
अमेरिका में मिले हनुमान के खोए हुए शहर का रहस्य
दोस्तों लॉस्ट सिटी ऑफ मंकी गॉड एक ऐसी जगह जिसका पता लगाने के लिए अमेरिका के एसएस सोल्जर्स इन्वेस्टिगेटिव ग्रुप अमेरिकन साइंटिस्ट और पुरातन विशेषज्ञों ने साथ मिलकर काम किया था इस अजूबी जगह पर सोने से बनी कुछ चीजों के मिलने के बाद से यहां की चर्चा और जोरों से होने लगी है इस चर्चा का सिर्फ एक ही कारण है वह है यहां का छिपा खजाना लोग ऐसा कहते हैं कि यह खजाना किसी और का नहीं बल्कि इस पुरातन शहर के देवता मंकी गॉड का है अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर इस लॉस्ट सिटी ऑफ मंकी गॉड की कहानी और इसका रहस्य है क्या और कैसे इसका हनुमान जी से संबंध है थियोडोर मड की खोज थिएटर मड एक साहसिक खोजी थी जिन्होंने मध्य अमेरिका में बसी एक ऐसी जगह का पता लगाया जहां की सभ्यता बेहद रहस्यमई थी
और खास बात तो यह थी कि बाहरी दुनिया से इस सभ्यता का कोई भी सं संपर्क नहीं था मोड का कहना था कि उन्होंने एक ऐसा कबीला या फिर किसी गांव जैसा दिखने वाला एक बहुत ही पुराना शहर ढूंढ निकाला था सबसे दिलचस्प बात यह थी कि इस जगह के लोग एक बंदर जैसे दिखने वाले इंसान को अपना देवता मानते थे मोड के मुताबिक उस जगह का नाम लॉस्ट सिटी ऑफ मंकी गॉड है दोस्तों अलग-अलग ना जाने कितने वैज्ञानिकों द्वारा पिछले कई हजारों सालों से लॉ क्यूड आइड ब्लांका नाम की इस जगह को खोजा जा रहा था लेकिन मोड की खोज में उन्हें एक नया मोड़ दिया क्या है मोड़ की कहानी असल में मित्रों मोड की कथा अनुसार मध्य अमेरिका के मस्क्यू शिया वर्षावन में करीब 32000 वर्ग मील में फैली एक ऐसी जगह है
जो हजारों सालों से लोगों की नजरों से छिपी हुई थी इस जगह को खोजने के लिए मोड अपने एक साथी लॉरेंस के साथ चार से पाच महीनों तक वर्षावन के खतरनाक जंगलों में भटकते रहे महीनों भटकने के बाद आखिरकार मोड को कामयाबी मिली और उन्होंने वहां एक ऐसे स्थान का पता लगाया जहां की दीवारें किसी आम पत्थर से नहीं बल्कि सफेद संगे मरमर के पत्थरों से बनी हुई थी इस जगह को देखकर ऐसा लग रहा था मानो किसी समय यह कोई बहुत बड़ा साम्राज्य रहा होगा इस शहर के चारों ओर सफेद संगे मरमर की दीवारों का घेरा था कुछ स्थानीय आदिवासी कबीलों से पूछताछ करने पर मोड को पता लगता है कि यहां एक ऐसी मानव सभ्यता रहा करती थी जिनका देवता एक बंदर की तरह दिखने वाला मनुष्य था वह ना पूरी तरह से मानव था और ना ही पूरी तरह से बंदर था इस जगह के बारे में पता लगाने के बाद जब मोड ने इस जगह के बारे में दुनिया को बताया तो लोगों में इस जगह के बारे में और अधिक जानने की जिज्ञासा बढ़ने लगी उसके बाद नेशनल जियोग्राफिक चैनल की टीम ने हिंदूर अस के वर्षावन में बसे इस रहस्यम जगह और यहां छिपे खजाने के बारे में और पता लगाने का जिम्मा उठाया और ऐसा माना जाता है
मित्रों कि यहां मिले संगे मरमर के पत्थर हजारों साल पुराने बने हिंदू मंदिरों के अवशेष हैं नेशनल जियोग्राफिक टीम ने यहां संगे मरमर से बनी किसी मंदिर की तरह दिखने वाली एक प्रतिमा भी खोजी इसके बारे में खोज से पता चला कि यह हजारों साल पुरानी और अनछुई है यहां सोने से बनी धातुओं के मिलने से इस जगह को लेकर बड़े खज ने के छिपे होने की बात भी साबित होने लगी है और तब से बहुत सारे खोजी दल यहां छिपे खजाने की तलाश करने और रहस्यमय जगह के बारे में जानने के लिए आते रहे हैं नेशनल जियोग्राफी