
gita jayanti 2024 मोक्ष एकादशी और गीत जयंती पूजा विधि,
1. मोक्षदा एकादशी का महत्व
मोक्षदा एकादशी हिंदू धर्म के शास्त्रों में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण दिन मानी जाती है। इसे “मौनी एकादशी” भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन विशेष रूप से मौन व्रत रखने की परंपरा है। इस दिन मोक्ष प्राप्ति के लिए विशेष पूजा और व्रत का आयोजन किया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण और उनके परम भक्तों के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति के लिए समर्पित किया जाता है।
एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। मोक्षदा एकादशी पर किए गए व्रत और पूजा से न केवल स्वयं को लाभ मिलता है, बल्कि यह व्रत परिवार के मृतकों के लिए भी फलदायक होता है। मोक्षदा एकादशी पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा और उनकी महिमा का गान करने से जीवात्मा को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
2. मोक्षदा एकादशी का व्रत और उसकी विधि
मोक्षदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। यह व्रत पवित्रता और सत्यता के साथ करना चाहिए, ताकि उसका फल उत्तम प्राप्त हो।
व्रत की विधि:
- व्रत से पहले की तैयारी:
- व्रत शुरू करने से पहले एक दिन पहले, यानी दशमी को, सभी पूजन सामग्री तैयार करें। इसमें तुलसी के पत्ते, फूल, फल, चंदन, और अन्य पूजन सामग्री शामिल होती है।
- दशमी को सूर्योस्त के बाद केवल शुद्ध सात्विक आहार का सेवन करें। रात में अन्न का सेवन न करें और व्रत के संकल्प के साथ भूमि पर सोने का प्रयास करें।
- एकादशी का दिन:
- एकादशी के दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। किसी भी रंग के काले या नीले वस्त्र का प्रयोग न करें।
- इसके बाद भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप पूरे दिन करें और अपने घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- पूजा विधि:
- सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, क्योंकि वे विघ्न हरता माने जाते हैं। फिर भगवान श्री कृष्ण और महा ऋषि वेदव्यास की मूर्तियाँ या चित्र रखें और उनका पंचामृत से अभिषेक करें।
- पूजा के दौरान श्रीमद्भगवद गीता की पुस्तक भी सामने रखें और उसका पाठ करें। यदि संभव हो तो एकादशी के दिन गीता पाठ का आयोजन भी करें, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
- पूजा में श्री कृष्ण के साथ-साथ तुलसी माता की भी पूजा करें। तुलसी के पत्तों का उपयोग पूजा में करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है।
- पूजा के बाद व्रत कथा सुनें और भोग अर्पित करें। इसके बाद श्री कृष्ण और तुलसी माता की आरती करें।
- भोग और दान:
- इस दिन बेलगिरी का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। बेलगिरी विशेष रूप से ठंडक प्रदान करता है और यह शरीर के लिए फायदेमंद होता है। इस दिन बेलगिरी का मुरब्बा या शरबत बनाकर सबको बांटें और खुद भी उसका सेवन करें।
- साथ ही इस दिन कंबल, तिल, गुड़, और तिल का तेल दान करें। इन वस्तुओं का दान करने से जीवन में समृद्धि और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- रात्रि जागरण:
- एकादशी की रात जागरण का विशेष महत्व है। रात को भगवान श्री कृष्ण के भक्ति गीत गाएं और उनके नाम का संकीर्तन करें। यह जागरण पूरे परिवार के साथ किया जा सकता है।
- रात में भगवान का ध्यान करें और प्रार्थना करें कि वह आपके जीवन को खुशहाल बनाएं और आपको मोक्ष की प्राप्ति हो।
- व्रत का पारण:
- एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि को खोला जाता है। द्वादशी के दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके बाद दान दक्षिणा दें और फिर अपना व्रत पारण करें।
3. गीता जयंती और उसका महत्व
मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। यह दिन श्रीमद्भगवद गीता के जन्म का दिन है, जो भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि पर उपदेश दिया था। गीता जयंती के दिन विशेष रूप से श्री कृष्ण की पूजा और गीता का पाठ करना अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है।
गीता जयंती के महत्व: गीता जयंती एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म, और भक्ति के विषय में उपदेश दिया था। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने जीवन के हर पहलू पर मार्गदर्शन दिया, जो आज भी हर व्यक्ति के जीवन में मार्गदर्शन देने वाला है। गीता का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख, और संतुलन आता है।
गीता जयंती पर गीता का पाठ करना, भगवान श्री कृष्ण की पूजा करना और उनके उपदेशों का पालन करना जीवन को सुखमय बना देता है।
4. मोक्षदा एकादशी से संबंधित विशेष उपाय
- मंत्र जाप:
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त होते हैं और उसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है। इस मंत्र का 108 बार जाप करना विशेष फलदायक होता है।
- दान:
- मोक्षदा एकादशी के दिन कंबल, तिल, गुड़, और जलने वाली लकड़ी का दान करने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है और जीवन में समृद्धि आती है।
- पीले फूलों की माला भगवान श्री कृष्ण को अर्पित करने से उनके आशीर्वाद से व्यक्ति की धन-संपत्ति की समस्याएं हल हो जाती हैं।
- ग्रह दोष से मुक्ति:
- अगर आपके घर में कोई ग्रह दोष है या परिवार में शांति नहीं है, तो इस दिन व्रत रखें और संकल्प लें कि इस व्रत का फल अपने पितरों को अर्पित करेंगे। इससे पितृ दोष समाप्त होता है और घर में सुख-शांति आती है।
5. मोक्षदा एकादशी के दिन के नियम और सावधानियां
- व्रत के नियम:
- मोक्षदा एकादशी के दिन चावल का सेवन न करें। यह दिन उपवास रखने का होता है, इसलिए सिर्फ फलाहार या जल का सेवन करें।
- एकादशी के दिन बाल और नाखून काटने की परंपरा नहीं है।
- इस दिन किसी भी पेड़ या पौधे की पत्तियां और फूल नहीं तोड़ने चाहिए।
- इस दिन झूठ बोलना, किसी से लड़ाई करना, और गुस्सा करना वर्जित है।
- अन्य सावधानियां:
- एकादशी के दिन किसी भी प्रकार की नकारात्मक गतिविधि से बचें, जैसे चुगली करना, किसी की निंदा करना, आदि।
- इस दिन स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें और मानसिक शांति बनाए रखें।
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का यह विशेष दिन हमें मोक्ष, पापों का नाश, और जीवन में समृद्धि प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए और इस दिन के व्रत, पूजा विधि और उपायों को सही तरीके से पालन करना चाहिए।
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