता दें उससे पहले आत्मा शरीर से निकलकर कुछ देर तक बेहोशी की हालत में रहती है आत्मा को इस तरह लगता है कि जैसे कोई बहुत मेहनत करके थका हुआ हो और गहरी नींद में हो लेकिन कुछ पल में यह अचेत से सचेत हो जाती है और उठकर खड़ी हो जाती है और तो और जब शरीर से आत्मा निकल चलती है


तब आत्मा को कुछ समय तक पता ही नहीं चलता कि वह शरीर से अलग हो चुकी है वह उसी तरह व्यवहार करती है जैसे एक शरीर में रहते हुए उसका व्यवहार था जिसके बाद आत्मा अपने सगे संबंधियों को आवाज देती है पर वह सुन नहीं पाती जिसके चलते आत्मा को बेचैनी और छटपटाहट होने लगती है वह परेशान होकर सभी लोगों से कुछ कहना तो चाहती है पर उसकी आवाज बस उस तक ही गूंज कर रह जाती है क्योंकि वह भौतिक नहीं अभौतिक आवाज होती है और मनुष्य केवल भौतिक चीजों को ही महसूस कर सकता है इतना ही ही शरीर के मृत हो जाने पर आत्मा अपने परिजनों को रोता बलग होता देख दुखी होती है और खुद भी दुख से परेशान होकर रोती है लेकिन उसके वश में कुछ नहीं होता वो लाचार होकर सब कुछ देखने और अपने जीवन काल में किए कर्मों को याद करके दुखी होती है जिसके बाद यम के दूत आत्मा से कहते हैं


चलो अब यहां से चलने का समय आ गया है और कर्मों के अनुसार उसे लेकर यम मार्ग की ओर चल पड़ते हैं इतना ही नहीं मौत के आगे के सफर के बारे में भी गरुड़ पुराण में बताया गया है दोस्तों कहा जाता है कि मृत्यु के बाद मनुष्य के कर्मों के हिसाब से उसे स्वर्ग या नर्क मिलता है सबसे पहले मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटे के लिए ही यमलोक ले जाते हैं और इन 24 घंटों के दौरान आत्मा को उसके द्वारा किए गए सभी पाप और पुण्य दिखाए जाते हैं इसके बाद उस आत्मा को फिर से वहीं छोड़ दिया जाता है जहां उसने अपने प्राणों को त्याग किया था और अगले 13 दिनों तक आत्मा वहीं रहती है जब उस आत्मा के धरती पर 13 दिन बीत जाते हैं तब उसे वापस यमलोक ले जाया जाता है यही नहीं मृत्यु के बाद जीवात्मा को यमलोक के मार्ग में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है जो अच्छी आत्माएं होती हैं उन्हें इन बाधाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता वहीं बुरी आत्माओं को कई प्रकार की यातना हों का सामना करना पड़ता है हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है दोस्तों कि मनुष्य के मृत्यु के 10 दिन तक पिंडदान जरूर करना चाहिए क्योंकि पिंडदान से सूक्ष्म शरीर को चलने की शक्ति मिलती है लेकिन लेकिन इसके बाद भी आत्मा का यमलोक तक का सफर समाप्त नहीं होता बल्कि पहले से अधिक कठिनाइयों से भरा हो जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि उसके बाद शुरू होती है वैतरणी नदी को पार करने की यात्रा परंतु अगर मनुष्य ने जीते जी गौ दन किया होगा तो उसी गाय की पूंछ पकड़कर वह नदी को पार करता है वरना इस नदी को पार करते समय भी पापी जीवात्मा को कई तरह की भयानक यातना हों से होकर गुजरना पड़ता हैआत्मा निकलते समय शरीर को इतना कष्ट क्यों होता है ?


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