की टीम को यहां और भी सबूत मिले यहां उन्हें बहुत सारी गद्व दियां भी सुनने को मिली लेकिन इस सभ्यता के बारे में किसी भी प्रकार की प्रमाणित और ठोस जानकारी अभी तक वैज्ञानिकों को नहीं मिल पाई है थियोडोर मोड ने भी कभी इस जगह के बारे में पूरी पूरी जानकारी नहीं थी खोज के कुछ सालों बाद ही उनकी रहस्यमय हाल तों से मृत्यु हो गई थी आधुनिक वैज्ञानिकों को जहां इस सभ्यता के बारे में अभी काफी कुछ पता लगाना बाकी है वहीं हिंदू पुराणों में इस जगह का उल्लेख मिलता है थियोडोर मोड द्वारा जिस जगह की खोज की गई थी ठीक उसी जगह का उल्लेख रामायण में भी किया गया था रामायण के किष्किंधा कांड के मुताबिक मित्रों हनुमान जी एक समय पर मध्य अमेरिका गए थे
हनुमान जी हिंदू धर्मों से संबंधित ऐसे भगवान हैं जिनका शरीर देखने में बिल्कुल एक बंदर की तरह है लेकिन उनकी चाल ढाल और वाणी इंसान वाली ही है रामायण के इस अध्याय के मुताबिक एक बार हनुमान जी पाताल लोक की ओर रवाना हुए वर्तमान में पाताल लोक को मध्य अमेरिका और ब्राजील का हिस्सा ही माना जाता है ग्लोब के हिसाब से यह भारत देश की एकदम उल्टी दिशा में पड़ता है जो जमीन से काफी नीचे है इसलिए उसे पाताल लोक माना गया है रामायण के इस अध्याय के अनुसार एक बार हनुमान जी श्री राम और लक्ष्मण को अहिरावण की कैद से बचाने के लिए पाताल लोक गए थे वहां उनको उनके पुत्र मकर ध्वज मिले जो भगवान हनुमान की तुरहा ही दिखते थे
वहां पहुंचकर हनुमान जी का पाताल लोक के राजा अहिरावण से भीषण युद्ध होता है जिसमें वह मारा गया और हनुमान जी ने अंत में पाताल लोक को अपने पुत्र के नाम घोषित कर दिया राजा बनने के बाद वहां के सभी लोग मकरध्वज को अपना भगवान मानकर उनकी पूजा करने लगे विद्वानों के अनुस सार यह एक कारण हो सकता है कि मोड़ द्वारा खोजी हुई इस जगह पर लोगों द्वारा एक बंदर जैसे दिखने वाली चीज की पूजा होती है कुछ वैज्ञानिकों का यह भी कहना है मित्रों कि वह देवता हनुमान जी भी हो सकते हैं जी हां अपनी खोज से वापस लौटते समय दरअसल मोड अपने साथ निशानी के तौर पर काफी सारी चीजें लेकर आए थे ताकि वैज्ञानिक उनकी खोज पर यकीन कर सके लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि मोड ने अपनी खोज की सारी बातें कभी भी विस्तार से नहीं बताई ना ही उन्होंने कभी यह बताया कि जिस वाइट सिटी को उन्होंने खोज निकाला था उस तक पहुंचने का रास्ता क्या है इसी कारण लॉस्ट सिटी ऑफ मिनी वर्ल्ड आज फिर दुनिया के लिए रहस्य बना हुआ है तो दोस्तों देखा आपने किस तरह से विदेशों में भी ऐसी रहस्यम चीजें हैं जो हमारे भगवानों के होने के कई सबूत देती हैं वैसे सर्व शक्तिशाली पवन पुत्र हनुमान और चाइनीज माइथोलॉजी के मंकी किंग की बहुत सारी कहानियां आपने सुनी होगी कहा यह भी जाता है कि दोनों एक ही हैं लेकिन सोचने वाली बात है कि चीन के प्राचीन ग्रंथों में मंकी किंग का वर्णन हूबहू हनुमान जी जैसा क्यों है क्या हमारे हनुमान जी का ही पराक्रम चीन की दंत कथाओं में मंकी किंग के नाम से दर्ज है देखिए चीन की कथाओं को देखें तो उसमें एक खास कैरेक्टर देखने को मिलता है जो बिल्कुल हूबहू हनुमान जी के जैसा ही दिखता है और इसे चीन के मंकी किंग के नाम से जाना जाता है वह एक महान वानर था
जिसके पास अतः शक्ति थी इस शक्ति से से उसने बचपन से ही बड़े-बड़े कारनामे कर दिखाए थे अगर हम इसका कंपेयर हनुमान जी से करें तो आपको बड़ा आश्चर्य होगा उनकी शक्ति हो या उनके द्वारा किए गए कार्य आप इतनी सिमिलरिटी पाएंगे जो आपको सोचने पर मजबूर भी कर देंगे बता दें कि मंकी किंग अपने आकार को कभी भी छोटा या बड़ा कर सकता था ठीक उसी तरह जिस तरह बजरंग बली अपने आकार को कभी भी बदल लेते थे और ऐसा उन्होंने एक बार लंका में घुसने के लिए किया था वहीं मंकी किंग एक ही छलांग में कई किलोमीटर तक की दूर तय कर लेता था भारत में कई जगह ऐसी हैं जहां हनुमान जी के पैरों के निशान भी मौजूद हैं लेकिन मंकी किंग के हथियार के रूप में एक लंबी छड़ी बताई गई है वहीं हनुमान जी हमेशा गदा लिए हुए प्रतीत हुए हैं दोस्तों सोचने वाली बात है कि क्या सच में हनुमान जी रामायण के बाद चीन चले गए थे जहां उनकी कहानियां सुनाई जाती हैं पुरानी कथाओं की माने तो जब प्रभु श्री राम धरती लोक छोड़कर चले गए तब अपने भगवान के बिना बजरंग बली अकेला महसूस करने लगे थे जिसके बाद वह हिमालय की ओर चले गए वहां उन्होंने लंबे समय तक श्रीराम की आराधना की अब माना यह जाता है कि हो सकता है कि उसी दौरान बजरंग बली चीन चले गए होंगे और तब ी उन्होंने वहां के राक्षसों और दैत्यों का सफाया किया होगा कहा जाता है कि चीन में उनका काफी खौफ था राक्षस तो राक्षस भगवान भी उनसे बहुत डरते थे उनको कोई भी कंट्रोल नहीं कर पा रहा था लेकिन फिर जब गौतम बुद्ध चीन आए तब वो उनसे मिले और उनको उनकी गलतियां बताई और साथ ही बदला भी वहीं कई लोगों का मानना यह भी है कि गौतम बुद्ध विष्णु जी का अवतार थे और बजरंग बली सिर्फ श्री राम का कहा ही मानते थे इसलिए उन्होंने गौतम बुद्ध की बात मानी थी कहा तो यह भी जाता है दोस्तों कि मंकी किंग के बारे में चीनी किताबों में बताया गया है जिसके अनुसार वह वानर हनुमान जी ही थे हालांकि ऐसा कोई पक्का सबूत नहीं है जिसमें बताया गया हो कि हनुमान जी ही चीनी मंकी किंग थे ऐसे काफी पुरानी कथाएं हैं जो हमें बताती हैं कि वह एक वानर थे
और ऐसे काफी युगों में उनका वर्णन भी किया गया है कि व एक विशेष मानव और वानर का स्वरूप थे वहीं कई और ऐसे देश हैं जहां बजरंग बली की पूजा की जाती है लेकिन सोचने वाली बात है कि आखिर वह कौन से देश हैं देखिए दुनिया के कई देशों में रामलला के साथ हनुमान जी की भी पूजा की जाती है थाईलैंड बर्मा कंबोडिया लाओस मलेशिया और इंडोनेशिया के लोग हनुमान जी की विधिवत पूजा करते हैं वो लोग बजरंग बली को श्री राम का दूत कहकर ही बुलाते हैं वहीं थाईलैंड कंबोडिया लाओस और इंडोनेशिया में रामलीला और हनुमत चरित्र को डांस और नाटक की तरह भी दर्शाया जाता है वहां भी हनुमान जी के वानर रूप को तेजस्वी योद्धा के रूप में दिखाया जाता है इंडिया के ही हनुमान मंदिरों की तरह मॉरिशियस में भी हनुमान मंदिर बनाए गए हैं लेकिन यहां पर खास बात यह है कि यहां के हर हिंदू के घर पर हनुमान जी के फोटो वाली पताका फहरा रहती है कंबोडिया के अंगकोर इंडोनेशिया के प्राभो मंदिर की दीवारों पर हनुमान जी के फोटो बने हुए हैं इसके अलावा दुनिया के कई देशों में बिजनेस कर रहे भारतीय अपनी कॉलोनियों में हर शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं इतना ही नहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा को भी हनुमान जी का भक्त बताया जाता है वह भी अपनी जेब में हनुमान जी की फोटो रखने पर चर्चा में आए थे
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